Thursday, February 18, 2021

हाँ, यही प्यार है ..

हाँ, यही प्यार है .. 

मैं फोटोग्राफर नहीं इसलिए फोटो गंदी है एवं इसमें पंख एवं कबूतर बीट की गंदगी भी है, मगर यह गंदी सी तस्वीर मैंने, प्यार की निर्मलता कैप्चर करने के लिए उतारी है। मैंने अपनी खिड़की से, चार दिन पहले पड़ोस के सज्जे पर पड़े एक मृत कबूतर एवं उसके पास एक जीवित कबूतर को बैठे देखा था। शायद जोड़े में से एक कबूतर उसी दिन या उसके एक दिन पहले मर गया था। 

तब से आज चार दिन हुए हैं। मृत कबूतर धीरे धीरे सूखता जा रहा है मगर जीवित कबूतर निरंतर उसके पास बैठा (बना) हुआ है। इन चार दिनों में मेरी जिज्ञासु दृष्टि जितनी (कई कई) बार उस सज्जे पर गई है उतनी बार मुझे जीवित कबूतर, मृत कबूतर के आसपास ही बैठे हुए ही दिखाई दिया है। मुझे नहीं लगता कि इतने दिनों में वह, अपने भोजन या जल के लिए भी कहीं गया हो। 

बेचारा पक्षी है शायद उसे ज्ञान नहीं कि बेजान पड़े उसके साथी में अब कभी प्राण वापस नहीं आएंगे। 

मुझे यह भी पता नहीं एक मृत एवं एक जीवित, के इस जोड़े में नर कौन एवं मादा कौन है? मगर जिसे हम सच्चा प्यार होना कहते हैं वह मुझे इनमें दर्शित होता दिखता है। 

साथी के विछोह में, जीवित बचा कबूतर, भूख प्यास तक भुला बैठा है। उसने उड़ना छोड़ दिया है। मुझे अभी पता नहीं कि आगे किसी दिन, उसे जीने के लिए, जीवन अपनी ओर लुभा सकेगा भी या नहीं या साथी के विछोह में भूखा प्यासा वह भी मृत्यु को आलिंगन कर लेगा। 

मेरा हृदय कामना कर रहा है कि काश वह, फिर उड़ान भरने लगे। इस विशाल आसमान में उड़ते हुए फिर कोई प्यारा साथी अवश्य मिल सकेगा ... 

जो भी हो लेकिन मैं कह सकता हूँ - हाँ, यही प्यार है। जो जीवन और मौत की दूरी में भी बना रहता है।    



Thursday, February 11, 2021

तेरी हस्ती - मेरी हस्ती कुछ जुदा नहीं है 

ख़ुशफ़हमी - मैं खुदको तुझसे श्रेष्ठ मानता  

मैं नहीं तुम - भली जानते हो कि दावानल 

किसी दिन - जला देगा दोनों को एक ही तरह