Wednesday, January 31, 2018

उम्र के आकर्षण को - प्यार कहना ठीक नहीं
मिलकर या न मिलकर भी - निभा लें जिसे वो प्यार है

प्यार एक से ही होता - कहना ठीक नहीं
हितैषी हम जितनों के - सभी से हमें प्यार होता है

प्यार जब परिवार बनें - उसे तो निभाओ तुम
प्यार 'और परिवार' से हो - उस परिवार को बचाओ तुम

जी हाँ प्यार एक से नहीं - अनेकों से हो सकता है
बस 'वासना' को नहीं - हमें 'सहारा' को प्यार कहना होगा

नफ़रत की नज़र से देखो तो - दुनिया दिल को जला देगी
प्यार की नज़र से देखो तो - दुनिया दिल खुश कर देगी

नफ़रत भरे 'दिल' - न ख़ुद और न ही औरों को खुश रखते हैं
ग़र खुशियाँ दुनिया से चाहते तो - दिल में प्यार रखना होगा

बनाने का नाम - प्यार होता है
मिटाने की कहें तो , नफ़रत की दीवार गिराना - प्यार होता है

छोड़ ही जाना है तो - अपनी यादें और बातें भी ले जाओ तुम
'छोड़ना' , 'याद आ के परेशां करना ' - ऐसे ज़ुल्मी तो न बनो तुम

जिसने तसल्ली दी उसे गैर समझ लिया हमने
दर्द समझने की फ़ुरसत नहीं उसे हम अपना कहते हैं

शायरी , दर्द पर नज़र करे ज़माना इसलिए हमने की थी
भूल हुई - शायरी से हम उनके दर्द कुरेद बैठे



 

Tuesday, January 30, 2018

मैं मुस्कुराना ही चाहता हूँ कि - देख तुम खुश होते हो
क्या करूँ मगर , आँखें मेरी बग़ावत करती हैं - साथ नहीं देती हैं

इंसान अगर अच्छा कोई - मज़हब न देखना तुम
पैदा पहले इंसान ही होता - मज़हब ओढ़ लेता है

औरों को दर्द देता - मज़हबी वह रंग बदल लो तुम
इंसान पैदा होता कोई - इंसानियत से जीने के लिए

सब मज़हब हमें प्यारे हैं - अनुयायी अगर मोहब्बत बाँटें
नफ़रत की चिंगारियाँ फ़ैलाते - मज़हबी ऐसे , इंसान हैं??

अच्छा ही लगे तुम्हें - ऐसा हर बार लिख न सकेंगे
परिवेश का फ़र्क है - ख़यालात तो कुछ अलग होंगे

सर्वहिताय मंशा रख - काम हम दोनों करें
तरीक़े भिन्न मगर - हम इंसान नेक होंगे

ख़्याल उसका - हमारे दिल से जाता ही नहीं
इसलिये हर जग़ह नज़र उसकी - देखती हमें लगती है

रियासत ,विरासत , रीवायते की फ़िक्र अलग करके - इंसानियत से जी ले अगर
मुसाफ़िर का - ज़िंदगी का यह हसीं सफ़र - सुहाना बन जाएगा

गुलज़ार मंज़र भी कोई दिलख़ुश न करता कोई
इंसान में मोहब्बत अगर , जन्मज़ात होती नहीं

 

Monday, January 29, 2018

सूरज - चंद्रमा नहीं मिलते पर भला धरती का करते हैं
ना मिलें इसी तरह मगर - आओ हम समाज भला करें

#हैसियत
ख़ूबसूरत हम नहीं - मगर जीने का चाहतों में कोई फ़र्क नहीं
ख़ूबसूरती से नहीं - पर ख़ूबसूरत कामों से हैसियत में हर्ज़ नहीं

#कैफ़ियत
मत हो उदास - गर ख़ूबसूरत तू नहीं
ख़ूबसूरत कैफ़ियत हासिल करने का - मिला मौका तुझे अच्छा है

#ख़ूबसूरत
ख़ूबसूरत गर तुम - आत्म सम्मोहन में ना डूब जाओ
ख़ूबसूरत गर नहीं - आत्म हीनता बोध से उबर जाओ

#ज़िंदगी
ख़ूबसूरत तुम नहीं - इसमें कोई कमी नहीं
इंसानी ज़िंदगी होना - कम ख़ूबसूरती नहीं 

#अंज़ाम
ख़ूबसूरत गर नहीं या - उम्रदराज़ होने से नहीं बची
देखो मगर कि कलाम ने - क्या कारनामे अंज़ाम दिये

#मनोबल
ख़ूबसूरत नहीं और जो हीनता बोध से हैं ग्रसित
कि मनोबल न खोयें - उनके लिए लिखना है कुछ हमें

तुम्हारे देर से आने में - कोई शिक़ायत नहीं हमें
लेकिन देखो कि
छोटी सी ज़िंदगी में - कितने ही पल तुमसे दूर हम रहे

तराश तुम सकते हो तो पत्थर भी भगवान है
तराश न सको तो - इंसान से भी शिक़ायत होगी

ख़्वाब में मिलो तो - एहसान यह भी करो
कि जागें जब हम तो भी - साथ तुम रहो


 

Sunday, January 28, 2018

बीस बचे माने तो 40 क्विंटल अनाज 60 क्विंटल वनस्पति खा लेंगे
दे न सके कुछ समाज और मानवता को तो बोझ के सिवा क्या देंगें

हमसा न मिलेगा - तुम्हें कोई चाहने वाला
इसलिए
मोहब्बत तो रखना सभी से तुम - मेरी मोहब्बत सी अपेक्षा न रखना
ख़ुद के लिए है हर कोई ख़ास - ऐसे ही अपने लिए मैं हूँ
ख़ास बात मगर कि - ख़ासियत औरों में देखता भी मैं हूँ

जी अच्छा है - किसी का ईमान आप नहीं
लोग सबसे पहले भूलते वह ईमान ही तो है

 

Saturday, January 27, 2018

जितने सुंदर विचार उनके - साक्षात मिलने में अनुभव नहीं होते
जितने सुंदर दिखते फेसबुक पर हम - उतने सुंदर नहीं दिखते

