Wednesday, February 28, 2018

मेरी आँखों को चश्मे की जरूरत है

मेरी आँखों को चश्मे की जरूरत है
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गर न देख सकूँ माँ के त्याग - बेटा होकर
मेरी आँखों को चश्मे की जरूरत है
गर न देख सकूँ बहन के त्याग - भाई होकर 
मेरी आँखों को चश्मे की जरूरत है
गर न देख सकूँ पत्नी के त्याग - पति होकर
मेरी आँखों को चश्मे की जरूरत है
गर न देख सकूँ बेटी के त्याग - पिता होकर
मेरी आँखों को चश्मे की जरूरत है
गर न देख सकूँ नारी का भयभीत जीवन यापन करना 
मेरी आँखों को चश्मे की जरूरत है
--राजेश चंद्रानी मदनलाल जैन
01-03-2018
औरों को सिर्फ़ अपने ग्लैमर से लुभाया - फिर विलीन हो गये
मानव जीवन मिला मगर - कर्तव्य मानव के निभाना भूल गये


कर्तव्य मानव जीवन का - सुखद मानव समाज निर्माण होता है
मानव जन्मे मगर - निभायें नहीं दायित्व देखना दुःखद होता है




Tuesday, February 27, 2018

ज़िंदगी अपने तरह बसर कर - हम चले जायेंगे
भले बनें सब खयाल ज़ेहन में - रख ले जायेंगे

मौका देगी ये ज़िंदगी हमें - जब तक
क्यों है ये ख़ून ख़राबा सोचेंगें - तब तक

ये ख़ून ख़राबा कब, क्यों और किसे - मजा देता है
सबमें हो भाईचारा हमें तो ये देखना - मजा देता है

पति हो साथ तब भी पत्नी - सुरक्षित क्यों नहीं
कितनी ही बड़ी हस्ती हो नारी - सुरक्षित क्यों नहीं



 

Monday, February 26, 2018

कभी पसंद रहे फिर नापसंद - का गणित बड़ा सरल लगता है
उसके हित में कोई अच्छाई नहीं बचती - तब वह हमें नापसंद कर देता है


किसी को नापसंद हम - हम में कोई हीनता की बात नहीं
उसकी दृष्टि में कमी - अपनी ही देखता हमारी अपेक्षायें वह देखता नहीं


आसमां से बरसें ओले, ठिठुरती ठंडी या शोलें - उपाय जमीं पर करने होंगे
आसमां पर बंधन नहीं - वह जीवन प्रकाश औ जल भी दिया करता है


जिंदगी या नाम - भले छोटे हों , पर काम बड़े होने चाहिए
इंसान जन्में हैं हम तो - काम इंसानियत के होने चाहिये

इतना गहन दर्द - बयां क्यों करते हैं
ख़ून बहना नापसंद हमें - चाहे लफ़्ज़ों से ही बहता हो

वफ़ा की दलील - ज़िंदगी है मौत नहीं
मोहब्बत ज़िंदगी का लुफ़्त है - अलविदा नहीं 

मोहब्बत में "दर्द" की जिरह में - चाहे में हार जायें हम
मोहब्बत से मिले "खुशियाँ" - की जिरह करते रहेंगें हम

मोहब्बत में खुशियाँ चाहे - साथ या अलगाव में मिले
अलगाव भी हमें पसंद कि - अहम "मोहब्बत" होती है



 

Sunday, February 25, 2018

पुण्य का उदय - धन वैभव रूप भी मिलता है
श्रेयस्कर किंतु - आत्म-कल्याण रूप मिलना होता है

धन-वैभव में जब सुख नहीं यह ज्ञात हो जाता है
आत्म-कल्याण - तब हमारे संकल्प में आ जाता है

पुण्य कर्मों का 'धन-वैभव' रूप मिला फल , अधपका होता है
जबकि 'आत्म-कल्याण' रूप मिला फल , पका(मीठा) होता है



 
मोहब्बत , मोहब्बत होती वह कभी बदलती नहीं
जो बदल गए , उनका करना मोहब्बत होती नहीं

मोहब्बत , मोहब्बत होती वह कभी बदलती नहीं
जो बदल गए , उनका करना मोहब्बत होती नहीं

मौत के बाद - कोई जीवन हमारा नहीं होता , मगर
निभाया कर्तव्य , अभिव्यक्त विचार हमारा होता है  

Saturday, February 24, 2018

मिला के आँखे तुम से - धोखा हम खाते हैं
जादुई वज़ूद तुम्हारा कि - छल में आ जाते हैं

डरे हुए व्यक्ति का संपर्क - तुम्हें डरा जाएगा
निर्भय का साथ मिला तो - डर दूर भग जाएगा

हुईं होंगी हमसे कुछ गलतियाँ कि - उन ने मुहँ फेर लिया
अब दुआ है कि - उन्हें ऐसा मिले जो गलतियाँ नहीं करता

मासूम आतंक से आज़ाद नहीं - नारी शोषण से आज़ाद नहीं
अमीर शासकीय लूट से आज़ाद नहीं - ग़ुलाम या आज़ाद में लगता कोई फर्क नहीं


