ऐतबार तुम्हारा - ऐतबार ही कायम रहे
हमें ऐतराज जिससे - वह काम न करना
मिलते जिस अपनेपन से - उसकी भी कुछ हद होती हैं
उस हद में तुम रहना - एतबार जिससे क़ायम बना रहे
ख़्याल तुम्हारा ही नहीं - और भी अपनों का रखना है
मर्यादायें कुछ तय हैं - हमें उन मर्यादाओं में जीना है
हमें ऐतराज जिससे - वह काम न करना
मिलते जिस अपनेपन से - उसकी भी कुछ हद होती हैं
उस हद में तुम रहना - एतबार जिससे क़ायम बना रहे
ख़्याल तुम्हारा ही नहीं - और भी अपनों का रखना है
मर्यादायें कुछ तय हैं - हमें उन मर्यादाओं में जीना है
हमें - तुम , अपनी ख़ातिर मर्यादा तोड़ने को नहीं उकसाना
तुम्हारी बनाई मर्यादा - कोई तोड़े तुम्हें अच्छा नहीं लगता है
मनमानी करने में मिलता मजा - थोड़े समय का होता है
पूरे जीवन के मज़े के लिए - मर्यादाओं में रहना होता है
जिसे घर समझता था बेचारा , घर नहीं था
छोटा सा टुकड़ा जमीं का - साबित घर हुआ
तुमसे ही ज़िंदगी की चाहत - तुमसे ही दूर होना है
है ज़िंदगी का दस्तूर अजीब - यूँही मजबूर होना है
मेरे हर लिखे में - अगर मौजूद अपने को पाते हो
सार्थक तभी ये - अलग मगर एक अपने को पाते हो
मनमानी करने में मिलता मजा - थोड़े समय का होता है
पूरे जीवन के मज़े के लिए - मर्यादाओं में रहना होता है
जिसे घर समझता था बेचारा , घर नहीं था
छोटा सा टुकड़ा जमीं का - साबित घर हुआ
तुमसे ही ज़िंदगी की चाहत - तुमसे ही दूर होना है
है ज़िंदगी का दस्तूर अजीब - यूँही मजबूर होना है
मेरे हर लिखे में - अगर मौजूद अपने को पाते हो
सार्थक तभी ये - अलग मगर एक अपने को पाते हो
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