Friday, November 30, 2018

#बनो_ऐसे
फ़िक्र नहीं कोई - दुनिया को मालूम रहे ना रहे
वक़्त को मालूम रहे कि - इंसान कोई अच्छा था

#नज़रिया
तुम्हें अपने मतलब के नज़रिये से देखेगी दुनिया
तुम देखो कि वक़्त किस नज़रिये से जानेगा तुम्हें

#औरों_को_जगह_देना
सब चल रहे जिस राह पर - भीड़ बहुत है
मुझे पसंद इसलिए - कि थोड़ा हट के चलूँ

शुक्र कि
इंसानियत का इल्म कराया मज़हब ने मेरे
वरना
देर नहीं करता अपना मज़हब बदल लेता मैं



Thursday, November 29, 2018

कागज़ का पन्ना बदक़िस्मती पर रोता है
बन सकता वह 'पैग़ाम ए मोहब्बत'
लिखने वाला मगर
उस पर नफरत की इबारत लिख देता है

Wednesday, November 28, 2018


तेरी ख़ामोशी के पीछे क्या है? वही जानते हैं
इस जहान में जो थोड़े तुम्हें अपना मानते हैं

हमें अपना मानने से पहले तुम - दरियाफ्त ठीक कर लेना
अपना बताने के पीछे - मतलबी जहान में छुपे हैं कई धोखे

मासूम , कमसिन के लिए - ख़्वाहिशमंद बहुत होते हैं
चाँद अब कोई नहीं कहता - जिसे पहले बहुत कहते थे 

Tuesday, November 27, 2018

काश
कुछ वक़्त तुम , मैं - और मैं , तुम बन जायें
तो
हम दोनों - आपसी अपेक्षाओं को समझ पायें

बहुत मिला होता है-
बहुत मिल नहीं पाता है
मिले में जीवन होता है -
न मिला, सपना रह जाता है

Monday, November 26, 2018

शैतान को मारने में नहीं है जीत तेरी जीत शैतानियत के खात्मे की कोशिश में है तेरी शैतान भी बनाया है खुदा ने मगर दिया है काम - तू उसकी शैतानियत खत्म कर

मानव सभ्यता

मानव सभ्यता 

जन्म और मौत अत्यंत कष्टदायी होते हैं. हर मनुष्य का जीवन में इन दो भीषण कष्टों से सामना होता ही है। हर बच्चा जन्म का कष्ट तो जीवन में याद नहीं रख पाता है किंतु मौत और मौत के पहले का डरावना अकेलापन और असहाय अवस्था जिसमें मरने वाले का कोई वश ही नहीं होता तो लगभग सभी मनुष्य को देखना होता है (कुछ मौतों को छोड़कर जो आकस्मिक हो जाती हैं) . ऐसे में हर जीवन को अर्थात हर मनुष्य को ज़िंदगी में इतना सुख तो मिलना ही चाहिए जो इन बेहद कष्टदायी (अप्रिय) पीड़ा की तुलना में अधिक ख़ुशी (प्रिय) की प्राप्ति रूप हो. यह 'हर मनुष्य का जन्म सिध्द अधिकार' है और जब तक हमारी सामाजिक व्यवस्था ऐसी नहीं बना दी जाती , तब तक हमें किसी भी उपलब्धि को मानव सभ्यता की पूर्णता निरूपित नहीं करना चाहिए। मनुष्य का ऐसा जन्मसिध्द अधिकार किसी धर्म , किसी नस्ल या किसी संप्रदाय विशेष से स्वतंत्र है। इसलिए सभी वर्गों का चाहे वे किसी- क्षेत्र के हों , चाहे देश के हों , चाहे किसी भाषाभाषी के हों यह कर्तव्य बनता है कि मानव सभ्यता की इस परिकल्पना पर काम करें। यह लेखक के मत में मिले मानवीय जीवन की सार्थकता भी है। 

--राजेश चंद्रानी मदनलाल जैन 
27-11-2018

Sunday, November 25, 2018

#आदर्श
हमारे अंत स्थल में उन सभी के लिए प्यार होना चाहिए
जो जीने की चाह रखते हैं
यह कठिन अवश्य होता है
मगर ध्येय यही होना चाहिए