 

Friday, February 23, 2018

मोहब्बत से ले लो तो - मुफ़्त ही मिल जाऊँगा
खरीदना ग़र चाहोगे - यह हैसियत तुम्हारी नहीं

ख़रीद - फ़रोख़्त में - बिकता इंसान नहीं होता
इंसान होना - एक बेशक़ीमती तौफीक है तुम्हें

बचपना बीत जाए - यौवन बुखार उतर जाए
ख़्याल औरों के लिए करने का - उमड़ आए
मानव में यह - जीवन का आरंभ है

बदल रही रीतियाँ - समय का चलना है
आँचल की दुहाई - बन गया छलना है
 
जग सो रहा - जाग हम पड़े हैं
एकाकी जागृति में भी - ज़िंदगी के सवाल , वही उठ खड़े हुए हैं

सबको पड़ी अपनी अपनी - देश-समाज-समय अच्छा नहीं कहते हैं
कोई अँग्रेज आकर  इसे ठीक करेगा - क्या यह भ्रम हम रखते हैं ???

जी रहे हैं जब तक ही - यह समय हमारा है
ठीक ये समाज करें - ये समाज ही हमारा है

रहते जब इस जमीं पर - हसरत कोई और जमीं क्यों
ज़ाहिल क्या हम हैं कि - अपनी ज़मीं ना ठीक करें ??

ठीक यदि हम न रहे तो - हमें देश, समाज, समय क्या कहेगा
इतिहासकार जब यह समय लिखेगा - माथा अपना थोक लेगा

लड़ना-छलना ठीक लगता तो- जानवर ही हो लेते
इंसान अगर जन्मे तो - हम इंसान ही तो हो लेते

इंसानियत से जीते तो - ख़ुदा तक हम हो सकते थे
ख़ुदा का ज़िक्र लबों पर - पर इंसानियत ही खोते हैं

महफ़ूज होता ये मुल्क़ - महफ़ूज ही हम , तुम भी होते
फिजां में होती ग़र मोहब्बत - खुशियों से हम जीते होते

तौफ़ीक 'या ख़ुदा' मुझे दे - इस्लाम भी निभाऊ मैं
इंसान को मारूँ नहीं - 'मारे जाते इंसान' बचाऊं मैं



Thursday, February 22, 2018

बसंत से - आयु कहने की परंपरा
हम "बीस बसंत देख चुके हैं" , अब तक - इस तरह से आयु बताने की परंपरा हमारी संस्कृति में रही है। सभी भारतीय के जीवन में अभी फिर बसंत देखने का अवसर आया है। प्रातः बसंत की गुलाबी ठंड , पेड़-पौधों पर उतर आई सुंदर प्रकृति इंद्रधनुषी नयनाभिराम छटा। प्रातः गूँजता बचे हुए पक्षियों का कर्णप्रिय कलरव। लेकिन इन सबकी सुखद अनुभूतियों का आनंद लेने हम प्रातः जागते ही नहीं। जो जागते हैं - और प्रातः कालीन भ्रमण पर आकर वह भी - बसंत के आनंद को हृदय से अनुभव करने के स्थान पर - राजनैतिक , आर्थिक , सिने और खेल चर्चा को प्राथमिकता देते हैं। आडंबर के इस खेद जनक युग में आर्थिक विषय इतना प्रधान हो गया है कि जीवन को मिला नैसर्गिक - प्राकृतिक वरदान गौड़ हो गया है।
यही कारण है कि हम आयु बसंत के आधार पर कहने की परंपरा भुला चुके हैं। अब हमारा जीवन "दौलत के बसंत" के शब्दों में कहा जाता है यथा - हम करोड़पति हैं , अरबपति हैं , आदि ....
--राजेश जैन
23-02-2018

दुश्मनी किसी से - ना बदलने वाली , इंसानी फ़ितरत नहीं
थोड़ा किसी के लिए जी के देखिये - वह दोस्त हो जाता है

आपकी कल्पना में सर्वोत्कृष्ट - जो भी कुछ है
कल्पना की कल्पना - इसे साकार देखने की है
सर्वोत्कृष्ट के लिए जितने भी प्रयास आपके हैं
कल्पना के प्रयास - यहाँ एकजुट करने के हैं
कल्पना का डॉक्टरेट - इतिहास विषयक है
कल्पना की कल्पना - नया इतिहास रचने की है

मेरे किसी काम से - भला कुछ हुआ या नहीं , देखता नहीं
मगर बुरा ना हो किसी का - करने के पहले सोचता , मैं हूँ

धिक्कार है - निर्दयता पर , मप्र पुलिस तुम्हारी
रक्षार्थ हो नागरिकों के - ऑटो चालक की पीट के हत्या करते हो

जीवन किस दयनीय अवस्था में पहुँचेगा-अनुमान पहुँचने के पूर्व यदि हमें नहीं
तो समझ लीजिये कि हमने सिर्फ दौलत बटोरी-जीवन जिया ही नहीं

