Happy Father's day …
मैंने देखा है आजकल कोरोना के इस समय में, मेरे अढ़ाई वर्ष के नाती ‘रंश’ की सप्ताह में चार दिन, एक घंटे प्रति दिन की ऑनलाइन क्लास होती है। टीचर उसमें रंश सहित सभी बच्चों को अच्छा गाइड करती हैं। मुझे मालूम है कि इस छोटी सी उम्र में भी, सभी बच्चों के लिए अच्छी स्कूल फीस देनी होती है।
क्लास के एक घंटे के समय में और उसके बाद भी, मेरी बेटी #रिचिका - दामाद #रुचिर, अपने बेटे #रंश के साथ, उसे स्कूल से बताई गतिविधियाँ सिखाने में बहुत मेहनत करते हैं और टीचर से कई गुणा अधिक समय देते हैं। इस मेहनत और समय की कहीं भी कोई फीस नहीं होती है।
टीचर (गुरु) के प्रयास और शिक्षा का अपनी जगह महत्व तो होता ही है। इसे कम करके नहीं देखा जाना चाहिए, मगर विशेष कर #रुचिर, की बच्चे #रंश के साथ, लगन, निष्ठा और समर्पण से दिया समय, अतुलनीय है।
इस सब का साक्षी होकर मुझे, विचार आता है कि पिता-माँ का लालन पालन, उस प्राकृतिक प्राण वायु (#ऑक्सीजन) जैसा होता है जो सहज मिलती है तब उसका कोई मोल नहीं होता है।
कोरोना के इस समय में, हम सबने देखा है कि यही #प्राणवायु (ऑक्सीजन) जब किसी कोरोना संक्रमित को, सिलिंडर में खरीदनी पड़ी है तब उसकी कितनी महँगी कीमत चुकानी पड़ी है।
मैं हृदय से अनुभव करता हूँ, धन्य हैं हर पिता-माँ जो अपने अपने बच्चे को महान त्याग और हार्दिक तथा निःस्वार्थ लाड़ दुलार से लालन पालन करते हुए बड़ा करते हैं।
धन्य हैं हम सब भी, आज हम जो कुछ भी अपनी पहचान बना सके हैं मगर पूर्व में कभी, अपने माँ की ममता और अपने पिता की बाँह में झूले हैं। माँ-पिता की अँगुलिया पकड़कर हमने चलना सीखा है।
आज फादर्स डे पर, अपने पूजनीय पिता (स्व. #मदनलाल जी जैन) का श्रद्धा पूर्वक स्मरण एवं शत शत वंदना।
हालाँकि मेरे बाबू जी अब नहीं हैं। मगर जब तक मेरे हृदय में धड़कनें हैं, उन प्रत्येक धड़कनों में वे हैं।
सभी को हैप्पी फादर्स डे।
--राजेश चंद्रानी मदनलाल जैन
20-06-2021