हिंदी दिवस
भाषा - इसे मातृभाषा कहें या हिंदी , मराठी , गुजराती , तेलुगु , मलयाली ,कन्नड़ ,बँगला या उर्दू कहें - सभी स्त्रीलिंग हैं। जिस तरह भाषा के अवलंबन बिना जीवन अधूरा है उसी तरह नारी भी जो स्त्रीलिंग है के अवलंबन बिना जीवन नहीं है - जीवन अधूरा है। हिंदी दिवस पर आज नारी हित के मेरे कुछ शब्द -
नारी के परंपरागत जीवन और दशा में कुछ अच्छाई भी हैं और बहुत सारे दुःख-दर्द भी हैं। अब उन्नत हुई नारी के जीवन और दशा में कुछ अच्छाई भी हैं और बहुत दुःख-दर्द भी हैं। जब हम पालक होकर सोचते हैं तो परंपरा जिसमें नारी पर बहुत सी वर्जनायें थी वह ठीक लगतीं हैं क्योंकि उसमें ही हमें बेटी - बहन , पत्नी की सुरक्षा प्रतीत होती है। और जब हम किशोरी और युवती की दृष्टि से देखते हैं तो उसमें खुलापन और आज़ादी अच्छी प्रतीत होती है। किंतु इससे , उनमें आ रही स्वछंदता यथा - शराब - सिगरेट पीना , एकाधिक पुरुष मित्रों से संबंध , और देर रात्रि तक तफरीह -पार्टी उनकी सुरक्षा को खतरा बढ़ाता है। अपरिपक्व युवा दृष्टि उस स्थिति को नहीं देख पाती कि युवा नहीं रह जाने के बाद भी उन्हें लंबा जीवन जीना होता है , जिसमें सामाजिक गरिमा-सम्मान भी महत्वपूर्ण आवश्यकता होती है।
लिखने का अभिप्राय यह है कि हम अपनी दृष्टि इतनी साफ़ करें कि हमें परंपरागत नारी जीवन में जो अच्छाई थी उसकी पहचान रहे - साथ ही हमें उन्नत हो रहे नारी जीवन में स्वतंत्रता और मिल रहे समान अवसरों का उपयोग किन तरह की बातों में हितकर है यह दिखाई दे सके।
कोई भी वस्तु पूरी की पूरी लाभकारी नहीं होती है। हमें वस्तु का लाभकारी प्रयोग करना आना चाहिए। नारीवाद को सही परिप्रेक्ष्य में प्रयोग ही जीवन हितकर होता है। मिल रहे अवसरों को सही प्रयोग न कर पाने की स्थिति में नारी नये तरह के शोषण की शिकार हो सकतीं है। नारी - माँ है ,बहन है ,बेटी है ,पत्नी है - इसलिए पारिवारिक हितों की दृष्टि से सुखी नारी अकेले नारी हित नहीं बल्कि यही पुरुष हित भी है।
परामर्श यह कि हम जिन भी बदलाव के समर्थक हैं - उन्हें आँख बंदकर समर्थन नहीं दें अपितु बदलाव सही दिशा में प्रशस्त हो इसे दूरदर्शिता से सोंचें -समझें।
"जय मातृभाषा - जय हिंदी दिवस "
--राजेश जैन
14-09-2017