Friday, July 31, 2015

तुम ऐसा करते हो - हम ऐसा चाहती हैं

तुम ऐसा करते हो - हम ऐसा चाहती हैं
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आजीविका की तलाश को गलत दिशा भटकाते हो
लाचार की देह भोगकर चंद सिक्के थमा जाते हो
आइटम सांग , चीयर लीडर और विज्ञापनों द्वारा
नारी की ,देह दिखा ,अपना कारोबार ,चमकाते हो
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हम पढ़कर बढ़कर स्वाभिमान से कमाना चाहती हैं
तन पर ललचा कर ,व्यभिचार ,नहीं बढ़ाना चाहती हैं 
माँ ,बहन ,बेटी ,पत्नी की पारिवारिक भूमिका में
परिजन पुरुष से ,मिल जुल ,हाथ बाँटना चाहती हैं
--राजेश जैन
01-08-2015
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Thursday, July 30, 2015

ना चाहता अलग राष्ट्र , भारत को मजबूत बनाता है
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जिस माटी में जन्मा है , वह उसका गौरव बढाता है
ना चाहता अलग राष्ट्र ,भारत को मजबूत बनाता है
कैसे करता है मजबूत ?
माटी कर्ज को समझकर ,जी उसके लिए उऋण होता है
अपना जीवन समर्पित करके ,राष्ट्र निर्माण करता है
जब भौतिक सुख सिद्धांत बना हर कोई स्वार्थी होता है
तब निस्वार्थी बन वह अर्पित जीवन राष्ट्र को करता है 
जीवन में आदर्श वह जीता , स्वयं उदाहरण बनता है
प्रेरणा ले उनके जीवन से , हर युवा उस पथ चलता है
(अपने जीवन को उदाहरण बना सभी के समक्ष रख वह चले गए हैं. हम चाहें तो उनसे प्रेरणा ग्रहण कर सकते हैं )
--राजेश जैन
31-07-2015
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Wednesday, July 29, 2015

अंतिम यात्रा पर आज वे ,श्रध्दांजलि उन्हें अर्पित करें

अंतिम यात्रा पर आज वे ,श्रध्दांजलि उन्हें अर्पित करें
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जमीन को सौंपें , अपनी पीढ़ी के शीर्ष पुरुष को हम
शीर्ष कर्म ,विचार ,प्रेरणायें उनकी, ना जमींदोज करें

अंतिम यात्रा पर आज वे ,श्रध्दांजलि उन्हें अर्पित करें
समाज दायित्व निभाने को ,जीवन भर उन्हें याद रखें

राष्ट्र नेतृत्व करते हुए , कर्तव्य बोध कराया करते थे
युवा मार्गदर्शन देने हेतु ,छात्रों के बीच जाया करते थे

ज्ञान का जीवन में महत्व ,यही गीत वे गाया करते थे
बड़े सपनों से सार्थक जीवन ,यह संदेश दिया करते थे

आडंबर ना करते ,वे सादगीपूर्ण जीवन जिया करते थे
राष्ट्र सृजन प्रति सजग ,वे मजबूती इसे दिया करते थे

मद्य सेवन नहीं करते थे ,शाकाहार वे लिया करते थे
मनुष्य सहित वे ,मवेशियों से भी प्यार किया करते थे

देखो अपने आचरण से वे सर्वधर्म आदर किया करते थे
नारी प्रगति पक्षधर वे, नारी को सम्मान दिया करते थे

पर्यावरण की आवश्यकता वे, प्रतिपादित किया करते थे
वृक्षारोपण के प्रति वे ,सब को जागरूकता दिया करते थे

कर्मठता ,लगन से अपनी वे ,साधारण से असाधारण हुए
ऐसे महापुरुष की अंत्येष्टि पे ,अश्रुपूरित सबके नयन हुए

विनम्र श्रध्दांजलि कलाम साहब - सौभाग्य हम समकालीन रहे
--राजेश जैन
30-07-2015
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Tuesday, July 28, 2015

नारी को अपशब्द

नारी को अपशब्द
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अपशब्द कहे जाते जब हमें ,तो बुरे बहुत लगते हैं
न कहें अपशब्द अन्य से ,उन्हें भी वे बुरे लगते हैं

