Wednesday, October 31, 2018

ऐसी भी आपकी
जद्दोजेहद क्या है
सिवा मोहब्बत के
ज़िंदगी से चाहिए क्या है

होता तो सोचा हुआ भी है - याद वह रखता नहीं
याद रखता वह इंसान - सोचा हुआ जो होता नहीं

मालूम नहीं क्यूँ नफ़रत बाँटने वालों को - हम सुर्खियाँ देते हैं ख़ुद के लिये जबकि - हम अमन और सबसे मोहब्बत चाहते हैं

Tuesday, October 30, 2018


नज़रों में चढ़ना उनकी - हम पर नहीं उन पर  है
नज़रों से गिरना उनकी - उन पर नहीं हम पर है

हमें एकतरफ़ा मोहब्बत है तुमसे -
तुम्हारी हर ख़ुशी में हम खुश हैं
तुम करते हो जिससे मोहब्बत -
ऐसे ही उसकी ख़ुशी में तुम ख़ुश होना


दिल में कोई - एकबारग़ी बस जाता है
दिल से जाने में - मगर वक़्त लगता है


नज़रों में इक़रार - लबों पर मुस्कुराहट , एक फ़रेब था
हमारी ज़िंदगी गुजर रही है - एकतरफ़ा मोहब्बत में


नाराज होकर रहने में मज़ा नहीं जीने का
ज़िंदगी में मज़ा तो ख़ुशी के देने लेने से है

नियम -
ज़िंदगी है जिसमें
जो न हो वह कम है

हम कोई चीज नहीं खुद को - अच्छी पैकेजिंग में पेश करें
अदने से एक इंसान हैं हम - जैसे हैं सामने हाजिर हैं


वफ़ा साथ रहे न रहे - बेवकूफियाँ साथ होंगीं जरूर
यह ज़िंदगी हमारी चूँकि - खास नहीं आम है


जब हमें समझ आती है - हँसने के लिए बाहरी मटेरियल की जरूरत नहीं होती
अपनी रहीं बेवकूफ़ियों पर विचार ही - हँसने के लिए काफी होता है

ये कमी हमारी है - तुम अच्छे न हो सके हमसे
हम में गर खासियत होती - तुम में तो तारीफ़ बहुत हैं

Monday, October 29, 2018

चलो कि
अब फिर नई सुबह आई है
सब जियें मोहब्बत से
हम उस सुबह के लिए काम करें


मुख़्तसर सी हयात की हसरत है हमारी
लेना देना सिर्फ मोहब्बत का हो जिसमें
(मुख़्तसर - संक्षिप्त , हयात - ज़िंदगी)

हैसियत कुछ भी बनी हो सब खो जानी है
हैसियत इतनी बने कि खोने का रंज न हो




Sunday, October 28, 2018

चलो , हम बेवफ़ाई तुम पर माफ़ करते हैं
तुम मगर , ख़्वाब अपने पूरे जरूर करना

अपने ही लिए जी के गुजर जायें - हम ऐसे इंसान नहीं
रवायतें हैं औरों के लिए जीने की उन्हें कायम रखना है

एहसान करके जीना भी ख़ुद के लिए जीना है
करना पसंद इसलिए तो एहसान हम करते हैं

दिल में दर्द छिपा के - कोई खुश नहीं रह सकता 
औरों का हमदर्द हुआ जो - वही खुश रह सका है


इंसान को रोना पैदाइशी मिला हक़ है
रोने तो दो बेचारे को जो दर्द का मारा है


जिसे देखो अपनी आखों में आँसू छुपाये बैठा है
रोते की ख़बर वह लेता नहीं कि खुद ही रो देगा

Saturday, October 27, 2018

मिसाल ए मोहब्बत हमारी - फ़िजा में कुछ यूँ बिखरे दिलों में नफ़रत है जिनके - मोहब्बत में बदल जाये नेकनियत नज़रों ने उनकी - शराबोर यूँ किया अज़नबी हम थे , उन्होंने हमें अपना बना लिया



जी

जी तो ली ज़िंदगी हमने - चारों तरफ नफ़रत की आग में
बच्चों के लिए अपने - मोहब्बत जिसमें वह जहां चाहिए है


बढ़ी उम्र में तराशने से खूबसूरती बरकरार रहती नहीं
देख उसने खुद में इंसानियत तराशना शुरू कर दिया 

Friday, October 26, 2018

कैसे बुध्दू हैं कि - दर्द अपने जानते हैं हम
फिर भी औरों के दर्द से - अनजान हैं हम

कुछ हैं जिन्हें जीने का अंदाज आता है
और कुछ हैं जिन्हें बयां करना आता है
हम हैं जद्दोजेहद में इसलिए कि हमें
न जीना और न ही बयां करना आता है

Wednesday, October 24, 2018

मुश्किल होगा किसी में - भले होने की चेतना जगा देना
प्रेरणा बनने के लिए स्वयं ही - पहले भला होना होता है