दिखाते जितना भला ,खूबसूरत ख़ुद को - वैसे अगर हम हो जायें
दुनिया में अफ़साने दग़ाबाजी के और ग़म सभी - ख़त्म हो जायें

बाहरी नशे में - कोई शायर नहीं बनते हैं
मोहब्बत का उन्हें नशा - जो शायरी रचते हैं

हैरत क्यों नशा कोई तम्बाखू - शराब का करे
हो नशा मोहब्बत का जो - कुछ ख़राब ना करे

क्यों ख़राब नशों में डूब - ज़िंदगी ख़राब करते हैं
डूबो मोहब्बत के नशे में - कि सब इसको तरसते है

उस नज़रिये पे कुछ नहीं कहना - जिससे लोग दुनिया देखते हैं
मगर बने तो ख़ुद अच्छे कि - नज़ारे बेहतरीन हों

पहले हिज़ाब में कुछ मर्द छिपके रहा करते थे
अब तो फीमेल आईडी में छिपे अनेकों बैठे हैं


#पद्मावती
जो मर गई नारी का नाम भी सम्मान से लेता है
वही जीवित नारी का भी सम्मान किया करता है

लिमिट भी तो देखले - कुछ कहने से पहले
अपने लिए ही नहीं कर सकता , बड़ा कहता - कुछ भी कर सकता हूँ तुम्हारे लिए

हँसी ठिठोली के टारगेट - पर नारी ही क्यों
क्या मर्दों की हँसी उड़ाने से - हम डरते हैं ??

ज़िस्म पर शबाब जब तक - पता सब जानते हैं
फिर कहाँ हैं हम - किसी को पता करने की फ़ुरसत कहाँ

मेरी चाहत - क़लम की ताक़त से ज्यादा है
चाहूँ भी लिखना तो - मैं लिख नहीं सकता

ज़िंदगी का सफ़र है जब तक - औरों को साथ लिए चलता चल
अवसान के बाद चल न सकेंगे - औरों के कंधों पर उठना होगा

करोड़ों की इस दुनिया से - रुखसत की बात हम क्यों करें
कुछ तो होंगे जो पसंद करेंगे - एक से आबाद दुनिया करें

दुपट्टा पसंद तो - तुम दुपट्टे की दुकान खोल लो
चाहने की वज़ह इंसान में देखो - कपड़ों में नहीं

बेरुखी से भी शिकायत जिसे नहीं
मोहब्बत क्या है वही समझता है

कहीं से गिरने पर चोट का तो इलाज़ है
मगर
कहीं नजरों से गिरे तो जीना मुहाल होगा


 
मोहब्बत - जब मोहब्बत होती है
सितम , शिकवे-शिकायत - कोई अंतर नहीं करते

#दिल_अपना_ही_तो_है
दुश्मनी में जीकर - दिल में काँटे लगाओगे
मोहब्बत से जियो - दिल में फ़ूल खिलाओगे

उनको हम याद ही क्यों आयें - जो पलट चले गए
हमारा याद करना जायज़ है - हमें तो वो पसंद थे

 ख़ुदा से माँग का - हाथ तो पसारता है
पर लेना
ख़ुदा की मर्ज़ी से नहीं -अपनी मर्ज़ी से चाहता है

शौहर का किया-दिया - कोई ग़म नहीं दिखता
ऐसी दौलत को शौहर - बे ग़म कहा करता है

 

Thursday, January 25, 2018

लिखलो वो बातें जो कहना - औरों से मुनासिब नहीं
लिखलो वो बातें जो न कहें तो - दिल बेचैन होता है

शिक़वे-शिकायतें - मोहब्बत में आम बात है
ये कहना कि - मोहब्बत नहीं है गलत होगा

तुम भी रखते अपने दिल में मोहब्बत
हमारे दिल में भी बसती है मोहब्बत ही
चलो हम मोहब्बत से पेश आना शुरू करते हैं

गणतंत्र दिवस , है दिन अच्छा - चलो हम शुभारंभ करते हैं
हर दिल में है मोहब्बत - मोहब्बत के नए अंदाज़ पेश करते हैं

हम क्यों उदास - बयां न करेंगे
आप हों उदास - देख न सकेंगें

आपकी उदासी की हर वज़ह - दूर करेंगे
ग़म अपने बयां कर वज़ह - हम न बनेंगे

जो आप की उदासी का अंदाज़ ही - कर न सकेंगे
आपसे है हमें मोहब्बत - हम किस मुहँ से कहेंगे

कैसी है तुम्हारी मोहब्बत - मजबूरी भी समझी नहीं
ख़ुशियों की हिक़मत में थे व्यस्त तो - पलटना कह गए

जो कहते कि हम समझते नहीं - सब बहाने हैं उनके
कि चेहरे पे हँसी के पीछे छिपे दर्द - समझना मुश्किल नहीं

दिलाते हैं भरोसा कि - "इश्क़ है तुमसे"
औरों से भी यही जुमला कहते हुए
एक के बाद एक - कई से दग़ा करते हैं

आँखें या मुखड़े को पढ़ने की ज़रुरत क्या है
एक ज़िंदगी क्या चाहती - ये जानते हम हैं

हम ढूँढ़ते हैं ज़रिये कि - सुकून आपको मिले
इरादे नेक मगर खेद कि - बनते हैं दर्द आपके लिए


इज्ज़त बक्शी हमें - अपनी ज़िंदगी से बढ़कर
खेद कि उनकी ज़िंदगी - हमने दुश्वार कर दी

तेरे वादों का वज़ूद - क्या ख़ाक होगा
जब तूने ही अपना वज़ूद - बदल डाला

ख़्वाब में ज़िंदगी जीना - क्या ज़िंदगी है??
चलो होश में - हाथ में हाथ ले हम टहलते हैं

मर मर के जिये - तुम्हारा ऐतबार करके
चाहते हो हम से इसे - हम ज़िंदगी कहें




 

Wednesday, January 24, 2018

हम पसंद करते हैं उसको - उसका प्रमाण भी देते
उन्नति के उसके मार्ग से - सारे अवरोध हटा देते

जीने की उनकी राहें - मुश्किल किया करते हैं लोग
ऐसी करनी को - उनसे प्यार करना कहते हैं लोग

अभिव्यक्ति को मचल रहीं थी - लेखनी बहुत सी
अभिव्यक्ति को मिला प्लेटफार्म तो बाढ़ आ गई
#अब_पढ़ता_कौन_है??