नारी पर ,प्रचलित अपशब्दों की धार बड़ी तीखी है
अपशब्द लायक कोई होती ,यह हमारी ही कमी है

वे परिस्थितियाँ उन कारणों को खत्म करना होगा
जिनसे नारी अपशब्द चरितार्थ होने बाध्य होती है

नारी प्रगति ,गरिमायी हो ,अवसर उन्हें देना होगा 
अपशब्द कारण मिटा ,निर्मूल कटुता करना होगा 
--राजेश जैन
29-07-2015

Sunday, July 26, 2015

मिश्रित संस्कृति एवं नारी

मिश्रित संस्कृति एवं नारी
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बातें बना ऊँची ऊँची ,कई गर्लफ्रेंड बनाईं जाती हैं
विवाह की बारी आने पर ,सुशीलायें ढूँढी जाती हैं

फ़िल्मी प्रेम गीतों के झाँसों में ,वे फुसलाई जाती हैं
मासूम ,शायरी-गीतों में विश्वसुंदरी बताई जाती हैं

बीतते दिन सैर सपाटों में ,कुछ पब होटलों में, फिर
ऊबने पर ,दूध में मक्खी की तरह अलग की जाती हैं 

नारी ,आश्रिता तो शोषित ,स्वावलंबी तब भी शोषित
चेतना ला नारी में , नारी दुर्गति कुरीत बदलनी होगी
--राजेश जैन
27-07-2015
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Saturday, July 25, 2015

*ऑनर किलिंग

*ऑनर किलिंग
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तेज बदलते विश्व में हमें ,आत्मनियंत्रण रखना होगा
संयत ,दृढ पग रख बढ़कर ,विश्व निर्माण करना होगा

दहेज पर बलि चढ़ती बेटियाँ ,यह कुरीत बदलना होगा
गर्भ में ही मारी जाती बेटियाँ ,कायरता ना करना होगा

छल पीड़िता बेटियों को , पिता-परिवार स्वयं मारता है
ऐसी ऑनर किलिंग की , प्रवृत्ति को बदल देना होगा

छल ,ऐसे रीति रिवाज ,नारी प्राणों पे संकट होता क्यों है ?
पहचान बुराई नष्ट कर हमें, स्वस्थ समाज रचना होगा 
(*honour killing- इज्जत के लिए प्यार करने वालों की हत्या करना)
--राजेश जैन
26-07-2015
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Friday, July 24, 2015

नारी सम्मान -नारी प्रगति

नारी सम्मान -नारी प्रगति
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नारी पर ,बाहर की जिन खराबियों के कारण
बाहरी गतिविधियों पर घर में रोक लगाते हैं
दुःख ,अचरज होता देख भाई-पापा आदि सब
बाहर जा उन्हीं खराबियों में लिप्त हो जाते हैं

बेटे ,भाई ,पापा ,पति के नारी से दोहरे आचरण
नारी प्रगति अवरुध्द कर उनमें अवसाद बढ़ाते हैं
सच ही यदि बहन ,बेटी ,पत्नी सुरक्षा चाहते तो
करें स्वयं ,नारी सम्मान जैसा इनके लिए चाहते हैं
--राजेश जैन
25-07-2015
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Thursday, July 23, 2015

नारी को ,शोषण जाल

नारी को ,शोषण जाल
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तेज बदलती दुनिया में आत्म नियंत्रण रखना होगा
आत्म क्षति पहुँचाती हैं जो उन भूलो से बचना होगा

शोषण मुक्ति अभिलाषी नारी को चौकन्ना रहना होगा
न फँसे अतिशोषण गिरफ्त में ,उन्हें सतर्क रहना होगा 

नित नए बिछते शोषण जालों में ,ना उन्हें उलझना होगा
जालों को लपेट ,वापस बिछाने वालों को भेंट करना होगा 

जिज्ञासु आत्म उत्थान की ,उत्सुक आत्म सम्मान को है
आज संयत हो नारी को फूँक फूँक ,सही डग भरना होगा
--राजेश जैन
24-07-2015

Wednesday, July 22, 2015

तब समझेंगे ?

