Wednesday, March 30, 2016
Tuesday, March 29, 2016
Monday, March 28, 2016
Sunday, March 27, 2016
दार्शनिक ..
वैवाहिक संबंध में विफलता को दार्शनिक बन जाने का कारण निरुपित करना
त्रुटि पूर्ण है। वैवाहिक संबंध में विफलता मनोरोग की जनक तो हो सकती है,
किसी को दार्शनिक नहीं बना सकती। दार्शनिक कोई मनोरोगी नहीं होता।
--राजेश जैन
27-03-2016
त्रुटि पूर्ण है। वैवाहिक संबंध में विफलता मनोरोग की जनक तो हो सकती है,
किसी को दार्शनिक नहीं बना सकती। दार्शनिक कोई मनोरोगी नहीं होता।
--राजेश जैन
27-03-2016
हमें अपना समाज-राष्ट्र भला बनाना है ...
संबंधों को विराम दे देना यों
तो सुविधा जनक होता है ,लेकिन मत
अंतर के कारणों में जाकर स्वयं को एवं अन्य को सच्चाई समझने को प्रेरित करना समाज
बनाना होता है। अनेक फेसबुक मित्र अपरिचित
होते हैं। इनके बीच लिहाज उतने दृढ़ नहीं होते हैं। इसलिए
आरोप प्रत्यारोपों और अप्रिय कथनों के साथ किनारा करते अनेक किस्से बनते हैं। यदि
ऐसी अप्रियता को धैर्य से ठीक करने के प्रयास किये जायें तो फेसबुक का प्रयोग समाज
सोहाद्र बढ़ा सकता है।
"हमें अपना समाज-राष्ट्र भला बनाना
है"
--राजेश जैन 27-03-2016
https://www.facebook.com/PreranaManavataHit
Friday, March 25, 2016
अपने पर निराशा हावी न होने दें ..
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%A4%E0%A4%B8%E0%A4%B2%E0%A5%80%E0%A4%AE%E0%A4%BE_%E0%A4%A8%E0%A4%B8%E0%A4%B0%E0%A5%80%E0%A4%A8
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AE%E0%A4%B2%E0%A4%BE%E0%A4%B2%E0%A4%BE_%E0%A4%AF%E0%A5%81%E0%A4%B8%E0%A5%81%E0%A4%AB%E0%A4%BC%E0%A4%9C%E0%A4%BC%E0%A4%88
Thursday, March 24, 2016
Sunday, March 20, 2016
Saturday, March 19, 2016
Friday, March 18, 2016
ससुराल , मायके से कम नहीं
माँ-पापा से अपने स्नेह को
बेटी ,ऐसे अपने को न बाँधों
पति के माँ-पापा को जिसमें
तुम , माँ-पापा सा ना जानो
--राजेश जैन
हितैषी
दो वक़्त की रोटी को बहुत
नहीं लगता था
लालच न करता तो रिश्ते
निभा सकता था
जो फ़िक्र करता भूखा ना
सोये अपना कोई
सहायता करता तो हितैषी बना
सकता था
--राजेश जैन 18-03-2016
https://www.facebook.com/PreranaManavataHit
बहुत सी अच्छाइयाँ जीवन में
साधारण हम हैं नहीं जी पायेंगे
कुछ अच्छाई जो हम जी सकते
उन्हें जी असाधारण हो जायेंगे
Thursday, March 17, 2016
4 घंटे कार्य के लिए
नारी को 4 घंटे कार्य के
लिए पुरुष के फुल टाइम जितनी सैलरी दी जानी चाहिए। देश में नारी को दुगुनी जॉब ओपोर्चुनिटी मिलने से अधिकतम नारी
वर्किंग होंगीं। प्रथमदृष्टया पुरुष और कंपनी के लिए
अहितकर लगने वाला यह आईडिया उनके लिए हितकर ही सिध्द होगा , यह ‘कैसे’? के लिए तर्क किये जा सकते हैं ....