प्यार करते हो तुम , मुझसे - यह सिध्द तब ही होगा
मेरी जीवन राह में , अवरोध हटा - तुम सरल कर दोगे

जो आता था , जो करता था - उसका अभिमान मिट गया
अब हो क्षीणकाय , बस - मैं एक शुध्द आत्मा ही रह गया

उपकार किसी से कोई जब लेता है - कुछ लौटाने की कोशिश ही करता है
परोपकार आड़ में छल देख - प्रयोजन परोपकारी का भी संदिग्ध रहता है

पत्थर को सम्मान देना - किसी को हानि नहीं करता
किसी इंसान को चाह लेने से - कोई गुनाह नहीं होता

Tuesday, January 23, 2018

मेरी मोहब्बत की तुम - मुझसे तो मत पूछो
तुम तो हो दुनिया में - यह ख़्याल ही हमें सुख दे देता है

मेरी मोहब्बत की तुम - मुझसे तो मत पूछो
तुम तो हो दुनिया में - यह ख़्याल ही हमें सुख दे देता है

है ख़्याल मुझे कि
तुम नहीं क़रीब तो - कुछ अपने लिए करते होगे
तुम आये करीब तो - हमारे लिए जीते होगे

हमारे लिए ही जीते हो तुम - तो कैसे हम ख़ुश होंगे
अपने लिए भी जी लो तुम - देख इसे हम ख़ुश होंगे

तुम्हें परेशां भी कुछ देखना - हमें सुख देता है
मालूम कि हमारी फ़िक्र में ही - परेशां तुम होते हो

मन को तुम्हारे पढ़ लेता - अलबत्ता लफ्जों में बयां नहीं होता
कह सकते हो तुम कि - पढ़ा तो हूँ मगर मैं लिख नहीं सकता

पढ़ा-लिखा तो है जग - पर मन की पढ़ लेना भूल गया
बढ़े ज़ुल्म कि - मनोवेदना भी कुछ होती वह भूल गया

ज़ायका मेरे होंठों का - निजी बात है
जग़ज़ाहिर न करो कि - लोग जलते हैं

ज़ायका मेरे होंठों का - भले मीठा है
न लिखो मगर कि - लोकलाज भी कुछ होती है

 

Monday, January 22, 2018

क्या करते कि नित - प्रातः हम उठ जाते हैं
अपनी ख़ुशी , अपने हित , अपने अभिप्राय ही तो साधा करते हैं

प्रातः उठ लिए आज तो - भला ही तो है
अपने अभिप्राय में - औरों की ख़ुशी , औरों के हित को शामिल कर लीजिये

कल तक करते रहे - फ़रेब हम औरों के साथ
अल सुबह आज - बात इसे इतिहास की कर दीजिये

आज से भविष्य हमारा - सर्वहित के लिए समर्पित है
जीवन नहीं दोबारा , महामानव आप - आज यह संकल्प लीजिये

देखिये इतिहास में बुरे और भले - दोनों ही लोग हैं
किस के स्मरण से - विषाद या मिठास स्वतः अनुभव कीजिये

सभी ख़्वाब किसी के - हक़ीक़त में तब्दील नहीं होते
ऐसे नहीं बनें हम कि - ज़िंदगी में हौंसले ही खो दें

हौंसले खुद रखिये - औरों को हौंसला भी दीजिये
दुनिया नहीं सिर्फ़ तेरी - औरों को भी जिंदगी का हक़ दीजिये

सच जिनको - ख़ुद ही मालूम है नहीं
अपने सच के अपमान से - मन मायूस मत कीजिये

 

Sunday, January 21, 2018

लफ़्ज हैं - जिससे कभी दिल ऊब जाते हैं
पर लफ़्ज ही हैं - जो दिल को स्फ़ूर्त करते , कभी हँसी लाते हैं


दिल में कुछ - बयां कुछ करता है
इंसानी शातिराई जिसमें - लव ,प्यार ,इश्क़ ,मोहब्बत के अल्फ़ाज़ कहता है

प्यार का अस्तित्व नहीं होता - ये हम नहीं कहते हैं
प्यार मगर शब्दों से ज्यादा - हृदय से अनिभूत होता है

दिल में हो प्यार- सिर्फ़ माशूक़ा से कहने की बात नहीं
क्या कौम, क्या भाषा, क्या देश,क्या पुरुष,क्या नारी- सबसे प्यार हुआ करता है

नेक बंदा वह जो - मज़हब से 'इल्म ए मोहब्बत' लेता है
कौम से या देश से भी पहले - दिल में मोहब्बत हर इंसान से रखता है

इबादत कर रहे हैं - औरों को दिल तोड़ने वाले
ख़ुदा कहते हैं - बंदे ऐसे मेरी इबादत नहीं होती


इश्क़ ग़र - संकीर्ण दायरे में ना लिया जाये
तो दायरे में , दूरियों में भी - ताउम्र इश्क़ रहता है

देखने वाले अपनी हवस से भी देखते हैं
हम तलाशते उन्हें - जिनके दिल में हमारे लिए जगह है
 

Saturday, January 20, 2018

कोई साथ नहीं देता है - 'कोई साथ' नहीं रहता है
है ज़िंदगी मेला जिसमें - भ्रम आते जाते रहता है


कि साथ मेरे सब हैं - भ्रम जितने दूर तक बना रहा
ज़िंदगी का उतना सफ़र मेरा - ख़ुशनुमा गुजर गया

कि वक़्त आ गया अब - साफ़ नज़रों से ज़िंदगी को देख लूँ
कि साथ का भ्रम ख़ुशनुमा है - क़ायम इसे ताउम्र को कर दूँ