#भ्रम
एक जीत भ्रम है - एक हार भ्रम है
जीत में हार - हार में, छुपी जीत है


Saturday, November 24, 2018

क्या पा लेना है - खो क्या देना है
पैदा हुए इंसान - इंसान बने रहते

जरा हुई हैसियत से ख़ुद को ऊँचा समझते थे हम
'दरबार ए इंसानियत' में मगर नाटे साबित हुए हम

थोड़ी उपलब्धियाँ मिली अपने को ऊँचा मान बैठे हम
मानवता के मंदिर में मगर स्वयं का बौना पाया हमने



Thursday, November 22, 2018

मर जाऊँ तो - तुम अफ़सोस करना नहीं
कि अब एक नेक ज़िंदगी - जी ली है मैंने

#राजेश
एक कंधे पर ज़िंदगी दूजे पर मौत लिए कब से चल रहा ,
'राजेश'
शुक्र मगर रूह पर ना ज़िंदगी , ना ही मौत कोई बोझ है

#गर्व
हमारे होने पर - गर्व करने वाली कोई बात नहीं
देखो ना - कितनी नफरत कितना ख़ूनख़राबा है हमारे होते हुए

#पहचानना
खुद को तो अभी तक - पहचाना नहीं हमने
झूठ है ग़र कहें - तुम्हें पहचान लिया हमने

#लम्हा
शुक्र ए ज़िंदगी - हमें बेहिसाब लम्हें दिए तुमने
मौत को हँस के मगर - आखिरी लम्हा हम देगें

दिल में उसके मोहब्बत है हमारे लिए - सुकून यह हमको है
कि
मर भी गये अगर हम तो क्या - दिल से याद तो करेगा वह
#बेकार_है_किसी_को_परेशान_करना
छोटी इक जान वह - उससे शिकवा-शिकायत क्यूँ हो
अपनी आरज़ूओं का बोझ - उस पर रखना ठीक नहीं

#आईना_है_हम_ही_झलकते_हैं
मुल्क़ न तेरा न मेरा - हम क्यूँ इसे बदनाम करें
हम से है मुल्क़ का चेहरा - हम ही इसे ठीक करें

#सोचना
जब अपने हित नहीं देखते - चट झगड़ने खड़े हो जाते हैं हम
देश में सब रहते हैं सर्वहित किस बात में - सोचा कभी हमने

#इंसान_का_मिलना
आज इंसान कोई मिलता नहीं - ये शिकायत नहीं कर
इंसान तू खुद हो के दिखा - इंसान तुझे मिलने लगेंगे

#खुदा_का_बंदा
बुरा देख तू खुद बुरा होने का बहाना न तलाश
खुदा ने भेजा तुझे - नेक जिंदंगी जीने के लिए

Wednesday, November 21, 2018

#ख़्वाहिश_ए_शोहरत
कभी ख़्वाहिश - ख़ुद के लिए शोहरत हुआ करती थी
मगर देखा , अच्छे लोग कम - जिन्हें आज शोहरत हासिल है

#परिवेश_यह_चाहिए
ज़िंदगी के हर मुक़ाम पर जरूरत , ख्वाहिशें अलग अलग हैं
हर मुक़ाम पर मगर ज़िंदगी की जरूरत , ख्वाहिश इज्जत है

#बच्चों_में_सँस्कार
ख़ुद नहीं कर सकीं इंसाफ़ - ऐसी पुश्तें अभी रहीं
इंसाफ़ के लिए हमें - इंसाफ़ पसंद पुश्तें लानी होगीं

#एक_का_जाना
जानते हैं हमारे चले जाने से तुम बेहाल हुए होगे
सोचना मगर कि बेबसी ही होगी जो हम चले गए

#ख़ुशी_दे_सकना_सरल_नहीं
उसकी हैसियत नहीं कि ख़ुशी देता
दर्द ही दे सका और वह चला गया 

Tuesday, November 20, 2018

नाकामयाबी को ख़ुद की - ख़ुदा की मर्जी न बताये तो
खुदा की दी ज़िंदगी - कोई नाकाम इंसान जिये कैसे

दिल में आपके - छुप के रहना हमारी मजबूरी है
ज़माना जलता है - गर प्रेमी बेइंतहा मोहब्बत से रहें


Monday, November 19, 2018

#Terrorist

ख़ुद तो हसरत तेरी - अपनी ख़ुद की शर्तों पर जीने की
बेगैरत तू - औरों को उनकी शर्तों पर जीने क्यूँ नहीं देता

