अब जो हमारे बच्चे जन्म ले रहे हैं वे अपने जीवन में 2100 ईसवी भी देखेंगे। इन के जीवन में सुख शांति सुनिश्चित करने के लिए हमें 2100 तक की फ़िक्र करनी होगी। और मुझे लगता है इस हेतु पहली योजना जो आवश्यक होगी वह ऐसे देश - समाज और परिस्थितियों का निर्माण करना होगा जिसमें धर्म - संप्रदाय - जाति और नारी-पुरुष का गहरा व्याप्त भेद को हल्का किया जा सके। धन -पैसा महत्वहीन होगा - लेकिन समाज सौहाद्र प्रमुख आवश्यकता होगी जिसमें खुशहाली की ज़िंदगी सुनिश्चित होगी। हम निभाते रहें अपने अपने मजहबी विश्वास पर औरों की आस्था का हमें आदर सीखना होगा।
--राजेश चंद्रानी मदनलाल जैन
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