जिन्होने जिस्म को जाना - हमारी रूह को जाना नहीं
चाहे हों हमारे अपने ही - उनके लिए हम अजनबी हैं

जिस दिन रूह को अपनी - आप जान लोगे
उस दिन साथी मेरे - तुम मुझे पहचान लोगे

ख़ुद को तू भी - सिकंदर ना समझ
आज तेरा ग़ुलाम है - वो कल सिकंदर हुआ करता था


 

Friday, January 19, 2018

सोचा नहीं था माँ ने - कभी बेटे का घर पराया लगेगा
वक़्त ने गलतफ़हमी थी - आज एहसास यह कराया है

कल घऱ था माँ का - आज बेटे को अपना लगता है
पर
किसी का न कोई घर - वक़्त ने हर बार दिखाया तो है

कैसी है इंसानी फ़ितरत - बार बार भूल वही करता है
हर बार खाता है ठोकर वक़्त की - मगर सीखता नहीं

ज़िंदगी ने हमें जीने को - मोहलत बहुत बार तो दी है
लगता हमें मगर अब - बहुत बार मोहलत मिलेगी नहीं

जिल्लत नहीं दिखा - ज़िंदगी से गुज़ारिश हम करते रहे
पर रिवाज़ बनें ऐसे - इज्ज़त से इंसान जी सकता नहीं


अपनी इज्ज़त की फ़िक्र में - वह ज़िल्लत औरों को देता है
इस इंसानी फ़ितरत में - इज्ज़त नहीं ज़िल्लत , का लेना देना है

खुद को ही ग़र - हम बदल लेते
फिर ज़माना है कैसा - शिक़वा नहीं रहता

ज़माने जैसा रहे फिर - हमने ख़ुद को बदल लिया
ज़माना कैसा , जाना - है सुधार क्या ज़रूरी भी , हमने जान लिया

अहसास में, ज़हर - तो इश्क़ मर्दज़ात है
अहसास में , दवा - तो इश्क़ स्त्रीज़ात है




 

Thursday, January 18, 2018

ज़िंदगी की उलझनों में भी - जीने का जज़्बा है
तबियत से मुस्कुरा ही लें - पर सामान महँगा है

छोड़ भी दें मुस्कुराना - पर तुम्हें उदास देख न सकते
हम खुश तो तुम मुस्कुराते - ख़ातिर हमें मुस्कुराना है

मुस्कुराते तुम रहो - मुस्कुराते हमें सब चेहरे पसंद
छिने मुस्कुराहट तुम्हारी - खुश हम रह सकते नहीं

सँस्कृति हमारी ऐसी हो कि - मुस्कुराते सब रहें
छीनती ख़ुशी किसी की - उसे सँस्कृति कैसे कहें

बीतते दिनों की तरह - इक दिन हम बीत जायेंगे
हैं दिन जब तक हमारे - तुम्हारे हम दिन बनायेंगे

कही जा चुकी बातें - उनसे आगे की हमें कहना है
सर्वहित निहित जिसमें - सँस्कृति हमें वह देना है

नहीं सीमित करो - किसी एक परिधान में
नारी है जिस पर - सभी परिधान फ़बते हैं


 

Wednesday, January 17, 2018

जी गया ज़िंदगी पर - तूने कोई मिसाल न दिया
ले जा न सका साथ - ज़िंदगी में तूने वही किया

है जिंदगी तभी कुछ - तू औरों के लिये भी कर ले
और देंगें चार कंधे तुझे - बाकि एहसान न रख ले

बेशक आँख मूँद के - अपने हसीं ख़्वाब तू देख
औरों के हैं ख़्वाब - तू आँख खोल कर भी देख

मेरा होना संसार में - जरा आवश्यक नहीं
कुछ काम अगर मैं - किसी के आता नहीं

वाहवाही मिलती रही - सब साथ उसके हैं , भ्रम में रहा
मुसीबतें टूटीं उस पर - समझा अकेला था , अकेला रहा

"जी हुजूर" लहजा न था - जवान , हम ही हुजूर थे
लहजा बदल लिया अब कि - हमारे सब ही हुजूर हैं

है जिंदगी - तू 'औरों' के लिये भी तभी कुछ कर ले
'और' देंगें चार कंधे तुझे - बाकि एहसान न रख ले

 

Tuesday, January 16, 2018

अज़नबी हम मगर - एक बात से वाकिफ़ हैं
मोहब्बत अपने दिल में - तुम और हम रखते हैं

जबरन नहीं तुम - मोहब्बत से हासिल कर लो
जबरदस्ती से हम दूर - मोहब्बत से तुम्हारे होंगें

मोहब्बत है पैदाइशी - डिफ़ॉल्ट सेटिंग सबकी
मज़हब का बहाना लेकिन - कस्टमाइज कर नफ़रत सेट करता है

मज़हबी तू कैसा है - मज़हब मोहब्बत से रहने कहता है
मज़हब का ले बहाना मगर तू - नफ़रत दिलों में भरता है

हिक़ारत से देखे कोई - तुझे नापसंद है
फ़िर नफ़रत किसी के लिये - दिल में रखता क्यूँ है

अज़नबी से रु ब रु - जब उसका भरोसा न ज़ीत सका
ले ली क़लम मैंने - अब दिल खोल के मोहब्बत लिखता हूँ



 

Monday, January 15, 2018

एक तो ऐसा लिख दूँ कि औरों का दिन बन जाये
अपना दिन बनाने की फ़िराक में तो सारा ज़माना है

दो अल्फ़ाज़ मोहब्बत के - मुस्कुरा के मैं बोलूँ
कि यहाँ हर कोई नहीं - जो मेरी दौलत का मोहताज़ है

छोड़ूँ मज़हबी मैं कहना खुद को
 गर भगवान का नाम ले छल करूँ - अल्लाह का नाम लेकर मार दूँ

जो नहीं कहते तुम - वो ग़र हम समझते हैं
तुम्हारी हमसे मोहब्बत को - लोग ग़ुनाह कहते हैं