तीरगी की तारीख़ का सिलसिला - कब तारीख़ होगा बता दिल तक तेरे - आफ़ताब का उजाला कब पहुँचेगा तीरगी - अंधकार , तारीख़ - इतिहास

मेरा समय , मेरा लिखना व्यर्थ है - मालूम है मुझे पर खेद नहीं कि - पैग़ाम ए अमन लिखा करता हूँ

Sunday, November 18, 2018

मालूम होता कि-उसका जाया शैतान बनेगा
ज़िंदगी नहीं-किसी की वह मौत बनेगा
नौ माह उसके लिए-न दर्द झेलती वह
इंसानियत,शर्मसार करती-जो तारीख बनेगा

रुलाते किसी माँ को
जो असलहा-हथियार ईजाद ना होते
ग़र उन्हें उठाने को
कोई हाथ तैयार नहीं होते


#दर्द_ए_मोहब्बत_के_नक़्श
ज़िंदगी है वह - उसे जलाना ख़ुदकुशी होगी
झुलस जायें तब भी - उसका होना ज़िंदगी होगी

कैसी अजीब फ़ितरत इसकी - कैसा ख़ुदगर्ज ये इंसा
ख़ुशी चाहता है ख़ुद के लिए - औरों पे सितम करके

ख़्वाब ए अमन - ज़िंदगी भर देखता रहा था वो
अरमां बाकि रह गया सीने में - जब दफ़न हुआ वो

तुम लिखो कि तुम्हें पढ़ना अच्छा लगता है
और लिखते हैं औरों में बुराई बताने के लिए





Saturday, November 17, 2018

नदीम को बचाना दायित्व ...

नदीम को बचाना दायित्व ...
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कश्मीर भी पूर्व भारत के अलग हुए हिस्से अफ़ग़ानिस्तान , पाकिस्तान और बँगला देश की तरह अलग किया जा सकता था। मगर इनमें से अलग हुआ हिस्सा ना तो खुशहाल है ना ही भारत के साथ भाईचारे से रहता है। वहाँ जनजीवन हमसे भी पिछड़ा है और वहाँ हिंसा व्याप्त है। एक ही कौम के होते हुए भी नफ़रत और हिंसा होना दुःखद आश्चर्य की बात है। अतः अगर कश्मीर के रहवासियों को अन्य कौम से कोई रंजिश भी है तो समाधान एक कौमी राष्ट्र में भी नहीं है। यह समझना होगा। एक छोटे राष्ट्र की अन्य पर निर्भरता भी दुःख दाई ही देखने में आती है। चीन जैसा साम्राज्यवादी देश अपनी चतुराई से और प्रलोभनों में फँसा कर , वहाँ के लोगों को आर्थिक रूप से ग़ुलाम बनाते चला जा रहा है (उदहारण - पाकिस्तान , नेपाल , श्रीलंका और इसी तरह के अन्य छोटे देश हैं). ऐसे में भारत जो की एक राष्ट्र के रूप में कश्मीर को समाहित रखता है। और उपलब्ध संसाधनों से कश्मीर में पर्यटन विकास की कोशिश करता है , कश्मीर की जनता के लिए इसी में बना रहना बेहतर विकल्प है। विभिन्न भडकावों में न भड़कते हुए , देश के लिए आतंक नाम की चुनौती को मदद पहुँचाना अगर वहाँ के लोग (कुछ ही हैं जिनके निज हित खून खराबे के जारी रहने में हैं जो सर्वथा उनका भ्रम मात्र है ) बंद करें तो उनसे बचाव में जाया हो रहा धन वहाँ और देश के विकास को ज्यादा गति देने में सहायक हो सकता है। साथ ही पिछले 30 साल से मचे अंदरूनी संघर्ष से भय के साये में जी रहे लोगों को भयमुक्त ज़िंदगी का लुफ़्त भी सुनिश्चित करने के लिए जरूरी है कि वे यह पहचान कर लें कि कश्मीर को देश से तोड़ने की कोशिश करने वाले लोग वहाँ के राजा बनने की महत्वकाँक्षा पालते हैं , वे कश्मीर को सुनहरे भविष्य का सपना तो देते हैं किंतु सुनहरा भविष्य अपने लिए सुनिश्चित करने की फ़िराक में हैं। ये सारे वो लोग हैं जो अपने खुद की औलादों को ब्रिटेन या अन्य जगह बसा देते हैं और वहाँ आम जनता के मासूम युवाओं के ब्रेन वॉश कर उन्हें मरने और अपढ़ रहने को छोड़ रहे हैं।
नदीम का (मुखबिरी के कारण) मारा जाना या सेना और पुलिस में वहाँ के कई सपूतों का शहीद होना इस बात को साबित करता है कि है वहाँ एक बड़ा समुदाय जो भारत की सम्प्रभुता का समर्थक है लेकिन इस भय से चुप रहता है कि बोलने और सामने आने की कीमत उनकी अकाल मौत का कारण साबित हो सकता है। पाकिस्तान का एजेंडा ही गलत है कि हम खुशहाल नहीं तो भारत क्यों खुशहाल हो। नतीजा यह कि रक्षा व्यय दोनों के बहुत बड़े हुए हैं और जनता मुफलिसी में जीने को मजबूर।
ख़ुशहाली कौमी संकीर्णता में सिमटने में नहीं है अपितु ख़ुशहाली उदारता से सभी इंसान की स्वीकार्यता में है। हम अगर इंसान हैं तो अन्य भी इंसान ही हैं - यह समझना आज समय की जरूरत है। नदीम को बचाना किसी भी मजहब का दायित्व है , उसे मारना कोई मज़हब इजाज़त नहीं देता है।
--राजेश चन्द्रानी मदनलाल जैन
18-11-2018

