दुर्भाग्य है कि पुरुष अंधत्व - महत्व नारी भूमिका का देखता नहीं
नारी कहती अपनी करुण दास्तां जब - बहरा बन उसे सुनता नहीं
मिले आँख-कान की देख सुन हम सकें - भाषा बनी की वर्णित को समझ हम सकें
सब प्रदत्त ख़ूबियाँ , हाशिये पर क्यों - करें मंथन कि भलाई हेतु उपयोग कर सकें
काफ़िर मैं नहीं कि - सजदा नहीं करूँ
ख़ुदा बन मगर - कि मैं सजदा तेरा करूँ
ख़ून खराबा और मासूमों की जान तू लेता है
कहता है तू कि - इस्लाम को बढ़ावा देता है
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