तब समझेंगे ?
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क्या होता है ? घृणित हादसे का शिकार हो जाना
क्या होता है ? अकाल मौत ,परिजन का चले जाना

क्या होता है ? बेटी पे अन्याय की पीर सीने में रख जीना
क्या होता है ? रेपिस्ट परिवार होने का कलंक लग जाना

पल पल स्मृति रुलाती ,छवि आँखों में रहती जीवन भर
बेटे के घृणित कर्म  ,झुका देते शर्म से सिर ,कब समझेंगे ?

घर घर की बहन बेटी पर होगी ,ऐसी विपदा तब समझेंगे ?
घर घर रेपिस्ट ,मर्डरर जन्मेगा लगे कलंक ,तब समझेंगे ?
--राजेश जैन
23-07-2015
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अंतिम दो भयावह पँक्तियों पर स्पष्टीकरण - इस परिदृश्य की कल्पना ने मुझे सर से पाँव तक सिहरा दिया है । आशा यही है ,यह सिहरन करने वाला परिदृश्य कभी यथार्थ नहीं हो सकेगा। लेकिन मैंने , उन परिवार की पीर दर्शाने का प्रयत्न किया है , दुःखद ऐसी घटना का कटु यथार्थ जिन्होंने जीवन में जिया है। क्यों , हमारे होते हुए , हमारे समाज /राष्ट्र का कोई परिवार ऐसा अभिशप्त जीवन जीने को बाध्य होता है ?

Tuesday, July 21, 2015

नारी ,सामने रेपिस्ट

नारी ,सामने रेपिस्ट
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एक एक कर उतरी सवारी , बस में अकेली रह गई मैं
रात अकेले कुछ बुरा न हो , आशंकाओं में घिर गई मैं

अचानक वासना ले दृष्टि में ,समक्ष एक दुष्ट आ गया
संभल बचाव करती ,पहले उसने मुँह कपड़े से बाँध दिया 

हुई दृष्टि कातर मेरी ,छोड़ने ,विनती करती मैं रह गई
तन-मन की पवित्रता गँवा कर ,अचेत पड़ी मैं रह गई

यह पेज लिखता है अब आगे - वह पीड़िता न लिख पाई -
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भारत रत्ना बन सकती थी ,एक संभावना ने मौत पाई
पचास वर्ष का शेष जीवन खो, वह अभागी चर्चा बन पाई

बहन-बेटी जिस परिवार की उस पर विपत्ति घिर आई
दुष्ट बना रेप-मर्डरर उसके ,घर प्रतिष्ठा पर आंच आई 

बने दुष्ट की कुछ पल की हवस ने इक जीवन लील लिया
निर्दोष की मौत ने ,एक को अनब्याहा रहने विवश किया
--राजेश जैन
22-07-2015
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Monday, July 20, 2015

नारी मन -तस्वीर

नारी मन -तस्वीर
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नारी तन पर लट्टू होकर ,अंग-प्रत्यंग तस्वीर ले ली तुमने
बुरी दृष्टि से झाँक-देखके ,अश्लील प्रदर्शित कर दी तुमने


नारी का मन भी होता ,समझने की कोशिश नहीं की तुमने
मनोवेदना-भावना क्या नारी की ,जानकारी नहीं की तुमने


मन की तस्वीर गर देख लेते ,हमें सुखी रख सुखी रहते तुम
रेप न करते ,ना ही लेते दहेज बलि ,नहीं मारते गर्भ में तुम


अपनी को कई वस्त्र परतों में , घर में सीमित ना करते तुम
पराई को नग्नता में ,मीडिया ,सिने ,नेट पर ना दिखाते तुम 
--राजेश जैन

21-07-2015
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Sunday, July 19, 2015

नारी मन में पुरुष तस्वीर की तस्वीर

नारी मन में पुरुष तस्वीर की तस्वीर
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पुरुष मिलते भले होते ,अपनत्व दे ,सहारा बनते हैं
ये प्रिय लगते ,इसलिए हमें ऐसे पुरुष भले लगते हैं