चुप तुम - चुप हम रह गये
जब देखा कि भला कहना नहीं - भला करना , भला होता है

अपनों से दूर - मैं सीधे रास्ते बढ़ा जा रहा हूँ
इस आशा से कि - दूर क्षितिज में भी कुछ अपने मुझे मिलेंगे



 

Wednesday, February 21, 2018

नाराज़ मत होना कि - तुमसे मोहब्बत का इज़हार नहीं लिखता
खुश होना कि सब मोहब्बत से रहेंगें - हममें भी मोहब्बत होगी

हमारा हर पल सुनहरा हो - ऐसा तो असंभव है
पर कोई और सुनहरा पल - फिर आना संभव है

अवरोधों से मुक्त तो करो देखिये - क्या फर्राटा लेती है
ज़िंदगी किसी प्राणी को - जीने के लिए मिला करती है

ग़म ग़लत करने के लिए - धुँआ उड़ाना छोड़ो
धुँआ उड़ाने की सजा - ग़म ही ग़म मिलती है

हम सुधरते क्यों नहीं - कि
हम उन्हीं विचारों का अनुकरण करते - जो हमें अच्छे लगते हैं




 

Tuesday, February 20, 2018

जो अच्छा तुम देखते मुझ में - वह मैं ख़ुद नहीं मेरा ख़ुदा है
जो बुरा देखने मिले समझना - मैं नहीं मुझमें शैतान छुपा है

मुझमें ख़ुदा हो सकता जब - तुम मेरी शैतानियत से न डरना
करना मोहब्बत मुझ से - मेरे शैतान को तुम ख़ुदा में बदलना

मुझ में ख़ुदा का न मिलना - माफ़ करना , तेरी कमी है दोस्त
ख़ुदा ने बक्शी नेमत ,मोहब्बत मगर तू ज़ुल्म मुझ पर करता है

नहीं थे , मंदिर ,मस्जिद चर्च तब - मासूम था इंसान
मज़हब बता बता अब - ख़ुदा का बंदा ख़ुदगर्ज हुआ है

मेरी हर शायरी में - तुम्हारी पहचान का बख़ान है मगर
और बात है कि - मेरी जुबां में लिखा तुम्हें पढ़ते नहीं बनता

यहाँ हर शायर - किसी से अपनी मोहब्बत लिखता है
मुझ में का शायर - इंसानियत से मोहब्बत लिखता है

अपनी मोहब्बत से हासिल खुशियाँ - चार दिन की होगी
इंसानियत से रख मोहब्बत तो - ये दुनिया जन्नत होगी

तेरे चलने-रुकने की यूँ तो - अहमियत कोई नहीं
तू चल मगर - कि तू इंसानियत लिए चलता है

तू जी कि - मेरे बाद भी तुझे जीना है
इंसानियत है तू - तेरी जरूरत हमेशा ही होगी

Monday, February 19, 2018



ये मुल्क़ - ये समाज - हमारा साझा है दोस्तों
ग़र बहकावों से बच बनाओगे इसको - साझा ख़ुशी जीने का मज़ा तुम उठाओगे दोस्तों

सुरक्षित होता ये मुल्क़ - सुरक्षित ही हम , तुम भी होते
फिजां में होती ग़र मोहब्बत - खुशियों से हम जीते होते

बात ग़र तहज़ीब से रखी जायेगी
बात ग़र चुभाने को न कही जायेगी
नफ़रत नहीं मोहब्बत होगी फ़िजा में
मुल्क़ की समस्या आधी रह जायेगी

इमरान का क़सूर क्या है दोस्तों
अमीर बूढ़ा भी हो तो - शादी को लालायित हसीना मिला करती हैं

अमावस से चाँद का भला - बिगड़ना क्या था
पूर्णिमा आने पर उसे - हसीं दिखना फिर था


तुम भी बनो चाँद कि - भले मुसीबत में घिर जाओ
हौंसलों से अपने सम्हलो - और फिर निखर जाओ

कैद हो परिंदा - अपनी खुशियाँ लुटाता है
मालिक की खुशियों का - रट्टा लगाता है

वो हमें - हमसे ज्यादा जानते हैं
जो ख़ुद अपने को - पहचानते हैं











 

Sunday, February 18, 2018

रूह से मोहब्बत रखने वाले - तुम्हारी ख़ुशी में खुश होंगें
जिस्म से जिन्हें मोहब्बत - हुस्न रहते तुम्हें पसंद करेंगें
जिस्मानी ग़र मोहब्बत - तब हुस्न अहं मुद्दा है
रूहानी मोहब्बत में - रिश्ता होना भी मुद्दा नहीं

मज़हब कोई नहीं कहता - मेरे मानने वाले की तादाद ज्यादा हो
मज़हब कहता , मेरे मानने वाले - तुममें इंसानियत की तादाद ज्यादा हो

नाज़नीन हमें बनाया कुदरत ने - हमारी खता क्या है
सबकी नज़रें हैं हम पर - नज़रों में राज़ बता क्या है

 

Saturday, February 17, 2018

रविवार से रविवार के चक्र में उलझ तेरा जीवन बीत जाता है
आज ठान वह करने की जिस हेतु ये मनुष्य जन्म तू पाता है