दिल को सुकून नहीं
बेचैनी को तसल्ली नहीं
कहते इंसान हैं हम
इंसानियत मिलती नहीं

नया तो तब है - जब तुम हमें भला मानो
और जो भला नहीं - उसे बदलने की प्रेरणा दे डालो

तुम्हारा , हमें बुरा समझने में नया कुछ नहीं
आज , कोई किसी को भला मानता ही कब है

हम ने खुद को तो इंसान समझ लिया
और भी इंसान ही हैं मगर हम ने भुला दिया



Saturday, October 20, 2018

इसे हासिल कहें या खोना हम कहें
जो हासिल है वही तो हम खोते हैं

हासिल की तमन्ना न रखें - बाँटने का काम करें
हासिल तो खोता है - बाँटा ज़माना याद रखता है



Thursday, October 18, 2018

दिल है नाजायज़ भी कुछ आता है - इसमें
पर इंसान हैं हम - जायज़ ही सब करना है


गंगा सी पाकीज़गी तो रहे दामन में मगर
ज़हानत भी रहे कि 'गंगा मैली न होने पाये'

Tuesday, October 16, 2018

गम हैं तो गमज़दा रहना फितरत है सबकी
और बात है कि दिखते हैं हम मुस्कुराते हुए

बर्दाश्त बाहर कभी - गम होता भी है
ना चाहते हुए भी - इंसान रोता भी है


अपनी खुशियों का इज़हार - हम नहीं करते हैं कि
नज़र आते यहाँ लाखों - रंजीदा और अफ़्सुर्दा हमें

गम जदा नज़र आना हमें यूँ मंजूर नहीं कि
कोई नहीं ऐसा जिसे हमारे ग़म की फ़िक्र है

अच्छे हों हालात - ख़्वाहिश सबकी होती है
अच्छे हालातों से मगर - उम्र लंबी होती है

ख्वाहिशें चाहे - अधूरी छूटतीं हैं
उम्र मगर - इकदिन पूरी होती है




गम जदा नज़र आना हमें यूँ मंजूर नहीं कि
कोई नहीं ऐसा जिसे हमारे ग़म की फ़िक्र है

अपनी खुशियों का इज़हार - हम नहीं करते हैं कि
नज़र आते यहाँ लाखों - रंजीदा और अफ़्सुर्दा हमें




Monday, October 15, 2018

दुनिया , जहन्नुम भी है गर - शिकायत नहीं है
अच्छा लगता है वहाँ रहना - जहाँ , तू रहती है 

Sunday, October 14, 2018

भला क्या होता है - किसी से किसी को हासिल ?
बस किसी के होने से - दुनिया में दिल लगता है

हासिल रख के भी कुछ - ले जाओगे कहाँ ?
यहाँ से ही हासिल - प्यार ही बाँट दो यहाँ

बेचैन रहना भी हमें नेमत होती है
दिल और यादों में वो रहा करती है


Saturday, October 13, 2018

औरों में खराबियाँ देखने की आदत - यूँ ठीक नहीं कि
अच्छाई से नहीं हमारा - ख़राबियों से परिचय रहता है

चल रहे हैं इसलिए कि - ज़िंदगीं ने चलाये रक्खा है
ये बताती भी नहीं कि - किस मंजिल पर पहुँचना है

तुम्हारी उम्मीदों का घर , दोस्त -
गर टूट जाए सख़्त हकीकतों से
बनाना उम्मीदों का आशियाना फिर नया -
ज़िंदगी के लिए जरूरी है 

Friday, October 12, 2018

जीवन में बहुत कुछ नहीं मिला तो - बहुत कुछ मिला भी होता है
ऐसे में नहीं मिले की शिकायत - मिले हुए की अवमानना होती है

मुफ़्त में हासिल की तमन्ना न कीजिये , ज़नाब
मुफ़्त में हासिल , ख़ुशी कम - ग़म ज्यादा होते हैं

लब, कमर, जुल्फ ,नाफ, गेसू आरिज पे जान देने से - ख़ुशी दे न पायेंगे
उनकी रूह की समझ सके तो - उन्हें खुद का मुरीद पायेंगे

एक ही चीज है - जो बूढी होकर भी जवान हो सकती है
वह चीज है उम्मीद - आप उम्मीद का दामन ना छोड़ें

ज़िंदगी में इश्क़ होने का - अंजाम यह रहा
इश्क़ न हुआ इसका - हमें शिकवा न बचा

बताओ , हँसे न तो करें भी क्या हम
हमारे दर्द से तुम्हें मतलब जो नहीं

मेरी कोई हस्ती नहीं - मुझे ये बताने की तुम्हे जरूरत नहीं 
हैं कुछ अपने - जिनके लिए हैसियत मेरी दुनिया से बढ़कर है


Wednesday, October 10, 2018

जो किया
उसे हम - खा मखां का करना क्यूँ कहें
उस वक़्त
वही पसंद , वही इख्त़ियार इसलिए किया