Friday, November 16, 2018

क्या गैर -
क्या अपना
आवाज़ में मोहब्बत हो
सिर्फ एक यही सपना

दिल की धड़कन ही आवाज पर
सरोबार जो दिल हैं मोहब्बत से
नफ़रत तो दुनिया में ख़त्म होगी
ऐसे दिलों से निकलते अल्फ़ाजों से

मिलती विरासत मोहब्बत की - हमारा काम फिर क्या होता
मिली विरासत नफरत की - चलो मोहब्बत के लिए पीएचडी करें


Wednesday, November 14, 2018

हों सजींदा हम अमन की जुस्तजू करें
नफ़रत के सिलसिले का आज पार करें
तुम नफ़रत को चिता में राख करो
हम नफ़रत को सुपुर्द ए ख़ाक करें

अभी ही तो भरी थी वक़्त की रेत से मुट्ठी
अभी ही देखा कि काफ़ी रेत खिसक गई है




Tuesday, November 13, 2018

प्यार
आप अपने लिए - करना , सोचना
हम आपके लिए - करेंगे , सोचेंगे 

Monday, November 12, 2018

लियाक़त उसमें भी है - साबित करने के उसे मौके नहीं
आप बताओ - अपनी लियाक़त ज़ब्त रख जी सकते हो

सब कुछ हम ही हासिल कर लें तो-  ख़ुशी हमें कहाँ होगी
हासिल होने पर औरों के चेहरे की - ख़ुशी दिखलाई कहाँ देगी
हासिल कुछ आप
हासिल कुछ हम करें

मेरा उनमें खो जाना - यूँ बेहतर था
खो कर मैंने - अपना जहां पाया था

तोड़ ले जा सकें - मेरे पुष्पों को गुजरने वाले
खुशियों के पुष्प मेरे - जमीं के इतने करीब हों

Sunday, November 11, 2018

जीवन एक प्रयोगशाला - प्रयोग स्वयं करने होंगे
तुझे मिले भिन्न मसले - तुझे स्वयं खोजने होंगे

मुनासिब नहीं, कमी अपनी इल्ज़ाम औरों पर
मुनासिब है, हम मिज़ाज खुद का दुरुस्त करें

Saturday, November 10, 2018

'जान से ज्यादा चाहते हैं' - निबाहने की तुम हक़ीक़त पता करना
फिर तुम कह ना पाओगे - तुम्हारे लिए चाँद सितारे ला सकता हूँ

कहते थे ख़्याल ओ ख़्वाब में मेरा होना पसंद है तुम्हें
हम ख़्वाब से हक़ीक़त हुए अब तो तुम बदहाल क्यूँ हो

सीना ताने वो चल रहे हैं - जिनमें नफ़रत भरी हुई है
लिहाज़ , अदब में झुके हैं हम - सीने में मोहब्बत रखते हैं