जिस्म के भीतर सबकी रूह एक सी है -
हमने पहचाना है
"प्रिय" इसलिए हमें - तुमसे मोहब्बत है

ज़िस्म से एकाकार हुई रूह को - बहुत कष्ट होता है
जब देखने वाला कोई इंसान - उससे नफ़रत करता है

जानते कि रूह से जुदा जिस्म को लोग दफ़ना देंगें
इसलिये ज़िस्म से नहीं रूह से हम मोहब्बत रखेंगें

धोखा है ताज़ - सुन मुमताज़महल
तेरी रूह से उसे मोहब्बत होती , जिस्म से नहीं - तो कई बेगमें वह नहीं रखता


दिल दुःखा तू ने क्या पाया
नारी लाचारी तू समझ न पाया

नहीं लड़ती किसी से - मतलब ये न समझना कि खुश है वह
नारी विरुध्द रिवाज़ों से लड़ने का - उसका साहस नहीं जुटता

हम भारतीय नैतिकता का महत्व भुला रहे हैं
तभी राजनीति में नैतिकता विहीन लोग आ रहे हैं

कह दीं जातीं पूरी बातें - चंद पँक्तियों में
जनाब
उन पँक्तियों को हम - शायरी कहते हैं

दिल जिस का तुम पर आएगा
वह जरूर खुशनसीब कहलाएगा

ईश्वर ज़माने को नई नज़र देदे
कि नारी वेदनाओं को देख सके

प्यार की पींगें चढ़ा - जो तुमसे छल ना करे
तुम्हारी प्रोन्नति में सहायक है - चुपके चुपके
सच्चा प्यार उसे ही है तुमसे

 

Friday, February 16, 2018

आप ऐसे किसी की हस्ती पे फ़िदा मत हो जाओ
कि खुद आप अपनी ही हस्ती बनाना भूल जाओ

आप ऐसे किसी की हस्ती पे फ़िदा मत हो जाओ
कि खुद आप अपनी ही हस्ती बनाना भूल जाओ

क्या होती है इक इंसान की हस्ती- आप समझ लेना
सिने अदाकार या सेलिब्रिटी को हस्ती न समझ लेना

चकाचौंध के गुलामों को हमने हस्ती माना है
इंसानियत से भटकाया - उन्हें हस्ती जाना है

इंसान हैं हम - इंसानियत से मोहब्बत रखें
बनाये वह हस्ती - कि हम इंसान से दिखें

जीवन में अनायास हमसे करीब होता है - मगर
कोई मधुर रिश्ता सप्रयास ही - हमेशा निभता है

दुनिया भली बनाने को - हम सबका लेखन प्रयास निरंतर हैं
भली नहीं बनती इसलिए कि सच्चे प्रयासों से हमारा अंतर है
 

Thursday, February 15, 2018



बहाने हैं सब - अपने दिल को बहलाने के
वरना
शिद्दत से चाहा ही कब कि - बेमिसाल कुछ कर लेते


'जी' खुद की ख़ुशी जब हमने - तो हमें एक अपराध बोध ने कचोटा है
जब औरों की खुशियों के निमित्त हुए - तो ख़ुशी के इंतहा को समझा है

 पहले समझते रहे कि अपने जीवन को ये आकार दिया , हमने
औरों के योगदान को समझा तब जीवन साकार किया , हमने

नाम चलने पर - कंफ्यूज नहीं होना तुम कि
रिवाज़ बरगला के - मासूमों को छलने के हैं

देखो बसंत ऋतू के - हसीं फूलदार पौधों का हश्र
लोग बगिया अपनी सजाने - गर्मी में उखाड़ फेंकेंगे

मंसूबे उनके पूरे होने में - जब तक साधन हो तुम
तारीफ़ तुम्हारी वे गायेंगे - बाद ज़िंदगी की मुसीबतों को झेलने के लिए - तन्हा तुम्हें वे कर जायेंगे



Wednesday, February 14, 2018

ज़िंदगी का हर लम्हा खुशियों से जीना मुश्क़िल - मगर
जिन में खुशियाँ जी सकते हैं - हम उसमें भी नफ़रत चिढ भर लेते हैं

ज़िंदगी का हर लम्हा खुशियों से जीना मुश्क़िल - मगर
जिन में खुशियाँ जी सकते हैं - हम उसमें भी नफ़रत चिढ भर लेते हैं

ज़िदगी में है सबको जब - मोहब्बत की दरकार
क्या है उनके दिल में - जो खूनखराबा चाहते हैं

मोहब्बत ही चाहते हैं जब - हम अपने लिए सबसे
क्यों करते मदद उनकी - जो मौत बाँटने को मज़हब कहते हैं

Tuesday, February 13, 2018

जो लिखते हैं हमारी आँखों पे गजलें
उन्हें ही हम चाहें तो क्यों उदास रहें


पिछले वेलेंटाइन पर जिसे कहा था - 'वेलेंटाइन' आज उसे फिर कहना
अंतरंग संबंध की चाह में, बदल 'वेलेंटाइन' - कामुकता में तुम न बहना

