ऐसी भी आपकी
जद्दोजेहद क्या है
सिवा मोहब्बत के
ज़िंदगी से चाहिए क्या है
होता तो सोचा हुआ भी है - याद वह रखता नहीं
याद रखता वह इंसान - सोचा हुआ जो होता नहीं
हमारी चाही मगर तुम्हारी अनचाही
'गुफ्तगू' की इंतहा हो गई
चाहेंगे तुम्हें मगर अब तभी होगी जब
'गुफ्तगू' तुम करनी चाहोगे
माना कि उस मुकाम पर पहुँचता तो बेमिसाल तू करता काबिलियत यहाँ भी है साथ यहीं बेमिसाल तू कर गुजर उनकी नज़रें न पड़ी थीं हम पर - हम खुद से बेपरवाह थे उनकी नज़रों का जादू - अब हम परवाह करते हैं अपनी |