सुकून में भी हूँ - होश में भी मैं हूँ
मोहब्बत हुई मुझे - वो मोहब्बत मुझसे करता है

दिन बदलें मगर - दिल न बदले ये कभी
रिश्ते जो हसीं लगते हैं - बोझ लगें न कभी


 

Sunday, January 14, 2018

बनते हैं निशानेबाज़ - निशाना नहीं आया है
बुराई को मार न सके - इंसान को उड़ाया है

प्रमाण पत्र देने की पात्रता नहीं - प्रमाण पत्र देते हैं
 पागल तो ख़ुद हैं मगर - औरों को पागल कहते हैं

बरगला के - नफ़रत की राह पर धकियाया है
मज़हबी बता ख़ुद को - मासूमों को सताया है

बिके हुये जिनके नाम - उन्हें हम देखते हैं
छिछोराई भी करते तो - पेट पकड़ हँसते हैं

तुमको मेरे लिखने में - मोहब्बत क्यों नहीं दिखती
मोहब्बत ही तो है - क़लम नफ़रत पे वार करती है

सिर्फ मेरी मोहब्बत से तुम - ख़ुश नहीं रह पाओगे
फ़िजा में रहे मोहब्बत की खुश्बू - क़ोशिश इसलिये है

कहते हैं - बेवफ़ाई कोई शायर बना देती है
मेरे दिल में सिर्फ़ मोहब्बत है - शायर मैं न बन सका

जितने लम्हों में - पैग़ामे मोहब्बत दिया 
सिर्फ उतने लम्हों की - ज़िंदगी मेरी है

"लौट के जो घर नहीं" आये - का मातम तो होता है
"लौट के जो घर नहीं" पहुँच सके - उनको कोई रोता है??

मैं चुप रहता जब - बात दो दिलों को दूर कर सकती है
मैं बोल पड़ता जब - दो दिलों को मिलाने की बात होती है

तुम - मेरी यादों में क्यों खोये रहते हो
दिल में रखते हैं - मेरे दिल की तुम महसूस करो






 

Saturday, January 13, 2018

जुबां पे नाम आने पे - वो इश्क़ को समझें
ख़ामी कोई उनमें नहीं - इश्क़ में है अपने

सुन , चिढ़ने वाले तुझे भी - मैं अपना बना सकता हूँ
पर ये लम्हा तेरा ख़राब न कर - महफ़िल से जाता हूँ

आये तो हम महफ़िल में - मगर महफ़िल नहीं मेरी
मोहब्बत की सब नज़र तुझ पे - ये महफ़िल है तेरी

Friday, January 12, 2018

मददगार कोई चेहरा कब - हैवान हो जाये
महिलायें और बेटियाँ इसलिये - एहसान से कतराती हैं

उम्र एक आई थी - छेड़ना भी तेरा ख़ुशगवार होता
बचते रहे तुझसे हम कि - तमाशा बना चल देते तुम

मोहब्बत जताने वालों की नज़र - हुस्न पर अटक जाये कब
मोहब्बत की तलाश में जो - ज़हीन औरत एक , मर्दों से कतराती है

जीना ही हम चाहते थे - जीना ही वो चाहते थे
जीने के अपने तरीक़े में हमने - जीना उसका मुहाल कर रक्खा है

फेसबुक के मसालों में - मिर्ची की तरह शामिल हैं हम
किसी को अच्छे - किसी को बहुत तीखे लगते हैं हम

हँसते हँसते ही - अपनी बात कह जायेंगे , हम
समझना इसे बुराई किसी और की - और अपनी सुधार लेना तुम

पेशकश मेरी - न तो कोई शायरी ही - न कोई कविता है
औरों के लिये जी लेने का - मगर एक चुनिंदा सलीक़ा है


हाँ में हाँ न मिलाते तो - पसंद नहीं आते हैं लोग
बात पर हमारी है - हाँ में हाँ मिलाना जरूरी नहीं

गलत ना किया उसने - छोड़ के हम को
हमने ही कब समझा था - इंसान उस को

कदमों के निशां देख - तुम बढ़ जाना न उस पर
आज लोगों के क़दम - राहे - नफ़रत पर बढ़ते हैं

तेरी ज़िंदगी की ग़ज़ल - अधूरी यूँ रह गई कि
वादा समानता का था - पर चलने तेरी नहीं दी

आधुनिकता के सैलाब में प्रतिरोध नहीं बनता है
चलना भी ना चाहें तो भी धकियाये चले जाते हैं\

परोपकार का एक भी ख़्याल - ज़ेहन में क़ायम है
सुन ये दोस्त मेरे - तेरी ज़िंदगी जीने के लायक़ है

क्या तकलीफ़ है - अपने अंदरूनी ज़िस्म में उसे
बेख़्याल इससे रह - हमें तो अपनी ही पड़ी है


मोहब्बत में जिये - चार दिन भी बेहतर हैं
पूरी ज़िंदगी भी क्या - मोहब्बत जिसमें नहीं

खुलूस , मोहब्बत और मुरव्वत हो राजेश , तुममें
यह दौर भी तो देखे कि इंसान , कैसे होते हैं

 

Thursday, January 11, 2018

तुम अगर चल सको तो - साथ चलो मेरे
जहाँ सिर्फ मोहब्बत हो - वह मंजिल खोजेंगे

अपने दिल में हो मोहब्बत - तमाम औरों के लिए
औरों के दिल में हो हमारे लिए प्यार - शहर हम खोजेंगे

देखे कोई नफ़रत से - असफ़लता हमें लगती है
जहाँ प्यार हो हर नज़र में - वह नगर हम खोजेंगे

सिर्फ अपने जीने की फ़िक्र में - हम इंसान न लगते हैं
औरों की ज़िंदगी की फ़िक्र हो जहाँ - वह चमन खोजेंगे 

आसमान से प्यार बरसे - दरिया में आये मोहब्बत का सैलाब
जमीं पे खिली हों प्यारी प्यारी कलियाँ - मंज़र वह खोजेंगे

यथार्थ बदलना मुश्किल - सपने तो देख ही लें
सुना है हमने - कभी सपने भी साकार होते हैं


