श्रध्दानत पत्नी
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बाईस वर्ष से , जीवन उनका
बाईस वर्ष से , जीवन अभिलाषा
लाड़ दुलार से पली बिटिया उनकी
उसे ,परिणीता बना कोई ले जाता
जीवन आधार चला गया उनका
सूना सूना घर आँगन हो जाता
हँसने से उसके मिलती थी ऊर्जा
जाने से जीवन लक्ष्य खो जाता
तिस पर भी निभा समाज परंपरा
माँ-पापा ,हृदय खुशियों से भर जाता
दुःख ,अकेलापन परिवार में सहते
बेटी की ख़ुशी में मन ख़ुश हो जाता
लेकिन उनकी प्यारी उस बेटी पर
ससुराल में अत्याचार किया जाता
जीवन निधि सौंपी जिनको ,वह
परिवार ,बेटी का सम्मान नहीं देता
ठगे से रह जाते माँ -पापा बेटी के
जब बिटिया जीवन ख़ुशी न पाती
ब्याह वचनों को भूले पति द्वारा
पत्नी ,उपहास लक्ष्य बनाई जाती
घर में ब्याहता पत्नी होते हुए
बाहर नारी पर बुरी नियत रखते
फ़िल्मी सेलेब्रिटीस की तर्ज पर
सुंदर युवती से कामेच्छा रखा करते
पत्नी , को रानी तरह खुश जो नहीं रख सकता
अपात्र है पढ़ा लिखा ,फिर वह क्यों पति बनता
अशक्त पत्नी को सता ,पीट के वीर बना फिरता
कायर है ,पति ,श्रध्दानत पत्नी पे अत्याचार करता
--राजेश जैन
30-09-2015
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