--राजेश जैन
18-03-2016
परस्पर आकर्षण
कुछ थोड़ी शारीरिक बनावट अंतर से
नारी-पुरुष परस्पर आकर्षण रखते हैं
संतति बढ़ाने प्रकृति ने ऐसा बनाया
क्यों? शोषण-अनादर नारी का करते हैं
--राजेश जैन...
17-03-2016
https://www.facebook.com/narichetnasamman
नारी-पुरुष परस्पर आकर्षण रखते हैं
संतति बढ़ाने प्रकृति ने ऐसा बनाया
क्यों? शोषण-अनादर नारी का करते हैं
--राजेश जैन...
17-03-2016
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नारी पक्ष
आज जो आव्हान ,नारी कर रही है
वह याचना नहीं , चेतना ला रही है
दर्पण दिखा रही "नारी पक्ष" नाम का
जिसमें तुम्हारे , कुकर्म दिखा रही है
--राजेश जैन
17-03-2016
https://www.facebook.com/narichetnasamman/
वह याचना नहीं , चेतना ला रही है
दर्पण दिखा रही "नारी पक्ष" नाम का
जिसमें तुम्हारे , कुकर्म दिखा रही है
--राजेश जैन
17-03-2016
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Wednesday, March 16, 2016
नारी ,आज बदली है
कहानी अब बदली है
नारी ,आज बदली है
आत्मविश्वासी लगती
मुख की आभा अब बदली है
--राजेश जैन
नारी ,आज बदली है
आत्मविश्वासी लगती
मुख की आभा अब बदली है
--राजेश जैन
16-03-2016
Tuesday, March 15, 2016
ऐसे क्यों बदलते हो ?
ऐसे क्यों बदलते हो ?
बच्ची है तो इतनी प्यारी उस पर
हर कविता प्यारी होती है
प्रेमिका हुई तो उसकी हर बात
मधुर संगीत सी लगती है
विवाह के वक़्त दुल्हन देख
ह्रदय में फुलझड़ी सी चलती है
कुछ वक़्त गुजरा अब पत्नी की
हर बात हथौड़ी सी लगती है
--राजेश जैन 15-03-2016
https://www.facebook.com/narichetnasamman
Monday, March 14, 2016
Sunday, March 13, 2016
नारी स्वाभिमान के लिए कार्य
नारी स्वाभिमान के लिए कार्य
2040 में एक दिन तेईस वर्षीय सुदृढ़ को 12 मार्च 2016 की "नारी चेतना और सम्मान रक्षा " एफबी पेज की काव्यात्मक कहानी पढ़ने मिली। उसे ऐसी संभावना प्रतीत हुई की वह स्वयं वह पति तो नहीं जो उस कहानी में पति की आत्मा बताई गई थी। उसे ऐसा लगा की मरने के बाद पत्नी आत्मा का यह व्यंग बाण उसके हृदय में भिद गया -
" मुझे तो रहा असम्मान का अभ्यास ,पर
प्रिय ,पुरुष होकर तुम्हें अभ्यास कहाँ रहा "
जिसके कारण वह इस जन्म में हर नारी के सम्मान को संकल्पित रहा। उसने कॉलेज में और अब ऑफिस में उसने ,अपने साथ की अनेक लड़कियों युवतियों को ,लड़कों की समान व्यवहार करते पाया , वे साथ स्मोक कर रही थीं , साथ ड्रिंक्स ले रहीं थीं , संबंधों में भी खुले विचार की थीं। वह देख रहा था , युवाओं के विवाह कई कई बार टूट जुड़ रहे हैं। 'नारी ने पुरुष की बुराइयों में समानता की' सुदृढ़ को इनसे असहमति तो थी ही उसके मन में प्रश्न उठता , क्यों नारी ने अपनी पूर्व अच्छाइयों के समान बनने के लिए ,पुरुष को प्रेरित करने का विकल्प नहीं चुना ? कुछ ही नारी वह समानता हासिल करने का प्रयास कर रहीं थीं , जो कुछ पुरुषों में है , 'पीढ़ी को सच्चा नेतृत्व और दिशा देने का'। सुदृढ़ ,तब भी सभी नारियों का आदर करता था। उसे लगता नारी में सच्ची चेतना का संचार नहीं हो स्का है।
उसे उपरोक्त स्टोरी के पढ़ने के बाद लगा कि अगर यह कहानी उसकी ही है तो , निश्चित ही उसकी पत्नी ने भी इस भावना के कारण नारी जन्म ही पाया होगा -
"न बना सके समाज कि एक दृष्टि से देखे जायें
अतः चाहती कि हम इसी रूप में वापिस आयें "
और इसलिए उसने तय किया कि अब वह इस नारी "गरिमा" की तलाश करेगा और विवाह कर आजीवन निभाएगा और इस जन्म में नारी स्वाभिमान के लिए दोनों मिलकर नारी जीवन को नई ऊँचाइयाँ देने के लिए साथ कार्य करेंगे.