गम तो होता है जब कोई विदा लेता है , इसलिए
जब तलक हम दुनिया में आप अलविदा न कहना

हमारा दिल जब - धड़कता किसी और के लिए
मोहब्बत कहते हैं इसे - घबराहट बहुत होती है

सुलझने की ख़्वाहिश जब - कुछ भी करो मंजूर है
उलझनें चेहरे पर तुम्हारे - खंजर सी हमें गड़ती हैं

किसी और के हम - ख़ुद ही नहीं होना चाहते हैं
फ़र्क क्या फिर - वो अपना होने या ना होने दे

यद्यपि उर्दू ने हमारी - हिंदी अशुध्द कर दी
शुक्र फिर भी कि - मोमिन को इंसान ही देखा हमने




 

Wednesday, January 10, 2018

रोज रात ये ख्याल आता है - दिन से जो चाहिए था
थोड़े दिनों के जीवन में - बिना दिये एक बीत गया

सवेरा होता फिर - एक लक्ष्य लिए फिर उठता हूँ
कोशिशें जारी मगर - कुछ कोशिशों में चुकता हूँ

लक्ष्य धन कमाने का बनाता तो - कमा कुछ लेता मैं
लक्ष्य मगर नफरत मिटाने का - सरासर हूँ चूकता मैं

देखा है व्याप्त नफरत से - हर कोई है परेशान इधर
हैरत देख कि - दिल में अपने पालता है नफरत मगर

मोहब्बत से रहने के पैरोकार - सर्व धर्म हैं यहाँ
पर धर्म उक्तियाँ देकर - रखते हैं नफरत मगर

धन बाँटने खड़ा हो अमीर - तो लेने वाले अनेक घेरेंगे
लिए मोहब्बत का पैगाम - गरीब खड़ा अकेला मिलेगा

वक़्त गुजर रहा था - पास बैठने की फुरसत ना थी
ग़मगीन कि गुजर वो गया - वक़्त साथ गुजारा क्यों नहीं

ख्याल तो आये कोई - शायरी हो जायेगा
पारस है दिल मेरा - लोहा , सोना हो जाएगा

बाँहों में तुम हो तो - जीने की फ़िक्र होगी
मरने से क्या - कि रूह बिन बाँहें होती हैं


राजेश तुम तब भी मशहूर हुए होते - गज़ब कुछ ऐसा करते
अपना दर्द बयां करने की जगह - औरों के दर्द दूर करते

खेद कुछ दिल में लिये - हर लम्हा गुज़रता है
खेद यह भी कि - यूँ ही ज़िंदगी गुजरनी है

तुम्हें जानता भी नहीं - तुम्हें जानता भी मैं हूँ
कि मेरे से अरमान ही - तुम्हारे दिल में भी होते हैं

अरमां तो एकसे दिल में मगर - फर्क हममें है
मैं दिल में प्यार मगर - तुम नफरत रखते हो

दौलत जो होती बहुत - दौलत में ही ठहरते थे हम
फ़क्कड होकर तो हमने - दिलों की सैर कर ली है

कोई गिला नहीं कि - हमें , तुम पसंद नहीं करते
पर जिसमें तुम खुश हो - हम उसे पसंद करते हैं

जज़्बात की न करो बात - बहुत महसूस किये हैं हमने
मगर कहाँ गुमते ये जज़्बात - जब हुस्न रौनक खोता है

नींद उड़ाने वाले बहुत - जो जान ले लेते हैं
तुम भी उड़ाते नींद मगर - ख़्वाब दे देते हो

लो और इनाम बँटे - वह खाली हाथ रहा
भलाई के लिए वहाँ - कोई इनाम न था

आज
क़ुरआन का मोमिन नहीं - गीता का हिंदू नहीं
बाइबिल का मसीह नहीं - भड़कावे बहुत सारे हैं

खुदा ने सूरत तो उसे - बहुत दिलक़श दी थी
बदक़िस्मती ज़माने की - नक़ाब में ज़ब्त रही

खुदा ने सूरत तो उसे - बहुत दिलक़श दी थी
बदक़िस्मती मगर - नक़ाब हटाने की इजाजत नहीं 

आईना ताउम्र - खूबसूरत उसे कहता रहा
और सब भी कहते यह - कान तरस गए

पाबंदी अनेकों हैं - लोग पी लेते हैं
जीने के लिए कहके - पी के मरते हैं

रोना ख़त्म करके - मुस्कुराहटें देती है
मोहब्बत को मगर - लोग उल्टा लेते हैं

हस्ती कोई टूटे तो - आसमान टूट गया लगता है
साधारण हम अच्छे - टूटने से फ़र्क नहीं पड़ता है


 

Tuesday, January 9, 2018

जो अजीज थे हमें - आज अजनबी हो गये
कल तक थे उनसे - मकसद सिध्द हो गये

ज़माने भर से उनकी - हम शिकायत करते रहे
उन्हें नापसंद सफाई देना - वे खामोश रह गये

अपनी को तो कहा - हमने मोहब्बत निभाना
मगर उनका निभाना देख - हम दंग रह गये

जिसे जाना था - वह मोहब्बत  नहीं थी दोस्त
उनके दिए साथ से - मोहब्बत करना सीख गये

मोहब्बत मेरे दोस्त - शिकवे शिकायतों में नहीं
'फ़िक्र' यार की ख़ुशी हो - मोहब्बत होती है वहीं

इश्क जता उससे - महबूबा बनाया था हमने
बीबी जो हो गई - उससे मोहब्बत भूल गये

ज़माने भर के लोगों ने - मज़ाक बनाया है हमारा
कोई न मिला - तो हम बीबी को मज़ाक बना गये

जब हम अपने को - कुछ साबित ना कर सके , तब
सीख औरों से - सीख सकते हैं कुछ, साबित कर दिया

उठा औरों पे एक अँगुली - अपने पे चार देखी है
छोड़ बुराई औरों की - हमने दुरुस्त अपनी की है

