Thursday, March 1, 2018


उचित है जो - बिन चाहत के
मैं वह करना चाहता हूँ
ना अवरुद्ध होना चाहता हूँ
ना मैं बुद्ध होना चाहता हूँ

महावीर है सब में जो समझे वह शम्शीर नहीं उठाया करता
जीता स्वयं, औरों के जीवन अवसर सुनिश्चित किया करता

आत्मरक्षा हेतु शमसीर उठाना - अस्थाई विकल्प है
शत्रु स्वयं शमसीर रख दे प्रेरणा - स्थाई विकल्प है

धुंध आँखों की दूर करनी होगी जिसमें
औरों की अच्छाई नज़र नहीं आती
वह दृष्टि दोष दूर करना होगा जिससे
हमें अपनी बुराई नज़र नहीं आती

चलो हम अपनत्व के रंग की बरसात तुम पर करते हैं
चलो कि आज होली के पीछे छिपे भाव हम समझते हैं

मंदिर गिरा तुम मस्जिद बनाओ या मस्जिद गिरा तुम मंदिर बनाओ
बात तो एकही होगी - दिलों में दुश्मनी की इमारत और मज़बूत होगी

 
 
 

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