भले बन बहुत मिलते ,अफ़सोस भले कम रहते हैं
हैं सब किसी के बेटे-भाई ,बाहर भेड़िये बन झपटते हैं 

फेक आईडी बना-बना , हम पर डोरे डाला करते हैं
गंदे मैसेज ,चैट ,ब्लैकमेल के प्रयास किया करते हैं

आधुनिकता का नारा दे ,अनावरित हमें करते हैं
समानता इसे बताकर , भोगने के उपाय करते हैं 

भली-भोली आयें झाँसो में ,उनका शिकार करते हैं
युवा तो युवा ,अधबूढ़े-बूढ़े तक ,छल किया करते हैं

चहुं ओर दुष्कृत्यों से भय का वातावरण रखते हैं
भय एवं धमक़ियों से नारी प्रगति बाधित करते हैं

सदियों से ट्रिक खेल-खेल हमें हीन बनाये रखते हैं
महत्व अपना बता-बता कर हमें वंचित ही रखते हैं

विराजते उच्च आसनों पर ,पिछलग्गू हमें रखते हैं
श्रेष्ठ बता अपने को ,पूजा अर्चना से वंचित करते हैं 
--राजेश जैन
20-07-2015
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पापा -पुण्य स्मृति शेष

पापा -पुण्य स्मृति शेष
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एक व्यक्ति थे ,हम बच्चों के लिए
सारी दुनिया में डोला करते थे

बड़े हुए हम ,हमारे विवाह खातिर
संबंधों के लिए दुनिया में डोला करते थे

हुए नाती और पोतियाँ जब ले ले उनको
घर बाज़ार डोला करते थे

ज़िंदगी भर , हमारे उदर पोषण फ़िक्र में
नित इधर उधर डोला करते थे

दुर्भाग्य गत वर्ष , पापा थे वह व्यक्ति
जग से परलोक को डोल गए

जो किया जीवन भर ,स्मृति छोड़ सब
रुलाया हमें ,दुःखद वे डोल गए

सौभाग्य ,जिनके पापा विद्यमान
खूब माँ -पापा की सेवा करलें
ऐसा न हो ,सेवा के मन में अरमान ,
रहें अधूरे ,पापा डोल जायें

पापा - माँ , दुनिया में
होते हैं साक्षात भगवान
करलो सेवा , किसी दिन
अपने भगवान न डोल जायें
--राजेश जैन
19-07-2015
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Saturday, July 18, 2015

पुरुष-नारी और विडंबना

पुरुष-नारी और विडंबना
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पुरुष को रौनक नहीं लगती ,जब नारी आसपास न होती है
जीवन में रौनक नहीं लगती ,जीवनसंगिनी साथ न होती है

विडंबना पुरुष की रूचि नारी में पर ,करतूतें विपरीत होती हैं
जिन बातों में प्यार आता नारी पर ,कृत्यों से वे नष्ट होती हैं

नारी प्यार में बड़े होते ,पुरुष प्यार की छाँव से सुखी होते हैं
पुरुष जबरदस्ती से ,नारी के सुंदर नयनों में अश्रु भरे होते हैं

छेड़छाड़ ,रेप ,हिंसा से नारी का खिला मुख कुम्हलाता है
लाज चरित्र के धवल आँचल पर कलंक कालिख लगाता है
--राजेश जैन
 19-07-2015
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ऐसा हो-नारी सम्मान का समाज

ऐसा हो-नारी सम्मान का समाज
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हमारी पीढ़ी को सुनलो तुम ,नया इतिहास यह रचना है
अगर भाग्य ख़राब नारी का ,हमें दुर्भाग्य वह बदलना है

उन्नति के अवसर हों जिसमें ,वस्तु रूप न देखी जाये
अपना समझ अर्पित होती उन्हें दासी न समझी जाये

पढ़ने के अवसर सुलभ हों आजीविका अर्जित कर पाये
रोक टोक पहनने ओढ़ने की न उन पर अब थोपी जाये

