Monday, March 26, 2018

ऐतबार तुम्हारा - ऐतबार ही कायम रहे
हमें ऐतराज जिससे - वह काम न करना

मिलते जिस अपनेपन से - उसकी भी कुछ हद होती हैं
उस हद में तुम रहना - एतबार जिससे क़ायम बना रहे

ख़्याल तुम्हारा ही नहीं - और भी अपनों का रखना है
मर्यादायें कुछ तय हैं - हमें उन मर्यादाओं में जीना है

हमें - तुम , अपनी ख़ातिर मर्यादा तोड़ने को नहीं उकसाना
तुम्हारी बनाई मर्यादा - कोई तोड़े तुम्हें अच्छा नहीं लगता है

मनमानी करने में मिलता मजा - थोड़े समय का होता है
पूरे जीवन के मज़े के लिए - मर्यादाओं  में रहना होता है

जिसे घर समझता था बेचारा , घर नहीं था
छोटा सा टुकड़ा जमीं का - साबित घर हुआ

तुमसे ही ज़िंदगी की चाहत - तुमसे ही दूर होना है
है ज़िंदगी का दस्तूर अजीब - यूँही मजबूर होना है

मेरे हर लिखे में - अगर मौजूद अपने को पाते हो
सार्थक तभी ये - अलग मगर एक अपने को पाते हो


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