टूटा हुआ सा लगना
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जिस तरह जिंदंगी में शारीरिक स्वास्थ्य का नरम-गरम पड़ना और फिर स्वस्थ हो जाना चलता है , वैसे ही मानसिक अवस्था के साथ भी होता है। सभी बच्चे , युवा (और बड़ों का भी) कुछ जीवन सपना होता है। बच्चों के मन में अपने पेरेंट्स को अपने अचीवमेन्ट से गौरव दिलाने की इक्छा होती है , स्वयं के मान प्रतिष्ठा और वैभव का कोई लक्ष्य होता है। अधिकांश लोग, ऐसा सब करने में सफल नहीं होते हैं। तब उन्हें डिप्रेशन भी होता है। यह मानसिक स्वास्थ्य का नरम-गरम पड़ना होता है। यह स्थाई नहीं होता। एक लक्ष्य का चूकना निराशा तो लाता है पर उस से उबर कुछ समय में ही हम संशोधित लक्ष्य तय करके उस पर जुट जाते हैं। डिप्रेशन में हम टूटे हुये से महसूस तो करते हैं। मगर ये अस्थाई होता है। अनेक बार जीवन में यह स्टेज सभी देखते हैं लेकिन जीवन चीज ऐसी है कि हर सुबह इक नई आशा दिलाती है। और जो हौसले कायम रखते वे 'न पा सकने' (-) और 'पा लेने के' (+) कुल परिणाम में सफल कहलाते हैं।
अगर आपको टूटा (brokeup) सा लगता है तो यह टेम्परेरी स्टेटस होता है। आप वास्तव में महान बनने के लिए जन्मे हैं।
--राजेश चंद्रानी मदनलाल जैन
25-03-2018
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जिस तरह जिंदंगी में शारीरिक स्वास्थ्य का नरम-गरम पड़ना और फिर स्वस्थ हो जाना चलता है , वैसे ही मानसिक अवस्था के साथ भी होता है। सभी बच्चे , युवा (और बड़ों का भी) कुछ जीवन सपना होता है। बच्चों के मन में अपने पेरेंट्स को अपने अचीवमेन्ट से गौरव दिलाने की इक्छा होती है , स्वयं के मान प्रतिष्ठा और वैभव का कोई लक्ष्य होता है। अधिकांश लोग, ऐसा सब करने में सफल नहीं होते हैं। तब उन्हें डिप्रेशन भी होता है। यह मानसिक स्वास्थ्य का नरम-गरम पड़ना होता है। यह स्थाई नहीं होता। एक लक्ष्य का चूकना निराशा तो लाता है पर उस से उबर कुछ समय में ही हम संशोधित लक्ष्य तय करके उस पर जुट जाते हैं। डिप्रेशन में हम टूटे हुये से महसूस तो करते हैं। मगर ये अस्थाई होता है। अनेक बार जीवन में यह स्टेज सभी देखते हैं लेकिन जीवन चीज ऐसी है कि हर सुबह इक नई आशा दिलाती है। और जो हौसले कायम रखते वे 'न पा सकने' (-) और 'पा लेने के' (+) कुल परिणाम में सफल कहलाते हैं।
अगर आपको टूटा (brokeup) सा लगता है तो यह टेम्परेरी स्टेटस होता है। आप वास्तव में महान बनने के लिए जन्मे हैं।
--राजेश चंद्रानी मदनलाल जैन
25-03-2018
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