मिसाल बनो - तुम मिसाल बनो - ऐसी तुम मिसाल बनो
देख तुम्हें ज़ुल्म करना भूलें सब - ऐसी तुम मिसाल बनो

इंसान बनो - तुम इंसान बनो - ऐसे तुम इंसान बनो
तुम्हें देख - मोहब्बत छाये सबमें  - ऐसे तुम इंसान बनो

जिस वैलेंटाइन की याद में - फरेब की मिसालें क़ायम कर रहे तुम
याद रहे कि फ़रेब नहीं - वह मोहब्बत की मिसाल हुआ करता था

वैलेंटाइन - तुम कभी बन सकते हो , क्या ??
वह नफ़रत नहीं - मोहब्बत की मिसाल हुआ करता था

वैलेंटाइन से - आगे भी कुछ बन सकते हो , तुम
वह माशूका से करता था, तुम इंसानियत से - ग़र मोहब्बत करो

इंसानियत से - जो मोहब्बत होगी तुम्हें
माशूका खुद ब ख़ुद - तुम्हारी मोहब्बत पा जायेगी

तुम हो इस जहान में - ज़ेहन में अहसास ये काफी है
हमवक़्त गुजर रहे हैं साथ - ऐसी क़िस्मत ही काफी है

जीवन अनोखा - कभी किसी को मिलता नहीं
मान-प्रतिष्ठा और वैभव का - तनिक अंतर होता है


क्षणिक उन्माद या यौवन नहीं है प्यार कि चढ़ कि उतर जाए
प्यार वह ज़िंदगी है - एक बार मिली तो मरते तक निभ जाए


क्या इस्लाम इस तरह बचाया जाएगा -
आतंकी कोई एक प्रेग्नेंट मुस्लिम महिला पे भी गोली बरसाएगा

गोली_से_घायल_माँ_ने_जन्मी_बेटी
आतंकी - मौत बाँटते गोलियों की बौछार कराते हैं
गर्भस्थ शिशु - जन्म लेकर , आतंक के मुहँ पर तमाचा जड़ जाते हैं



 

Sunday, February 11, 2018

जिस लम्हा तुम्हारी - कोई दिलीय हसरत पूरी हो
उसी लम्हा - 'सबमें हो मोहब्बत' , देखने की तुम हसरत पैदा करो

इंसान हम किसी को ज्यादा - किसी को कम तो चाहेंगे
पर कम इतना हो कि - नफ़रत नहीं दिल में हमारे मोहब्बत हो

एक देश रहा - अब अलग ख़ूनी पाकिस्तान , नफरत में समाधान चाहता है
अनेक माँ की गोद - अनेक का सुहाग उजड़ता , पाकिस्तान का क्या जाता है

फूलों के मार्फ़त ग़र - 'पैग़ाम ए मोहब्बत' कही जायेगी
बताओ हमें क्या दगाबाज़ कोई - फ़ूल नहीं ख़रीद लेगा??

फूल तुम्हें पेश करने वाला - हर कोई वफ़ा नहीं होगा
जो न दे सका फूल तुम्हें - नहीं जरूरी बेवफ़ा ही होगा

नहीं आना फूलों के झाँसों में - फूल चाहे ले लेना
मोहब्बत परखने को मगर - तुम वक़्त जरूर लेना

तुम परखना कि फूल वाले हाथ - जिस्म टटोलने को उतावले तो नहीं
ऐसे ही हाथों ने मोहब्बत के मायने बदल दिये हैं - तुम याद रख लेना

Saturday, February 10, 2018


मोहब्बत को तुमने - अपनी आरजुओं की हद में सिमटा लिया
आशिक़ ख़ुद को कहते - पर तुमने मोहब्बत के साथ बुरा किया


थोड़ी खुशियों की हसरत थी - ज़िंदगी प्यार बाँटती गई
मिला प्यार बदले में तो - दिल में नफ़रत ही मिट गई

दिल में मोहब्बत है जिसके - वह सबसे मोहब्बत रखता है
और सब की खुशी की ख़ातिर - निजी अरमां भुला देता है

याद रखने से ज्यादा - भुलाना कठिन होता है
नफरत के सबब देखिये - भुलाये नहीं जाते हैं
#सदियाँ_बीत_गईं




 

Friday, February 9, 2018

काश , समझ समय रहते आती ...