प्रभावशाली ,सुंदर ,शालीन दिखे ,प्रशंसा की दृष्टि से देखी जाये
एकतरफा उनसे प्यार रखो ,अगर सँवरे रूप पे तुम्हें प्यार आये 

जितने तैयार प्यार करने उनसे ,उतनों से प्यार वह न कर पाये
पति से प्रेम समाज सम्मत ,सुविधा से निभाने उन्हें दिया जाये

सम्मान सुरक्षा हो हर जगह ,समय-असमय वह आये जाये
श्रध्दा-सहारा हो प्राप्त उन्हें ,निष्ठा से साथ जब वह निभाये
--राजेश जैन
18-07-2015
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Friday, July 17, 2015

खिलवाड़

खिलवाड़
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पति-पत्नी नहीं हो कर जो ,
विवाह पूर्व खिलवाड़ किया करते हैं
जो पति -पत्नी तो होते हैं ,
विवाहेत्तर खिलवाड़ किया करते हैं

इनके जीवन में रेप ,डिवोर्स ,
अवसाद ,कलह संभावित हुआ करते हैं
ऐसे पुरुष-नारी अनायास ,
समाज बुराइयों के कारण हुआ करते हैं

ये खिलवाड़ परिवार अशांति ,
बच्चों की मुश्किल के कारण बनते हैं
परिवार प्रतिष्ठा गिराते ये
माँ-पिता के दुःख के कारण बनते हैं

जिन्हें आदर है माँ-पिता प्रति ,
प्यार अपने परिवार से रखते हैं
अमर्यादित आचरण से स्व ,
अन्य परिवार पे संकट न बनते हैं

माँ ,बहन ,पत्नी ,बेटी नारी ,
ध्यान रख नारी सम्मान करते हैं
जब जरूरी नारी सुरक्षा देकर ,
राष्ट्र को मजबूत किया करते हैं
--राजेश जैन
17-07-2015

Thursday, July 16, 2015

नारी से खिलवाड़

नारी से खिलवाड़
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कई कई गर्लफ्रेंड बना कर अपनी , उनकी छवि बिगाड़ देते हो
सामाजिक प्रतिष्ठा गिरती उनकी ,पीछे तुम मुँह मोड़ लेते हो

क्या बुरा असर हुआ स्वास्थ्य पे ,कैसा बिगड़ा जीवन उनका?
तुम करके मनमानी अपनी ,फिर कोई मतलब नहीं रखते हो

न साहस उस नारी को निभाने का ,जिनकी प्रतिष्ठा गिराते हो
जीवनसाथ का जिन्हें देते सपना ,उनसे खिलवाड़ कर जाते हो

या बदलो 'समाज सोच' ,या नारी से खिलवाड़ रीति बदल डालो
फ्रेंड बना नारी से खिलवाड़ करने की ,ओछी प्रकृति बदल डालो
--राजेश जैन
16-07-2015
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Wednesday, July 15, 2015

धूर्तता -दुष्परिणाम

धूर्तता -दुष्परिणाम
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धन ,ग्लैमर सम्मोहन प्रभावित ,नारी तन बिक रहा है
क्रय करते नारी अस्मिता को ,निर्लज्ज हो पुरुष खड़ा है

क्यों बनी नारी ,कॉलगर्ल? तर्क ऐसे ,पुरुष कर रहा है
अस्मिता क्रय करने की निर्लज्जता ,ऐसे वो ढँक रहा है

ऐयाशी की शिकार हेतु ,उन्हें बाध्य किया जा रहा है
धूर्तता से दोषारोपण ,पीड़िता पर ही किया जा रहा है

सौदे के दृश्यों से बिगड़ ,पीढ़ी का चरित्र खोता जा रहा है 
हो सकती पथभ्रष्ट बहन-बेटी ,भूल ,सब किया जा रहा है
--राजेश जैन
15-07-2015
https://www.facebook.com/narichetnasamman

Monday, July 13, 2015

नारी - आजीविका अवसर

नारी - आजीविका अवसर
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ना दिखाओ पोर्न ,सेक्स दृश्यों में उन्हें उघाड़कर
ना बनाओ विज्ञापन ,अर्धनग्न उन्हें दिखलाकर

