Monday, March 12, 2018

अब से जन्मने के लिए - चुनिंदा इंसान लाओ भगवान
अब तक बहुत जन्मे - सदियों की दुश्मनी ना भूलते हैं


दुश्मनी की याद जो रखते - खुद उनको ही चुभती है
चुभा के वही औरों को वे - नई दुश्मनी खड़ी करते हैं

ग़र करनी से मेरी - नफ़रत ये थम जाती
तो ख़्याति मेरी - पैग़म्बर की बन जाती

गुज़र जाती जो उम्र - उसके गुज़रने का मलाल करते हैं
पकी उम्र के भी होते फ़र्ज कुछ - औरों पे छोड़ मरते हैं



 

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