Tuesday, March 20, 2018

हमारा मज़हब ओएस हो सकता था - मज़हब मगर वायरस हुआ है
लॉजिकल ब्रेन बना सकता था - ब्रेन को मगर ठस किया करता है

हमारा मज़हब ओएस हो सकता था - मज़हब मगर वायरस हुआ है
लॉजिकल ब्रेन बना सकता था - ब्रेन को मगर ठस किया करता है

जब कोई 'एक मजहब का नहीं' - सिर्फ़ इसलिए मारा जाता है
'मज़हब पर फ़ख्र' करें या छोड़ें - दिल में सवाल खड़ा होता है

नेक हो कर तुम दिखलाओ - नेक हो कर हम दिखलायें
सबकी हसरतों का लिहाज करके - एक हो कर दिखलायें

पसंद-नापसंद की उनकी आज़ादी का - हक़ देते
अपनी ज़िद में नहीं अड़ते - हम उन्हें जीने देते

इंसानी भीड़ बहुत - पर इंसान तन्हा क्यों है
नेक साथ की जरूरत - मगर वो बचा कहाँ है

तुमने नफ़रत की हम से - क्या वजहें मान लीं
आज़ाद हस्ती है हमारी - क्यों तुम्हें ख्याल नहीं

तुमसे जीतने की कोई होड़ न रखते हैं - अपने दिल में
जब बात तुम्हारी हो - सिर्फ मोहब्बत रहती है दिल में

अपने रोने की वजह हम - और शख़्स पर डालते हैं
जबकि कमज़ोरी उसके लिए - हमारे दिल में होती है



 

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