काश , समझ समय रहते आती ...
सरल सादगी से जीवन यापन करने वाले - हमारे बाबूजी (मदनलाल जी जैन) से हमें आदर्श और सत्य पर चलने की प्रेरणा मिली। जिससे हमने (सभी भाई-बहनों ने) आज की बुराइयों से बहुत हद तक स्वयं को बचाये रखा। मैंने इंजीनियरिंग की शिक्षा उपरांत सर्विस ज्वाइन कर ली। वे व्यवसायी थे। इंजीनियरिंग की शिक्षा और सर्विस में देखा देखी से थोड़े , हम आडंबर से प्रभावित हुए। वे हर जगह - यह देखने , परखने आते कि मैं और (विवाह उपरांत परिवार सहित) - अच्छे वातावरण और अच्छे लोगों के बीच रहता हूँ या नहीं। उन्हें हमारी पसंदीदा सामग्रियों का भी मालूम था , वे हर बार हमारे (रचना और बच्चों के लिए) लाद के सब ले आते थे। वे किन बैग्स आदि में सब लाते , सादगी पसंद उन्हें इस बारे में कोई हीनता नहीं लगती , लेकिन आडंबर प्रभावित मै उनसे रुखाई से वह सब लाने से मना किया करता। खैर - उन्हें बुरा लगता या नहीं , हमें भान नहीं था। लेकिन वे जब भी आते उनका इस तरह लद के आने का क्रम बना रहा।
अब तीन वर्ष से अधिक हुए वे जीते नहीं रहे - अब उस तरह आने और पितृ स्नेह से सामान लाने वाले हमारे बाबूजी नहीं हैं। अपनी रुखाई या उनसे आर्गुमेंट के लिए मुझे स्वयं पर बड़ी खीझ होती है कि उनके पितृ प्रेम ,त्याग , उच्च आदर्श भावनाओं को मेरी आडंबर दुष्प्रभावित दृष्टि ने क्यों नहीं तब देखा। काश , मुझे यह समझ समय रहते आती - आज उनके नहीं होने पर सिवा पछ्तावों के क्या रहा है मेरे पास।
--राजेश जैन
10-02-2018
छली आज की इस दुनिया में - लोग छलने के आदी हुए
भरोसा किया जब किसी पर हमने - तब ही हम छले गए

हमारा हर किया-कहा-लिखा - कभी आदर्श नहीं होगा
सत्य की कसौटी पर - तुम्हारा परखना मुनासिब होगा

ख्वाहिशें चला देती थीं हमें - ज़िंदगी की मुश्क़िल राहों पर
मुश्क़िलों से घबड़ा ख्वाहिशें जो छोड़ी - ज़िंदगी रुक गई है

आँखे जो बंद की मैंने - एक मँजर ख़ुशनुमा सामने था
ख़ुद को देख लिया मैंने - मुझमें-तुममें फ़र्क कोई न था

ऐसी नज़र मेरी हो -
कि जो पास बैठे मेरे -
लिंग-भेद का बोध - उसे न हो

मुहब्बत है उनसे मगर - उनके गले पड़ना पसंद नहीं
चाहते हैं उनको मगर - उन्हें परेशां करना पसंद नहीं

मेरी मोहब्बत कोई शर्त नहीं - कि
मुझे है उनसे तो - वे मुझ से मोहब्बत करें









 

Thursday, February 8, 2018

कब तक कमियों के लिये ग़मगीन हम रहें
तुम हमारे नहीं तो क्या ज़िंदगी नहीं जियें

खुशियों का आगमन तो होता - तुम्हारे ज़िंदगी में आने से
पर यह भी नहीं कि बिन तुम्हारे - कोई खुशियाँ न आयेंगी

अच्छे हो तुम कि - ज़िंदगी में न आये तुम
आते मगर बेवफ़ाई करते तो - बुरा लगता

देखा है आजकल - इक ज़िंदगी में बहुतों का आना-जाना हुआ
देखा है यह भी कि - दग़ाबाज़ी से चला जाना तबाह करता है

माँ बाबूजी सा निःस्वार्थ प्रेम कहीं मिलता नहीं
जग में माँ बाबूजी सा हितैषी हमारा होता नहीं
कवि - साहित्यकार यों तो लिखते महिमा उनकी
पर पर्याप्त शब्द उनके बखान में कोई होता नहीं

तुम जी लेना - जीवन अपनी खुशियों में
माँ बाबूजी भी देख खुश - तुम्हें खुश होंगे
कोई भी काम करो - जीवन में स्वतंत्र तुम
न करना - कलंकित हों वे माँ-बाबूजी होने में

जीवन में किसी की महिमा से मात्र - चमकृत ही तुम नहीं रहना
तुम्हें जीवन मिला उनसा ही - महिमामयी काम तुम भी कर देना

इतने विचार भरे दिल में - आ तुम भी लिख जाओ
जरूरत इक विचार की - दिलों से नफ़रत मिटा जाये



Wednesday, February 7, 2018

बात सब करते - इंसानियत का पहरेदार कम ही होते हैं
वहशियत से वास्ता खुद पड़ता - तब इंसानियत न रही कह रोते हैं

अवसर होते हैं  , जिनसे लाभ मानवता के पक्ष में लिया जा सकता है
लेकिन दुखद कि - प्रतिष्ठा , प्रसिध्दि या लेखन(फेसबुक) से/के मिले अवसर - समाज में अश्लील , फूहड़ जुमलों के प्रसार कर व्यर्थ किये जा रहे हैं

आगे की नस्ल माफ़ नहीं करेगी - गर मौक़े हम गँवायेंगे
हैं इंसान पर फ़र्ज भूल हम - इंसानियत को ही दफ़नायेंगे

घर-परिवार बच्चों, के प्रति ज्यादा समर्पण रख,अपनी निजी तम्मनाओं को तजने की प्रवृत्ति-
नारी में पुरुष की अपेक्षा,ज्यादा पाई जाती है

