Friday, September 27, 2019

ज़िंदगी है तो ही तो इबादत ए इस्लाम कर लेगी
चली गई जान तो क्या बुध्द, मसीहा या अल्लाह

#यूएन में बकने से पहले अपनी आवाम से पूछ तो तू लेता
#ख़ुशहाल ज़िंदगी चाहिए या तेरे जंग के जूनून में मौत उसे

#पाकिस्तान
बँटवारा ले लिया तो तू ख़ुशहाली के इंतज़ामात में लगता
हर वक़्त आवाम पर जंग की आफ़त क्यूँ टँगाये रखता है

वाहियात अदा तेरी #पाकिस्तान
जंग की बेवकूफ़ी तू करे तो
ख़ामियाजा दुनिया भुगतेगी
तू धमकाते घूम रहा है

Wednesday, September 25, 2019

औरों को देखता था जिससे
इक दिन उस दृष्टि से खुद को देखा
जो खराबियाँ औरों में दिखती थीं
खुद को भला समझने वाला, खुद अपने में देख चौंका

रूप के दिन ब दिन ढलते जाने से
पत्नी मुख पर उदासी छा जाने से
गलबहियाँ ले पति प्यार से बोले
हमें भी आईं झुर्रियाँ साथ समय बीतते जाने से

Monday, September 23, 2019

नफरत ,ईर्ष्या, बैर यदि मन में जैसे भरा कबाड़ हो घर में इक अवरोधे सुविधा के साजो सामान दूजा अवरोधे हृदय में खुशियों को स्थान

Sunday, September 22, 2019




आतँकी, नाम पर इस्लाम के
इस्लाम को कर रहे हैं बदनाम
चंगुल से उनके तू निकल पाकिस्तान
ख़ुशी से जीना सिखाएगा तुझे हिन्दुस्थान
आतँकी, नाम पर इस्लाम के
इस्लाम को कर रहे हैं बदनाम
चंगुल से उनके तू निकल पाकिस्तान
ख़ुशी से जीना सिखाएगा तुझे हिन्दुस्थान


Friday, September 20, 2019


स्व-अपेक्षाओं को लेकर 'राजेश' जो रिश्ते बनते हैं
वो उनकी अपेक्षाओं के सवाल पर चटकने लगते हैं

Wednesday, September 18, 2019

औरों को लाद के चलना गर 'राजेश' तुमको बोझ लगे
तब अपेक्षायें तुम रखो ऐसी जो औरों को न बोझ लगें

Monday, September 16, 2019

अपने बच्चे को प्रसव देती पत्नी की पीड़ा को जो पति देख लेता है
वह आजीवन पत्नी का  आदर करता है उनका मजाक नहीं उडाता 

Sunday, September 15, 2019

अभी
औरों से अपने लिए लाभ अर्जित करने की होड़ है
जब #होड़, औरों को #लाभ पहुँचाने में होगी
तब की #मानव #सभ्यता #निर्दोष होगी

Thursday, September 12, 2019

इन हँसने की चाह रखने वालों को
खेद, मालूम नहीं कि हँसना कहाँ हैं
जिन बातों पर मानवता रो पड़ती है
खेद, उनमें भी इन्हें हँसी आ जाती है

Wednesday, September 11, 2019

बँटवारे से सीखा सबक हमने

बँटवारे से सीखा सबक हमने
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कामुकता के तुम हुए अधीन
हत्या तक की दुष्टता की तुमने
कैसे कहें हम तुम्हें पुश्तें अपनी
हमें नफरत आग में झोंक दिया तुमने

हमें, 'दुष्ट' तुम्हारी औलाद नहीं कहलाना है
हमें इंसानियत की राह पर जाना है
हमें, नफरत का जो दिया इतिहास तुमने
हमें, उसे त्याग राह ए मोहब्बत पर बढ़ जाना है

हम पढ़ लिख रहे आज ज्यादा हैं
बैर वैमनस्य मुक्त हमें होना है
जो कलंक लगा बँटवारे समय में
उसे अपने माथे पर से धो देना है

कट्टर जो नासमझ की कसम देता है
हमें उसके भडकावों में नहीं आना है
यह देश, यह समाज हमारा है
हमें, खोई भव्य विरासत फिर पाना है

तुमने लगाई नफरत की आग फिजा में
हमें मोहब्बत की धार से बुझा देना है
बँटवारे से सीखा है सबक हमने
हमें दुष्ट नहीं अब इंसान बनना है

भूल करने का है इतिहास तुम्हारा
हमें भूल सुधार का कीर्तिमान रचना है


-- राजेश चंद्रानी मदनलाल जैन 
12-09-2019
अपेक्षा ही क्या करें किसी से
सामर्थ्य कहाँ हम (मानव) बेचारों की
जब तलाशे कोई हममें हमदर्द अपना
हमसे न बन सके मदद बेचारों की

था भ्रम कि हैं कुछ अपने तो
जी लेने में मन लगा
हमदर्द नहीं मिला कोई तो
मर जाने का भय हटा

किरदार बड़ा निभा लें हम
हैसियत छोटी कुबूल कर लें हम
ना रहेगा गिला ज़िंदगी से यूँ फिर
कि थोड़ा जी कर चल पड़े हम

सूरज की रोशनी बिन कोई प्राणी स्वस्थ नहीं जी सकता
कुंठित रहे नारी जिसमें वह समाज स्वस्थ नहीं हो सकता