Thursday, March 8, 2018

मूर्ति पर विवाद -विरोध

मूर्ति पर विवाद -विरोध
----------------------------
महान व्यक्तियों के विचार और उनके आदर्श कर्मों के उदाहरण प्रायः मेरे सामने आते हैं - मगर मुझमें बहुत पढ़ने या उन्हें जानने की रूचि उत्पन्न नहीं होने पाती। मेरा मन कहता है समय - परिस्थितियाँ थीं जिसमें उन्होंने कोई विचार दिया और कोई महान कार्य स्वयं किया अथवा उस समय के भले लोगों का विश्वास , साहस और परिश्रम लेकर मानव समाज के लिए करवाया। ऐसे ही आज के समय - परिस्थितियाँ की हैं , जो मुझे और आपको मिली हुईं हैं। आज की नई नई समस्यायें हैं जो पूर्व पीढ़ियों को या उपरोक्त कथित महानों के समय - समक्ष नहीं थीं। ऐसे में मुझे लगता है हम और आप पूर्व महानों की नक़ल कर उनका समाधान करने में सफल नहीं होंगे।
कहीं किसी की ऐसी मूर्ति है - जिससे प्रतिदिन आसपास से गुजरने वालों का कोई सरोकार नहीं है , उस मूर्ति का होना अगर किसी में सद्कर्म या सद्विचार प्रेरित करने में सक्षम नहीं तो ऐसी मूर्ति का होना या न होना - इस पीढ़ी के सुखद जीवन की दृष्टि से महत्वहीन है। उस मूर्ति को तोड़ने या बचाने को इशू बनाकर खून ख़राबा या अशांति मचाने से आम - जन-साधारण को न ही कुछ हासिल है न ही उसका कुछ खोना है। लेकिन स्वयं को चर्चित करने - अपने राजनीतिक हित साधने या अपनी पूर्व रंजिशें निकालने के दुष्प्रयासों से उपजी अफरा-तफरी में किसी मासूम को घाव लगता है , उसे संपत्ति या आर्थिक हानि होती है तो यह देश और समाज के लिए हानिकारक ही है। अतः मूर्ति पर विवाद या उसे लेकर आंदोलित होने की हमें भूल नहीं करनी चाहिए। अपितु ऐसी मूर्ति यदि दैनिक यातायात में बाधा डालती है तो उसे सार्वजनिक स्थल से हटाकर किसी - निजी भवन में , निजी जमीन पर शिफ्ट कर देनी चाहिए। उनके अनुयायी उस मूर्ति प्रेरणा लेने या उनके प्रति आदर भाव दर्शाने के लिए बिना रोक टोक वहाँ आये जायें किसी को कोई हानि नहीं ।
-- राजेश चंद्रानी मदनलाल जैन
09-03-2018

 

No comments:

Post a Comment