उसे धोखा खाना क्यों कहूँ मैं
सबक सीखना कह सकता हूँ

न आह और न वाह - विवाह में
चाह मिलन की - ख़ुशी छिपी है

कि लायक हम नहीं हैं - लेकिन
जब जब कहा दुनिया को नालायक - हमने अपनी खीझ मिटाई है

रिवाज अजीब ये देखा है हमने
कान को नापसंद सुनना - कि तू नालायक है
पर जुबां को पसंद कहना - कि तू नालायक है



 

Monday, January 8, 2018

जो समय के साथ - कदम मिला चलते थे
2014 के बाद - अब सिर्फ समय चलता है

हम सेलेब्रिटीस के फेन होकर - उनमें बड़ी खराबियां भी नहीं देखते
बात साधारण की होती जब - उनमें अच्छाई भी कुछ हैं नहीं देखते

रुक गए वे - जिन्हें समय के साथ अभी और चलना था
ग़लत दिशा जा रहा - समय की दिशा , सही बदलना था

मेरी बेटी मेरा अभिमान को-बेटी का महत्व बढ़ाने की दृष्टि से देखें
छोटे परिवार में-उन्हें इससे चिढ न होनी चाहिए जिनके सिर्फ बेटे हैं

बहू जब लानी होगी - हम किसी की बेटी ही ढूँढेंगे
न हो शिकायत कि - समाजविज्ञ नए नारे ढूँढेंगे

नज़रों में आया सबकी - चालढाल दुरुस्त रखना है
याद रखना है - ज़माना हमसे प्रेरणा ले सकता है

गुरूर में मेरे हमदम - तुम क्यों रहते हो
टूटने पर भी हमें - ज़िंदगी जीना होता है

और भी पहलू तो हर बात के हैं
मगर
मानवता का होना मानव से एकमात्र अपेक्षित पहलू होता है







 

Sunday, January 7, 2018

आईना भी अगर मैं बनूँ - खुद आईना निहारूँगा
औरों को दर्शाने से पहले - खुद अपने में झाकूँगा

वजह , औरों में बुराई दिखाने की - खुद , बेहतर दिखाना तो नहीं
देख कि जिंदगी के और मसलों में  - खुद , औरों से खराब तो नहीं

तमन्ना , खुद बेहतर दिखाने की नहीं - मेरा दायरा छोटा है
तमन्ना , तू तो मगर बेहतर दिख - पूरी दुनिया में घूमता है

कर्म अगर अच्छे नहीं - नाम में से हटा लो धर्म
तेरे ख़राब कर्मों से - प्रश्नचिन्ह धर्म पे लगता है

धर्म अपना बतायें जब - कर्मों में गरिमा हो
अपना है धर्म - गरिमामय प्रेरणायें देता है

शब्दों के जाल में - औरों को भ्रमित कर जाओ नहीं
जल की बात है तो - उस सी निर्मलता लाओ तुम्हीं 

आत्मा पर ही जब लक्ष्य हमारा होगा
प्रत्येक प्राणी जग में हमे प्यारा होगा

जब जब हमें किसी में दिख रही होगी
हमारी दृष्टि बुराई की जड़ ढूँढती होगी

बुराई किसी भी जीवन की - बाहरी परत ही होती है
जीवन बचाते हुए बुराई मारना , फ़िक्र हमारी होती है

ये जहान ही मगर ऐसा है
हम या कोई हो न हो ये चलता रहता है

इस जहान से हमें - लेकर तो कुछ नहीं जाना है
तजुर्बे मिले ज़िंदगी में - देकर वही चले जाना है

किसी से दुश्मनी लेकर - मैं नहीं जीता
लेता हूँ मोहब्बत - बाँट वही मैं हूँ देता


मिला कुछ अप्रिय भी तो - मैं याद नहीं रखता
छोटे से अपने दिल को - कटुता से नहीं भरता

गैर इस दुनिया में कोई किसी का होता नहीं
कमी मेरी कि मुझे अपना बनाना आता नहीं

अल्फाज मैं अपने समझने की भूल करता हूँ
जिन्हें सीखता यहीं और मैं छोड़ यहीं देता हूँ

कुछ कोशिशें कि - प्रेरणा के शब्द हम भी लिख दें
कोई उन्हें ताकि - आगे 'अज्ञात' लिख पोस्ट कर दें

 

Saturday, January 6, 2018

जब दिल की डिज़ाइन - तुमने एक ही कंपनी में किया
एक में प्यार - दूसरे में नफरत - सितम ये क्यों किया???

तुम्हारी चाहत कि - तुमसे और मोहब्बत से पेश आयें
दिल में नफरत फिर तुम - औरों के लिए रखते क्यों हो

छोटा है दिमाग़ मेरा - यह छोटा सा सवाल करता है
प्यार चाहता दुनिया में - नफरत के बीज क्यों बोता है???

एक दुनिया बनाई उसने - अरबों को ज़िंदगी दी
आपस में ख़ुशहाल रहो - जबाबदारी हमको दी

अपनी कलम पर नाज़ तो करना है
 जहाँ गलत चले सुधार भी करना है

कलम मेरी - साहित्यिक भूल करे चलता है
रोकना तुम मगर - प्यार का पैगाम न लिखे

गले से लग़ मेरे - तुम वासना में नहीं पड़ जाना
सुनिश्चित करना कि - मेरी अपेक्षाओं को पहचाना

वृक्ष छाया तले - सादा भोजन से तृप्ति मिल जाती है
आडंबर की भूख मगर - फाइव स्टार तक ले जाती है

मैन्युफैक्चरिंग डिफेक्ट नहीं - दिल वायरस इन्फेक्टेड हुआ है
प्रोग्राम तो मोहब्बत का है - नफरत वायरस ने अटैक किया है

Friday, January 5, 2018

गौरवांवित अनुभव करो

हम जो निहारा करते - वह दृश्य भी तुम हो
हम चाहते हैं जिसे - वह लक्ष्य भी तुम हो
तुम हमसे जुड़कर - गौरवांवित अनुभव करो
हमारे भले होने के - उद्देश्य के पीछे भी तुम हो
--राजेश जैन
05-01-2018

