माध्यम कैसा जिम्मेदार राष्ट्र का?
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मात्र एक पुरस्कार को वंचित
देख दुःख वंचित पुत्र के
आया पिता को रोना बहुत
क्यों न हो , वह ह्रदय पिता का
वर्षों कर प्रशंसा गरीब राष्ट्र ने
दी प्रसिध्दी और बहुत संपत्ति
स्वयं रहते आधे भरे पेट और
खरीद टिकट देखते सिनेमा वे
वंचित जीवन मूल सुविधा से
ऐसे देश के आधे नागरिक
उनके प्रति दायित्व था होता
ना करते उन्हें दिग्भ्रमित तो
यही बहुत सम्मान होता उनका
गर दिखाते सच्चा जीवन सपना
हित साधने अपने अपने दिया
उन्हें आडम्बर का थोथा सपना
माध्यम कैसा जिम्मेदार राष्ट्र का?
बना दिया भ्रम प्रचार फैला कर
कोई कहे महान पिता उन्हें तो
मुझे या अन्य को नहीं आपत्ति
पर जब सब कहें महानायक तो
मुझे ना लगती बात वह सच्ची
महानायक वह त्यागे हित स्वयं के
अपमान शब्द का दें गर ऐसों को