जिन्होंने चुनौतियाँ उठाईं हैं - ज़िंदगी की समझ उन्हें ही आई है
जिसे मिली भोग-विलासिता की बाहुलता - उसे समझ न आई है
पापा –
जितना करते हैं बदले में कोई और उसकी कीमत करोड़ों ले लेंगें
मगर
"पापा" बदले में तुम्हारी ख़ुशी के अतिरिक्त कुछ और नहीं चाहते
किसी की कोई भी उपलब्धि मुझे खास नहीं लगती
आपकी दोस्ती पर जब - किसी दोस्त के मन में संशय आ जाये
समझना कि समय - उसके चुपचाप निस्वार्थ करने का आया है
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