Thursday, January 4, 2018

शरमाईं,झुकाईं पलकें

सीने से लग - उनने नज़र भर जो हमें देखा
शरमाईं,झुकाईं पलकें - आग़ोश में सिमट गईं

सौ ज़ुल्म हम पर करके - होशियार वह
आग़ोश में भर कर - जादू किया करता है

गुलाब लिखते हो हमें - कहाँ हमें तकलीफ़ है
तकलीफ़ इसलिये कि - ग़ुलाब सा रखते नहीं

इंग्लिश , हिंदी , उर्दू - भले ही हमें ना आती हैं
प्यार में जो हैं जिम्मेदारी - वे निभानी आती हैं

गैर

धर्म न पूछा था तुमने , हमसे - हम अपने लगते थे
पूछा तुमने और बताया हमने तो - हम गैर हो गए

हिंदू ही तुम , मुसलमान ही तुम , सिक्ख ही तुम - भले हो जाओ
जन्म लिया नारी कोख से - माँ के लाड़ले तुम - इंसान तो हो जाओ

 

02 जन 2018

एक कहानी ..
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पहचान ले मुस्कान में छिपे दर्द
अब ऐसी नज़र कहाँ मिलती है

उन्हें मुस्कुरा कर दर्द छुपाना आता था
नादान हम उन्हें खुशहाल समझते रहे

किसी के दर्द को मजाक में ज़माना उड़ायेगा
मुस्कुराना- दुःख दर्द का इजहार बन जायेगा

मैं मुस्कुराता हूँ जनाब - ख़ुद के ग़म कोई नहीं
ज़माने के दुःख दर्द से दुःखी हो - मुस्कुराता हूँ

मदद जब उस दुःखी की - कुछ नहीं कर पाया था
लिखने बैठा तो - कलाम में आँसू टपकते पाया था

चला जाऊँ तब - ओ दुनिया मुझे असफल नहीं कह देना
दौलत से बेपरवाह - मगर दर्द पहचानने में सफल था मैं

रुआँसी मिली - बहुत समझाया मगर नहीं रुकी
तीन तलाका दुखिया वह - भेड़ाघाट से कूद पड़ी

बचा लिया उसे - कुछ गैर मगर काफ़िर मर्दों ने उसे
मोहतरमा वह - मुझ काफ़िर की नज़र में हलाला थी
--राजेश जैन
02-01-2018

03 जन 2018

एक और कहानी . .
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कल भी कुछ श्रेष्ठ विचार थे , आज भी हैं , कल भी आयेंगें
है मगर उलझन , ग़मगीन है ज़माना , ग़म खत्म कैसे हो पायेंगें
...
प्रेरित करते थे भले विचार - भला बनने के लिए
क्या घोला गया जहर फ़िजा में - विचार असर करते नहीं
नेज़ो फ़िल्टर बनाया कि - स्मॉग का जहर शरीर में न जाए
कोई बनाओ फ़िल्टर ऐसा कि - भड़काऊ ज़हर मन में न जाए
देश , धर्म , भाषा , घर - की सीमाओं ने बाहर जहर उगला है
हद तो यह कि घर की सीमाओं में - नारी का जीना दूभर है
हटाओ एकजुट होकर यह नफरत का - तुम जहर
अन्यथा घुटन में जीने के लिए - औलादें गर्भ में न लाओ
--राजेश जैन
03-01-2018

04-जन-2018

फ़ितरत ही बदलनी है - ज़ात तो इंसान की
 पर नफ़रत की फ़ितरत - हैवान बना देती है

दिल में तो मोहब्बत ही होना चाहिये
नफ़रत मगर रहती है दिल जलाती है

दिल से - हर मुश्किलों में साथ देने वाले लोग थे
बदकिस्मती मेरी मुझे मिले तुम - ऐसे मगर न थे

दिल हुआ - वह शीशमहल जिसको
जिसने चाहा - दग़ाबाज़ी से तोड़ा है

दिल को मैं - खूबसूरत महल कहता
गर नफरत नहीं - उसमें प्यार रहता

फ़ख्र कि हम इंसान हैं
खेद मगर - दिल में नफरत है

हो निराश - हाथ धर बैठ ना पाउँगा
दर्द देख बेचैन हूँ मैं - चेतना लाऊँगा

आपका प्रोत्साहन मुझे - यूँ मिलता रहेगा
नफरत मिटाने मेरा - प्रयास चलता रहेगा
--राजेश जैन
04-01-2018

 

05-जन.-2018



पढ़ना चाहें तो हर शख़्स एक - खूबसूरत किताब है
हम और तुम हैं गुमान में कि - कोई हमें ही पढ़े


कोहरा जैसे ना छा जाना तुम - हम पर कि
दुनिया में करने को है और भी बहुत - देख न सकें


नज़र और नीयत तुम्हें - यूँही ख़राब रखनी है
मेरे लिबास पर फिर - तुम क्यूँ सवाल करते हो???


किया ज़िंदगी भर का साथ - पूरा , तुमने
शरीर को समझा - क्या रूह को भी समझा है??


आपत्ति के शब्द ऐसे लिखें - कि विचार को बाध्य करें
भड़काऊ शब्द ऐसे न लिखें - कि खूनखराबा को उकसायें


जब जब शांत सा लगेगा - उन्हें हमारा यह समाज
विष घोल देंगें - अशांति में मंसूबे उनके पूरे होते हैं



कि कर तो दिया उन्होंने - नक़ाब में तुम्हें कैद
मालूम है कि बुरी नज़र से वे आरपार देख लेंगें



औरों के लिए करना है कुछ?? - राजनीति , सिनेमा , क्रिकेट में न जा
नाटक औरों के लिए करने का वहाँ - खुद के लिए करते और मरते हैं



वे महान कदापि - कोई सिध्दांत ,कोई जीवनशैली नहीं देते
गर कल्पना होती कि - अनुयायी उससे खूनखराबा चलायेंगें



दौर ना उसका हुआ - ना ही मेरा हुआ
आया का गुमान हुआ - कि चला गया

-- राजेश जैन
05-01-18