ना पिलाओ उन्हें पब-होटल में ले जाकर
ना नचाओ उन्हें बियर बारों में धन देकर

ना घूरो उन्हें बुरी दृष्टि से कामज्वर चढ़ाकर
ना करो दैहिक शोषण उन्हें गर्लफ्रेंड बनाकर

ना दर्शाओ ,अश्लीलता ,मर्यादा ,लोक लाज खोकर
दायित्व करो , स्मरण ,बहन-बेटी ध्यान में लाकर

निर्मित करो स्वच्छ आजीविका साधन उनके लिये
सम्मान करो अर्जित ,सम्मान एवं अवसर उन्हें देकर
--राजेश जैन
14-07-2015
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Sunday, July 12, 2015

नारी जीवन - समाज समीक्षा


नारी जीवन - समाज समीक्षा
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गर्भ में कन्या , जन्म पर संकट छाया होता है
जन्म लिया तो अस्तित्व संघर्ष छाया होता है

सुनसान में ,रेप-हत्या का संकट छाया होता है
विवाह बाद दहेज-हत्या का संकट छाया होता है

प्रगतिशील पर चरित्र-हनन संकट छाया होता है
नारी जीवन पर जीवन भर संकट छाया होता है

आधुनिका पर अश्लील रूप में प्रोत्साहन और
हरसमय ब्लैक मेलिंग का संकट छाया होता है
--राजेश जैन
13-07-2015
https://www.facebook.com/narichetnasamman

कैसा आत्मसम्मान?

कैसा आत्मसम्मान?
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गर्लफ्रेंड बनाते ,फिर जीवनसाथी बनाने में कठिनाई पाते हो
किसी की गर्लफ्रेंड रही ,पत्नी तो निभाने में कठिनाई पाते हो

रेप तो करते ,नारी-अपनी पर कल्पनामात्र से सिहर जाते हो
छेड़छाड़ करते ,पकड़ाये-पिटने पे बहन-बेटी उसे कह जाते हो

कैसा अजीब व्यवहार , कैसा आत्मसम्मान और स्वाभिमान है ?
जितना करते अपने लाभ की सोचते ,पर सारा यहीं छोड़ जाते हो
(नोट - कृपया पढ़ें सभी। यद्यपि लिखा गया ,लागू अधिकाँश पर नहीं होता है )
--राजेश जैन
12-07-2015
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Friday, July 10, 2015

नारी-बहन,बेटी


नारी-बहन,बेटी
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क्या दायित्व ले निकली नारी ?, अनभिज्ञ तुम होते हो
किन कठिनाई से जूझ रही वह? अनभिज्ञ तुम होते हो

क्या चुनीतियाँ उनके सम्मुख? अनभिज्ञ तुम होते हो
किन परेशानियों से घिरी वह? ,अनभिज्ञ तुम होते हो

किन दुःखों से लाचार हुई वह? ,अनभिज्ञ तुम होते हो
क्या सपने आँखों में ,नारी के? ,अनभिज्ञ तुम होते हो

अकेली मिली यदि वह बेचारी ,बुरी दृष्टि तुम रखते हो
ऐसी घिरी अपनी बहन-बेटी ,ना कल्पना तुम रखते हो
--राजेश जैन
11-07-2015
https://www.facebook.com/narichetnasamman


 

Thursday, July 9, 2015

एफबी एवं नारी

एफबी एवं नारी
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समूह विवरण में , 'नो एडल्ट' ,बच्चे आकर्षित हो जाते हैं
विवरण में लिखा ,'नो न्यूड' तो नारी सदस्य मिल जाते हैं

ग्रुप नाम हो 'सेव गर्ल्स' ग्रुप से बहन-बेटियाँ जुड़ जाते हैं 
ऐसे एफबी ग्रुप ढेरों ,ग्रुप बना एडमिन बेखबर हो जाते हैं

फेक आईडी की महिमा निराली बॉय ,गर्ल बन जाते हैं
करते वे वल्गेर पोस्ट-कमेंट ,मन की गंदगी फैलाते हैं

