Sunday, July 23, 2017

कौन होता है एक शहीद ???होता है एक शहीद ???

कौन होता है एक शहीद ???
होता है एक शहीद ???
प्राण के भय बिना - भयानक परिस्थितियों में सीमा पे तैनात एक वीर - दुश्मन से जूझते - घायल होकर , भयंकर वेदना सहता - मौत को गले लगाता है। वह किसी माँ-पिता के जीवन की आशा किरण - किसी प्राणप्रिया का सुहाग - किसी बेटी - किसी बेटे का परमपिता जिससे होने से वे सनाथ हैं - जो सर्व जीवन मोहों - स्नेह बंधनों से ऊपर - राष्ट्रहित की परम भावना को देखता है - जब उसके पास जीने को आधे से अधिक जीवन होता है - तब सुंदर इस दुनिया को अलविदा कर परलोक के पथ पर निकल जाता है ..
--राजेश जैन
23-07-2017

Wednesday, July 19, 2017

मेरा रूप-लावण्य - मेरा श्रृंगार - मेरा परिधान

मेरा रूप-लावण्य , मेरा श्रृंगार , मेरा परिधान -
मुझे नारी जीवन मिला है - इसे जीने के लिए मैं भी पुरुष जैसे उपाय -कर्म करना चाहती हूँ। मैं आत्मनिर्भरता और स्वाभिमान से जीना चाहती हूँ। मैं इतनी शिक्षा चाहती हूँ जिससे पुरुष के साथ घर परिवार में , मैं आश्रिता और हीनता से नहीं देखी जाऊँ। लेकिन दैनिक क्रमों में जैसे -
वीरानों में , रात में , पढ़ने जाने में जहाँ पढ़ाने और पढ़ने वाले पुरुष अधिसंख्य हैं , कार्यालयों में कार्य करने में जहाँ पुरुष ज्यादा हैं , यात्राओं में , पार्टियों में जहाँ शराब के दौर चलते हैं और तो और सतसंगों में जहाँ पाखंडी भी होते हैं , आज के दैनिक क्रमों में अक्सर या कभी कभी मुझे गुजरना होता है . इस तरह से लगभग हर जगह -हर समय मुझे असुरक्षा और भय लगता है।
आप मेरी इन चुनौतियों को सिर्फ मेरी समस्या के रूप में नहीं देखें। मुझे देवी तुल्य न बतायें। मुझे माँ रूप में भगवान न कहें , मुझे बेटी -बहन रूप में चरण स्पर्श किये जाने का पात्र न मानें। मैं चाहती हूँ - मेरे हर रूप में अपने समान देखें। मुझे भी मनुष्य समझा जाए।
अगर परिवार के लिए मैं अनिवार्य सदस्या हूँ - तो मेरी समस्याओं को अपनी समस्या मानें।
उस समाज चलन , उस रीति रिवाज , उस दृष्टि को विकसित करें - जिसमें मैं भोग्या नहीं , मैं दासी नहीं , मैं हीन नहीं , मैं सिर्फ सौंदर्य -माँसल नहीं , मैं मन बहलाने की वस्तु नहीं। अपितु मैं भी जीवन के समस्त अवसर , सभी संभावनाओं , और समान हैसियत की अधिकारी हूँ।
मुझे अनावश्यक बंदिशों से मुक्त करें। मुझे तलाक देकर , मुझे ही अपराधी और सजा जैसी परिस्थिति न निर्मित करें। अगर मैं दुःखी हूँ तो अप्रत्यक्ष रूप से उस दुःख से आप भी दुःखी हैं। इस समग्र दृष्टि से देखने का प्रयास करें।
मेरे जीवन संघर्ष में आप भी साथ दें तो उचित होगा - अन्यथा-अन्यथा इस संघर्ष को मैं जीत लूँगी। लेकिन ऐसी हालत में नारी -पुरुष में वह बैर आ जाएगा जो साँप और नेवले के बीच होता है।
"मेरा रूप-लावण्य , मेरा श्रृंगार , मेरा परिधान - आपको मेरा आमंत्रण नहीं - यह सब मेरे आत्मविश्वास के लिए है। "
"आपसे मेरे साथ की अपेक्षा - छल - शोषण के लिए नहीं , प्यार सम्मान से निभाने के लिए है।"
--राजेश जैन
20-07-2017
https://www.facebook.com/narichetnasamman/

Saturday, July 1, 2017

हीनताबोध


हीनताबोध
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बीस वर्ष लगे थे , रोहित के हीनताबोध को मिटने में। दरअसल , नीता के पिता ने अपनी कमजोर आर्थिक स्थिति के कारण ज्यादा गुणी ,सुंदर और बेहद प्रतिभाशाली बेटी का ब्याह , रोहित से किया था। रोहित को इस वास्तविकता का बोध , आरंभ से ही रहा। उसने इस फर्क को सही परिप्रेक्ष्य में लेकर - अपने दाम्पत्य जीवन में यह फ़िक्र, विचार और व्यवहार हमेशा रखा ताकि किसी समय नीता को उससे विवाह कर लेने से दुःख अनुभव नहीं हो। रोहित ने - परिवार , बच्चों के साथ नीता की जरूरतों , इक्छाओं को सदैव गंभीरता और सम्मान दिया। जब नीता ने स्वयं का व्यवसाय करना चाहा तो अनुमति दी , और उसे होने वाली कठिनाइयों के अवसरों पर उसका आत्मविश्वास बढ़ाता रहा।
आज नीता , फोन पर अपनी फ्रेंड की किसी बात पर यह कहती सुनाई पड़ी , दीपा मैं तो बेहद भाग्यशाली हूँ , कि मुझे रोहित जैसे सुलझे व्यक्तित्व के धनी हस्बैंड मिले।
--राजेश जैन
02-07-2017
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