--राजेश जैन
14-03-2016
https://www.facebook.com/narichetnasamman
2040 में एक दिन तेईस वर्षीय सुदृढ़ को 12 मार्च 2016 की "नारी चेतना और सम्मान रक्षा " एफबी पेज की काव्यात्मक कहानी पढ़ने मिली। उसे ऐसी संभावना प्रतीत हुई की वह स्वयं वह पति तो नहीं जो उस कहानी में पति की आत्मा बताई गई थी। उसे ऐसा लगा की मरने के बाद पत्नी आत्मा का यह व्यंग बाण उसके हृदय में भिद गया -
" मुझे तो रहा असम्मान का अभ्यास ,पर
प्रिय ,पुरुष होकर तुम्हें अभ्यास कहाँ रहा "
जिसके कारण वह इस जन्म में हर नारी के सम्मान को संकल्पित रहा। उसने कॉलेज में और अब ऑफिस में उसने ,अपने साथ की अनेक लड़कियों युवतियों को ,लड़कों की समान व्यवहार करते पाया , वे साथ स्मोक कर रही थीं , साथ ड्रिंक्स ले रहीं थीं , संबंधों में भी खुले विचार की थीं। वह देख रहा था , युवाओं के विवाह कई कई बार टूट जुड़ रहे हैं। 'नारी ने पुरुष की बुराइयों में समानता की' सुदृढ़ को इनसे असहमति तो थी ही उसके मन में प्रश्न उठता , क्यों नारी ने अपनी पूर्व अच्छाइयों के समान बनने के लिए ,पुरुष को प्रेरित करने का विकल्प नहीं चुना ? कुछ ही नारी वह समानता हासिल करने का प्रयास कर रहीं थीं , जो कुछ पुरुषों में है , 'पीढ़ी को सच्चा नेतृत्व और दिशा देने का'। सुदृढ़ ,तब भी सभी नारियों का आदर करता था। उसे लगता नारी में सच्ची चेतना का संचार नहीं हो स्का है।
उसे उपरोक्त स्टोरी के पढ़ने के बाद लगा कि अगर यह कहानी उसकी ही है तो , निश्चित ही उसकी पत्नी ने भी इस भावना के कारण नारी जन्म ही पाया होगा -
"न बना सके समाज कि एक दृष्टि से देखे जायें
अतः चाहती कि हम इसी रूप में वापिस आयें "
और इसलिए उसने तय किया कि अब वह इस नारी "गरिमा" की तलाश करेगा और विवाह कर आजीवन निभाएगा और इस जन्म में नारी स्वाभिमान के लिए दोनों मिलकर नारी जीवन को नई ऊँचाइयाँ देने के लिए साथ कार्य करेंगे.
--राजेश जैन
14-03-2016
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Saturday, March 12, 2016
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