बहन -बेटियाँ देख हतप्रद ,कुछ के मन तो भटक जाते हैं
अपनी नारी के लिए हम ,अनायास गंदा संसार बनाते हैं 
--राजेश जैन
 10-07-2015
https://www.facebook.com/narichetnasamman/

Wednesday, July 8, 2015

नारी-पुरुष भेदभाव

नारी-पुरुष भेदभाव
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लालन-पालन में नारी-पुरुष भेदभाव न किया जाये
लिखने- पढ़ने में नारी-पुरुष भेदभाव न किया जाये

यात्रा ,कार्यालय ,बाजार में उसे भेद से न देखा जाये
रात-दिन ,सुनसान में उसे भेदभाव से न देखा जाये

प्रगति अवसर मिलने में ,नारी नहीं भेद से देखी जाये
समानता मिले नारी को वह ,भेदभाव से न देखी जाये

पवित्रता बनाये रखने में नारी को सहयोग दिया जाये
सम्मान संकट जहाँ विशिष्ट दर्जा नारी को दिया जाये
--राजेश जैन
09-07-2015
https://www.facebook.com/narichetnasamman

Monday, July 6, 2015

नारी पर अत्याचार

नारी पर अत्याचार
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अच्छे-बुरे कर्म किसी के ,मरने पर वो ठहर जाते हैं
किन्तु किये हुए बुरे कर्म ,अमिट बुराई बन जाते हैं

समय न ठहरता कभी ,कालखण्ड नये बन जाते हैं
हो रहा जो इस काल में ,बुरे दृष्टान्त बनते जाते हैं

भुला सत्य को ,नारी पर अत्याचार हम करते जाते हैं
नारी के साथ बुराई के ,किस्से नितदिन जुड़ते जाते हैं

जो आज है, ना नारी रहती ,ना पुरुष बचे रह जाते हैं
गर किया बुरा तो ,इतिहास में कलंक रूप रह जाते हैं 
--राजेश जैन
07-07-2015
https://www.facebook.com/narichetnasamman?pnref=story

Sunday, July 5, 2015

नारी से पुरुष के दोहरे व्यवहार

नारी से पुरुष के दोहरे व्यवहार
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पराई हूँ मैं ,तो पाश्चात्य सस्कृति तरफ मुझे धकियाते हो
अपना बना ,साथ निभाने के प्रश्न पे पीछे से लौट जाते हो

ड्रग ,ड्रिंक्स ,सिगरेट ,वीडियो दिखा चतुराई से उकसाते हो
नशा प्रभाव में सम्मोहित कर ,सभी सीमायें तोड़ जाते हो

पत्नी में जो चाहिये ,*मित्रता में उससे भिन्न मुझे बनाते हो
परिवार के लिए उपयुक्त उसे ,अपना मित्रता तोड़ जाते हो

बदल के मेरे संस्कारों को ,गृह एवं समाज कलह बढ़वाते हो
कलह मुक्त जीवनसुख से स्वतः , मुझे वंचित कर जाते हो
(*मित्रता =गर्लफ्रेंड)
--राजेश जैन
05-07-2015
https://www.facebook.com/narichetnasamman

Saturday, July 4, 2015

सादा- एक विचार


सादा- एक विचार
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हमारी सोच ,यदि समस्या को दुखड़े के रूप में लेने की होती है,
तो हम दुखड़े - अपनों के बीच रोते हैं।
इससे अनायास ही उन्हें भी दुखी करते हैं।
अपनी समस्याओं और बहुत से ज्यादा वंचितों की समस्याओं की
यदि हम तुलना करें तो , हम कहीं ज्यादा सुखी होते हैं।
अतः विचार करने की पध्दति यदि ऐसी रखें , जिसमें हम धीरता रखें,
तो न हम दुखी होंगे , और ना अपनों को अनायास दुखी करेंगे।
जीवन के हर पल में सुख देखने की कोशिश करें ,तो
हम अपने और अपनों का जीवन को ज्यादा सुखद बना सकेंगे और
अपना मनुष्य जीवन हम ज्यादा सफल कर सकेंगे।
--राजेश जैन
05-07-2015
https://www.facebook.com/PreranaManavataHit