Tuesday, October 9, 2018

नज़रों से हुईं हमारी 'गुफ्तगू'
अच्छा है लफ्जों में बयां नहीं होतीं
वर्ना ज़माने का इल्ज़ाम आता
हम पर कि ये हद करते हैं

हमारी चाही मगर तुम्हारी अनचाही
'गुफ्तगू' की इंतहा हो गई
चाहेंगे तुम्हें मगर अब तभी होगी जब
'गुफ्तगू' तुम करनी चाहोगे

माना कि उस मुकाम पर पहुँचता तो बेमिसाल तू करता
काबिलियत यहाँ भी है साथ यहीं बेमिसाल तू कर गुजर


उनकी नज़रें न पड़ी थीं हम पर - हम खुद से बेपरवाह थे
उनकी नज़रों का जादू - अब हम परवाह करते हैं अपनी

Monday, October 8, 2018


दोष तुम में कह देना - हमारे लिए सरल काम था

खुद में दोष देखने का - हम कठिन काम करते हैं 

Sunday, October 7, 2018

गुरबत-ए-इश्क - मर्ज यूँ लाइलाज़ है
दवा-ए-महबूब - है मगर मिलती नहीं है

बड़े मन से इक आशियाना बनाया था
आशियाना बदस्तूर रहा हम चल दिये

Friday, October 5, 2018

हम खुश तब होते जब - बच्चे हमारे खुश रहते हैं
अपनी लाद कर उनपर - क्या हम खुश रह सकेंगे ?

माँ-पापा होकर औलाद भी - वही करेंगे जो हमने किया है
हमें एहसान जैसा कुछ उन्हें बताने की - जरूरत ही क्या है

माँ-पापा , अपने फ़र्ज़ की करते है - कोई कहता उन्हें नहीं
औलाद की ज़िंदगी की अपनी वरीयतायें - उन्हें उनकी करने दें



मौत आने पर मारता है खुदा , कहते हैं - धोख़े से हम मारे गए
मरते अपनी हसरतों के पीछे ,कहते हैं - आशिक ने मारा है हमें 
मैं कब राख़ - कब ख़ाक होता हूँ ?
मैं सदा कायम - मैं तो इक रूह हूँ

गनीमत
ख्वाब की लाश दफन करने को जमीं नहीं लगती
वर्ना
हमारे ख़्वाबों को दफन करने को जमीं कम पड़ती


उनके लिए हमसे इश्क़ का मतलब तो - वही जानते होंगे
हम उनसे इश्क का मतलब - ज़िंदगी उनके नाम जानते हैं

जिन्हें
ख़ामोशी में हाल - बयां करना आता है
उन्हें
इश्क़ जताने के लिए - गुप्तगू जरूरी नहीं


गुप्तगू में बयां किया इश्क - बदलते हुए देखा है
खामोश जो इश्क करते - उन्हें बदलते नहीं देखा

उसे
इश्क़ में ना घसीटो - हया में रहने दो
उसे
दिल की मानने की - आज़ादी कब थी 

Thursday, October 4, 2018

तुम्हारे दिल को पढ़ लिया - मगर लिख नहीं सकते

खुद को गुनाहगार दिखाने की - हमें हिम्मत नहीं है

हम दोनों ही एक दूसरे ख़ुश रखना चाहते थे
मगर
बीती ज़िंदगी आपसी आरोपों के सिलसिले में

Wednesday, October 3, 2018

हमारी यूँ उपेक्षा करना - संगीन जुर्म है तुम्हारा
दिल की कोमल भावनाओं को - क़त्ल करता है 
शुक्र, ये जख्म सही , हमें - तुमसे मिले हुए हैं
बेशक़ीमती इक चीज़ , हमें - तुमसे मिली हुई है

बे-हिसी से हमें यूँ - ज़िंदगी जी लेना गँवारा नहीं
ऐसी ख़ुशी भी क्या - जो औरों के ग़म महसूस न होने दे

सुकून की हसरत लिए - दिल इश्क में पड़ता है
जूनून ए इश्क का सिला - धोखे में मिलता है

फ़ना हो जाये उसे हम मोहब्बत क्या कहें
मोहब्बत वो जो हमारे बाद भी जिंदा रहे

सफाई देते हम तो इल्जाम - हमारे अपनों पर ही आता
इल्जाम अपने पर ले - इसलिए हम गुनाह कुबूल करते हैं

दिल को करार - लफ्जों से नहीं मिलेगा
तुम ही आओ - तो हमें करार मिल जाये







Monday, October 1, 2018

चेहरों को पढ़ने में बहुत अंतर दिखाई पड़ते थे
रूह को जब महसूस किया सब एकसे लगे हमें



मेरी मोहब्बत के - मतलब और न लेना 
रूह की खूबसूरती से है - ज़िस्म से नहीं
जो खुद को समझ लेगा हमें समझ सकेगा
सभी इंसान के बनने की माटी एक होती है

तुम नहीं तो - हम तस्वीर से ही बात कर लेते
तुम जुल्मी मगर - अपनी तस्वीर ही नहीं देते