न भेजो ग़ुलाब तुम - तुम तो गंभीर हो मोहब्बत में
ये चलन बढ़ाओगे तुम - तो दग़ा कई मासूम पायेंगे

गन्ना पिरोया तो - निकला रस हम ग्रहण करते हैं
सद विचार पिरोते मगर - सार रस ग्रहण न करते हैं



 

Tuesday, February 6, 2018

ज़िंदगी है तो - असफलता भी मिला करती है
धैर्य जरूरी कि - अधैर्य से ज़िंदगी बिखरती है

किसी की याद में हमें - व्यथित होने की जरूरत क्या है
याद को प्रेरणा बनायें - याद आने वाले का आदर होगा

समझने के किसी से हम - गँवार नहीं होते
शराफ़त हमारी - इंसानियत की पहचान है

औरों की खुशियों के मार्फ़त - जब हमारी खुशियाँ आयेंगी
दुनिया में इंसानियत - अमन,चैन औ खुशहाली छा जायेगी


 

Monday, February 5, 2018

दर्द, तन्हाई ,आंसू ,गुस्सा फिर अना - सब होते हैं
ज़िंदगी है शख़्सियत बनाये रख के - बुरे चलन बदल दीजिये

मरता रहा- हर अकाल मौत के साथ, मैं थोड़ा थोड़ा
नव-शिशुओं को देख उन्हें अच्छा समाज देने के लिए- फिर जन्मता हूँ ख़ुद में, मैं थोड़ा थोड़ा

मिलता है अपमान भी - मगर चाहिए आदर मुझे थोड़ा थोड़ा
मेरी तरह ही सब इंसान - करता सब का आदर मैं थोड़ा थोड़ा

नुक्स अपने देख सकी - तेरी नज़र क्या खूब है
हर नज़र आजकल - औरों में नुक़्स देखती है

ख़ुद की तारीफ़ में ही मैंने - वक़्त गँवा दिया
औरों में तारीफ़ देख लेता तो - ज़िंदगी मज़ेदार होती




 

Sunday, February 4, 2018

सामने जब तुम होगे - नज़र तुम पर भी जायेगी
सुख-दुःख तुम्हारे देखेंगे - गलत तुम न समझ लेना

मिलने-जुलने वाले हजारों होते - पर संकीर्णता घुस आई है
सामने वाले से - अविश्वास,कामुकता का भय बना रहता है

चलो एक नेक काम तुम करो - एक नेक काम हम करते हैं
क्या मिलता संतोष इसमें - -फिर आज हम-तुम शेयर करते हैं

अपमान,असफलता,धोखे होते कड़ुवे - उन्हें तुरंत भुला चाहिए
औरों को सफ़ल देखना,आदर,भरोसे से - हमें पेश आना चाहिए





 

Saturday, February 3, 2018

महफ़िल यूँ ही सजती रहेंगी - मेरे जाने के बाद
होंगे बहुत उनमें - पर तुम हमें फिर ना पाओगे

यह तो तय है कि - आया हर , कभी चला जाएगा
मगर आदर्श - मेरा व्यक्तित्व , तुम्हें याद दिलाएगा

कुछ आदर्शों पर चलते - वे भली जीवन राह बनाते हैं
सड़कें तो - इंजीनियर-मजदूर भी बना दिया करते हैं

चाहे आज छोड़ रहा जमाना - सद्-मार्ग पर चलना
मानव अस्तित्व बचाने - सद्-मार्ग पर उसे लौटना होगा

ज़िंदगी मिली - सफ़र तुझे भी तय करना होगा
इंसानियत पसंद तो - इक मिसाल बनना होगा

चलते चलते - इकदिन तो हमें भी थक जाना है
बैठ पीछे देखें तो - तय मुक़ाम भले देखना होगा

जब लौट दुनिया में वापिस तुम आओगे
यह पहचान फिर न वापिस तुम पाओगे -
भली पहचान रख दुनिया छोड़ना होगा

ऐब ए यार तो - ज़माने की दी-ली चीज है
अपनी मोहब्बत से हम - उनके ऐब दूर कर देंगे

किनारों के बीच - बह चलो साथ मिल के
नारी-पुरुष किनारे नहीं - एक प्रवाह होते हैं

नफ़रत रखी , जिसने दिल दुखाया - वह ज़िंदगी समझ ना पाया है
प्यार रखा - औरों के दिल जीते - उसने लुफ़्त ज़िंदगी का उठाया है