 

नारी जीवन पल पल आशंकित


नारी जीवन पल पल आशंकित
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यों तो जिसने जीवन पाया ,आशंकित वो रहता है
नारी हो जो जीव जन्मा ,ज्यादा आशंकित रहता है

गर गर्भ में कन्या भ्रूण ,जन्मेगा? आशंकित होता है
जन्मा तो समानता से देखा जाएगा आशंकित होता है

नारी-जीव सूने में ,रात्रि में चलने पर आशंकित होता है
वह भीड़भाड़ में छेड़छाड़ के खतरे से आशंकित होता है

बाँह पसार ले या खुल कर हँस ले तो आशंकित रहता है
कैसा है समाज ,नारी जीवन पल पल आशंकित रहता है
--राजेश जैन
04-07-2015
https://www.facebook.com/narichetnasamman

Friday, July 3, 2015

असुविधा में ,मैं नारी हूँ


असुविधा में ,मैं नारी हूँ
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तुम करते *कटाक्ष मुझ पर, #दृष्टि से आहत करते हो
दूभर ,मेरा उठना ,बैठना , दूभर चलना कर देते हो

आचार ,विचार ,कर्म अपने ,नहीं ठीक तुम करते हो
सुरक्षा बहाने से मुझे ,मुझमें सिमटी रहने कहते हो

जो चाहरदिवारी में रहतीं ,गृहहिंसा उन पर करते हो
बाहर आईं उनपे ,फुसलाकर दैहिक शोषण करते हो

माँ ,बहन ,पत्नी ,बेटी मैं हूँ ,उचित प्रबंध न करते हो
आत्मविश्वास से जी लूँ मै ,समाज सुधार न करते हो
(नोट -यहाँ ,*कटाक्ष =छेड़छाड़ ,#दृष्टि =बुरी नीयत )
--राजेश जैन
03-07-2015
https://www.facebook.com/narichetnasamman

Thursday, July 2, 2015

मैं नारी (माँ) हूँ -पुत्र कृत्यों से ग्लानि है

मैं नारी (माँ) हूँ -पुत्र कृत्यों से ग्लानि है
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सुंदर कहलाने की अभिलाषा ,सहज तुम जैसी ही मेरी होती है
सुंदर-सुंदर कह लिखे ,अश्लील कथनों से ग्लानि मुझे होती है

अच्छी दिखती हूँ मैं जिनमें ,जब अपनी वे तस्वीरें सजाती हूँ
प्रतिउत्तर में अश्लील तस्वीरों से इनबॉक्स भर गया पाती हूँ

जिन रूपों में बहन ,बेटियों की कल्पना से ग्लानि तुम्हें होती है
उन शोषित रूपों में ,अन्य की बेटियों से वेबसाइट अटी होती है
माँ ,नारी भूल के तुमने ग्लानि के दृश्यों में कामावेग बढ़ाया है
क्षमा ना करेगा इतिहास ,सभ्यता का तुमने यह रूप बनाया है
--राजेश जैन
02-07-2015
https://www.facebook.com/narichetnasamman

Wednesday, July 1, 2015

मैं ,नारी, मनुष्य ही हूँ

मैं ,नारी, मनुष्य ही हूँ
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तुमसे ही दो आँखे , दो कान हैं तुमसा देख ,सुन मैं लेती हूँ
मेरे दो हाथ और दो पैरों से तुमसा ही कर और चल लेती हूँ

तुम्हारे तन ,मन को देती पीड़ा वही बात मुझे पीड़ा देती है
कुछ बनने उपलब्धि की अनुभूतियाँ मुझे भी ख़ुशी देती है

भिन्न शारीरिक संरचना किन्तु तुमसी ही मनुष्य होती हूँ
भिन्न बने समाज मानदंड से मैं भुगतती ,व्यथित होती हूँ

इक्कीसवीं सदी में आ पहुँची ,दुनिया से हसरत मैं रखती हूँ
मुझे सम्मान ,खुला आकाश दो ,उठने की चाहत मैं रखती हूँ
--राजेश जैन
01-07-2015