मायूसी की रात गुजर कर
सुबह नई आशा की किरण लाती है
जिंदगी इक मुक़ाम से आगे
नई मंज़िल की दिशा बढ़ जाती है
सिर्फ अपने लिए जिये ही क्यों - कि औरों को खटकें
जियो कुछ ऐसा करने के लिये - कि बच्चे ना भटकें
बच्चों को इक प्लेटफॉर्म दो तो उन्नति कर जायेंगे
जो छोड़ी समस्यायें तो बेचारे उसमें वक़्त गवाएंगे
जिन्हें साधारण माना जाता है - उनसे भी मैं दोस्त होता हूँ
प्रतिभा सबमें है , आशा होती है - मेरा दोस्त बेहतरीन कोई काम करेगा
मुस्कुराओ इस लम्हे में भी - साथ मिलकर कि
बीतने पर इसके - कभी इसकी क़सक याद होगी
इन इतवारों की भी रहते तक कद्र करलें
बीत जायेंगें फिर ये भी कभी ना आयेंगे
बहुत हुआ साथ - तो लगता कि हम उसे सबसे ज्यादा जानते हैं
चूक है- बिन जताये भी हमारे लिए करते हम वह कहाँ जानते हैं
जिन्हें साधारण माना जाता है - उनसे भी मैं दोस्त होता हूँ
प्रतिभा सबमें है , आशा होती है - मेरा दोस्त बेहतरीन कोई काम करेगा
मुस्कुराओ इस लम्हे में भी - साथ मिलकर कि
बीतने पर इसके - कभी इसकी क़सक याद होगी
इन इतवारों की भी रहते तक कद्र करलें
बीत जायेंगें फिर ये भी कभी ना आयेंगे
बहुत हुआ साथ - तो लगता कि हम उसे सबसे ज्यादा जानते हैं
चूक है- बिन जताये भी हमारे लिए करते हम वह कहाँ जानते हैं
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