 
कहते हैं वह कुत्ता था
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बस दो घरों से उसे खाना मिलता था , एक घर से ठंड में बिछाने का कपड़ा और एक कपड़े से ओढ़ा दिया जाता था। मज़ाल की कोई अज़नबी इन घरों के तरफ मुहँ ही करले। उसके भोंकने से अज़नबी आतंकित होते थे। और जिसने भी उस पर एक भी बार पत्थर चला दिया , उसका गली में प्रवेश मुश्किल हो जाया करता था। अपने प्रतिरोध के कारण , उसने कई बार अपनी टाँगे भी तुड़वाई। एक बार निगम द्वारा पकड़वाया गया , बहुत दूर छुड़वा दिया गया किंतु पूरा शहर पार कर वह फिर अपने मालिकों के द्वार पर आ पुनः तैनात हो गया था। वह गली का  कुत्ता था , किसी के घर के भीतर उसे पनाह नहीं थी। फिर भी इतना मुस्तैद कि पैर टूटने का दर्द और खतरों से बेफिक्र हर अजनबी की कठिन परीक्षा लेता था। क्या कोई चौकीदार वह गली के घरों की रखवाली/सुरक्षा देता जितना वह दे लेता था। पिछले कुछ दिनों में उसने कुछ लोगों को नोंच - काट दिया। अंततः त्रस्त लोगों ने उसे पकड़वाने का ठेका दे दिया। पकड़ने वालों ने उसे लाठियों से मार ही डाला। कुछ रोटी -भात और थोड़े से मिले प्यार में उसने अपने प्राण बेहद दुःखद तरह से गँवा दिए। कहते हैं वह कुत्ता था - आवारा ...
--राजेश जैन
03-02-2018
 

Friday, February 2, 2018

#विशेषकर_युवाओं_से
दहेज़ हमारे समाज को कलंकित करता है। अगर हम कम दिखावों और कम आमंत्रितों के साथ विवाह करें तो विवाह खर्च में बचत ही , एक आकर्षक राशि होगी , जो दहेज में मिल सकने वाली राशि से भी ज्यादा हो सकती है .
--राजेश जैन
03-02-2018
उस सवेरा की आस कि - दुःख-दर्द देश में कम होंगे
कई उपाय अपनाये मगर - वह सवेरा आता ही नहीं

हर अच्छी कोशिश हमारी - बार बार विफ़ल होगी
विफ़लता से उबरते रहे तो कोशिश - कभी न कभी सफ़ल होगी

बुराई की तरफ लुढ़क जाना - आसान है मगर
कठिन अच्छाई - ऊँचाई छूते वही - मिसाल बनते हैं

ख़ुद ही हम लुढ़क गए तो - लुढ़कते को हम कैसे बचाएंगे
अच्छाई पर अडिग रहे तो - लुढ़कते के मददगार बन जायेंगे

तुम अच्छे - हम अच्छे तो सुनिश्चित साथ कर लेंगे
अच्छाई पर बने रहकर - हम हों दूर या पास , ताल्लुक़ जोड़ रख लेंगे

नफ़रत पाक नहीं होती - जबर्दस्ती में कपड़े उतरते हैं
मोहब्बत पाक इसलिए कि - उतरें भी तो मर्ज़ी से उतरते हैं

दोस्त भी हम बहुत करीबी तो भी - हर हाँ में हाँ न मिलायेंगे
ख़राबियों से दूर रख सके तो - हम सच्चे दोस्त कहलायेंगे

रूह जो बदली नहीं - उसे किसी ने समझा नहीं
रूह का न बचपन कोई - न उसका बुढ़ापा कोई

वही रूह युवा शरीर में - आकर्षण केंद्र होती है
वही रूह बूढ़े शरीर में - सर्व उपेक्षायें झेलती है

जिसने रोने दिया हमें नहीं - कोई , वह अपना सा है
अपना कहा कभी नहीं - जानता कि कोई अपना होता नहीं

ग़र खफ़ा रह के तुम वक़्त गुजारोगे
वक़्त कब प्यार से रहने का मिलेगा



 

Thursday, February 1, 2018


हमें बयां करे ज़माना - ऐसा तो कुछ हममें नहीं
मगर ज़ब इंसानियत की बात हो - एक मिसाल हम भी हों

सदा दी आकर क़रीब - जब भी किसी ने , हमें
हासिल की हसरत , हमसे उसे - सिर्फ अपने लिए थी

हमने जब समझा - चाहता हर कोई हमसे ,अपने लिये ही है
लाये तो साथ कुछ न थे - प्यार देने में हमने हर्ज़ नहीं समझा

दिया प्यार तो लौट - वापिस प्यार ही आया
नफ़रत के बदले हमने - वापिस प्यार नहीं पाया

अपना बनाने की हसरत में - दिन रात एक कर देते हैं
नामालूम मगर अपने होते ही - हमें भुला क्यों देते हैं


कायरता से मासूमों पर वार करना - इंसानियत नहीं होती
अपनी आश्रिता पर मारपीट करना - कभी मर्दानगी नहीं होती

मुखड़े पर तुम्हारे तिल - यूँ तो खूबसूरत है
हृदय में तुम्हारे प्यार - ज्यादा खूबसूरत है

सीने में रख ही अपने - हम-तुम चले जायेंगे
सीने में ही रहना है - तो उचित प्यार रखना होगा


सीने में नफ़रत रख देखी - सीने को जलाती है
प्यार रखा हमने - खुशियों का प्रवाह अनुभूत हुआ

सूरत तो तेरी बहुत ख़ूबसूरत है , मगर
सीरत तेरी अच्छी - जिससे तू ,मुझे प्यारा है