Thursday, March 29, 2018



फ़र्ज औरों के याद दिलाने के चक्कर में लगे रहे
फ़र्ज अपने भी हमें बहुत निभाने थे ,ये भूल गए

फ़र्ज औरों के याद दिलाने के चक्कर में लगे रहे
फ़र्ज अपने भी हमें बहुत निभाने थे ,ये भूल गए

रूप और वैभव से बुरी तरह प्रभावित होने के रिवाज़ ने
कॉस्मेटिक और भ्रष्टाचार का बुरा रिवाज़ लाया है

रूप और धन लोलुपता ने आज
क्या होता इंसानी फ़र्ज भुलाया है

धन लोलुप - प्रख्यात और महान हो गए
शिक्षा ने - धन अर्जन का लक्ष्य बनाया है

शिक्षा का उद्देश्य नैतिकता होती थी - ज़माने लद गए
विद्यार्थी के मन में - धनवान होने के सपने लद गए

मुझे पढ़ना तुम बंद कर देना दोस्तों
ऐसा न हो कि तुम गुमनाम रह जाओ

अच्छा हुआ धन और रूप की दुनिया ने हमसे किनारा किया
किनारे खड़े रहकर हमने ज़िंदगी का मक़सद पता कर लिया

धन और रूप के जाल में हम उलझ जाते
बिना समझे ही ज़िंदगी को हम मर जाते

धन और रूप से इकदिन त्यागना इसी दुनिया में था
हासिल हमें वह करना था जो , शुद्ध हासिल रहना था

चाँद को वादों की झँझटों में फँसना क्यों है
आज़ाद इनसे उसे डूबना - निकलना रोज है

ज़माने की नक़ल पर सोच , कर के - ज़माना अच्छा लोग ला दिखलाते
अपने सोचने और करने में - वक़्त बर्बाद करने की फुरसत हमें कहाँ थी

जुदा उसने हमें किया - अपनी मंजिल के लिए
हम याद रखते दुआ में उसे - उसे मंजिल लिए

प्रकृति के बबंडर आने जाने कोई रोक सकता नहीं - परेशान न हों
इंसान लाते बबंडर - औरों के ख्व़ाब तबाह करते - रोक उस पर हो

पतझड़ में झड़ते पत्तों की जगह - नई कोपलें आकर नए पत्ते खिलते हैं
हम जीलें इंसानियत - अच्छा करने के मौसम ज़िंदगानी में कम मिलते हैं

बहुत से मासूम सपने अधूरे हैं - वे इससे बेपरवाह ऐश कर रहें हैं
कोई कमाने में व्यस्त बुरी कदर - कोई आतंक में मौत बाँटता है
विंडबना जिन्हें मुश्किल दो बच्चे पालना - वह छह औलादें देश समाज को दे रहा है
इन्हें शिक्षा-सँस्कार मुहैया न वे खुद - न समाज और न ही कोई परोपकारी करा पाते हैं
कुछ निष्फिक्र इन सबसे - और कुछ तरसने को बच्चों को दुनिया दिखाते हैं
कुछ दयाहीन दिखते - कुछ दयनीयता दिखा रहे हैं
मिली ज़िंदगी - जिसे ढोकर बेचारगी में इंसान मर रहे हैं


 

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