वक़्त की बेरहमी नहीं कहेंगे कि - हम जुदा हो गए
शुक्रगुज़ार हैं वक़्त के - ज़िंदगी में मिलाया था हमें

होश सम्हाला और ज़िंदगी में मोहब्बत बनी पसंदगी
इक ख़्वाहिश पैदा हुई दिल में कि मोहब्बत से सब रहें

Friday, November 9, 2018

टुकड़े पचास तो -
नफ़रत से कोई भी कर देगा
है कुव्वत तुझमें? -
मोहब्बत से एक करके बता

ख़ुद के दिल की समझना ,
दिल की कर लेना आसान है मगर
कुव्वत तो जब ,
औरों के दिल की समझें - उनके दिल की कर दें हम

इत्मीनान है कि आलम मोहब्बत का होगा
सबमें इंसान ही तो है यह जागेगा भी कभी

रिश्तों में तल्ख़ी की वज़ह फक्त एक
भूलनी थी जो बातें दिल में रख बैठे हैं

लफ्ज़ तो हमने भी लिखे लाज़वाब थे
गर लब आपके पाते मिसाल हो जाते 
अपनी मोहब्बत में वह मुक़ाम हमने पाया है
आपकी हर भूल को नज़रअंदाज हमें करना आया है

काश! आबशार मोहब्बत के हम हर जगह बना सकते
नहाते  सब जिसमें और नफ़रत दिल से मिटा सकते
आबशार - झरना

शिकायतें, अज़ीयतें तुम पर करें कैसे कि- हम तुमसे प्यार करते हैं
मजबूरियाँ, परेशानियाँ तुम्हारी समझें कि- हम तुमसे प्यार करते हैं
अज़ीयत - अत्याचार

Wednesday, November 7, 2018

अपनी मोहब्बत में वह मुक़ाम हमने पाया है
आपकी हर भूल को नज़रअंदाज हमें करना आया है

काश! आबशार मोहब्बत के हम हर जगह बना सकते
नहाते  सब जिसमें और नफ़रत दिल से मिटा सकते
आबशार - झरना

शिकायतें, अज़ीयतें तुम पर करें कैसे कि- हम तुमसे प्यार करते हैं
मजबूरियाँ, परेशानियाँ तुम्हारी समझें कि- हम तुमसे प्यार करते हैं
अज़ीयत - अत्याचार

#निजी_दुनिया
"ख़्वाब ओ ख़्याल" की बेहतर दुनिया है
जिसमें सब हम से मोहब्बत करते हैं 
अरमां है जिसके सब के सब
औरों के लिए
शिकस्त या जीत भी उसकी
होती नहीं खुद के लिए 

Monday, November 5, 2018

#निजी_दुनिया
"ख़्वाब ओ ख़्याल" की बेहतर दुनिया है
जिसमें सब हम से मोहब्बत करते हैं 

Sunday, November 4, 2018

ना तुम्हारी शबीह पास - ना ही तुमसे मिलने के सिलसिले हैं
ख़्वाब ओ ख़याल में नाम रह गया - तुम्हारी शक़्ल नदारद है
शबीह- तस्वीर\\

हमारे इतराने की फक्त इक वजह
कि तुम हो इस जहां में हमारे लिए




डाई, लिपस्टिक, पावडर, विग और ये मॉडर्न मुखौटों का फैशन
फिर क्यूँ है हमें शिकायत कि- आज इंसान असली नहीं मिलता

न भीड़ में होना है मुझे - न गिर्द भीड़ लगाना ही , है पसंद मुझे
बस सरल सादा इक इंसान हूँ - इंसान रहना ही , है पसंद मुझे

बदहाल कहना ठीक नहीं
हाल इश्क़ में यह हुआ है


Thursday, November 1, 2018

किसी की औलाद , किसी के भाई - किसी के शौहर , किसी के बाप
ऊपर एक इंसान तुम - दायरे में रहने के लिए , क्या इतना काफी नहीं?

कतरा कतरा करके समंदर हो जाये - मगर कतरे को नाज़ करने की जरूरत क्या - जैसे अनेकों हैं

मिलना क्या है आप को , हमसे और हमें , आप से
हमें पसंद कि , आपमें इंसान का परिचय मिलता है