स्वपनदीप और पूनम राष्ट्र की लाडली बेटियों
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स्वपनदीप और पूनम दोनों तुम
दुर्भाग्यवश पितृ प्रेम को बचपन से ही
पिता होते भी वंचित रही दोनों तुम
पिता सरबजीत निरपराधी होकर भी
बाईस वर्षों तक पाकिस्तान जेल में
निर्मम यातना भुगतते रहे वहां कैद में
युवावस्था कैद में बीत गई
जीवन शेष बिताने मातृभूमि अंचल में
ऐसा भी ना छोड़ा दुर्भाग्य ने वीर को
पशु क्रूरता से सरबजीत को मार डाला
कायरों ने जब वह था निहत्था और अकेला
पिता तुम्हारे थे सपूत मातृभूमि के
वीर पुरुष की बेटियों तुम दोनों
पिता मौत मातमी दुःख में हो
अश्रु पोंछने तुम्हारे परिवार के
राष्ट्र प्रकट संवेदना कर रहा है
अभागे तुम्हारे परिवार का सहारा बनने
ऋणी राष्ट्र नियुक्त करता है
तुम दोनों को शिक्षक ,तहसीलदार बनाकर
व्यवस्था देश की बिगड़ रही है
तुम दोनों बेटी मातृभूमि सपूत की हो
कृपया पोंछ लो अपने आँखों के आँसू
दायित्व साहस और न्याय से दोनों
सम्हलो स्वयं और राष्ट्र को सम्हालो
तुमने विकट बचपन जिया है
विपरीत स्थिति में पली बड़ी हो
विकट स्थिति में राष्ट्र है अपना
दायित्व सही मायनों में
आज नहीं निभाये जा रहे हैं
अन्याय और अविश्वास की ओर
पीढ़ी भटक कर जा रही है
तुम दोनों ने विषम जीवन देखा है
अपने अन्दर के विकट साहस से
तुम ठान लो और उसे राह दिखाओ
मातृभूमि सपूत बेटे की लाडली बेटियों
यद्यपि खो चुकी अपने पिता को तुम
तुम नहीं अनाथ समझना स्वयं को
सिर पर शहीद सरबजीत की बेटियों तुम पर
अनुग्रही नागरिकों का आशीर्वाद पिता सा है