Wednesday, March 7, 2018

अन्तरराष्ट्रीय महिला दिवस पर किसकी गाथा लिखूँ ??

अन्तरराष्ट्रीय महिला दिवस पर किसकी गाथा लिखूँ ??
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मैं किसी चर्चित नाम पर लिख सकता हूँ , किंतु ऐसा नहीं करते हुए मैं आज उन्हें चुनता हूँ , जिन्हें महान होने पर भी कोई महान नहीं जानता। जिनका नाम नोबल या छोटे मोटे पुरस्कार के लिए कभी विचारा नहीं जाता। जो भारतीय उपमहाद्वीप में बहुतायत में पाईं जाती हैं। जो जीवन भर अपने घर-परिवार और बच्चे लिए अपने बिगड़े स्वास्थ्य में भी कार्यशील होती हैं , लेकिन जिन्हें वर्किंग तक नहीं कहा जाता। धन अर्जित करने वाला पुरुष तो इतना कमाता है - उतना कमाता है कह कर महिमामंडित किया जाता है लेकिन दिन रात पति और बच्चों की सेवारत उन्हें, आश्रिता बताकर हीन दर्जा दिया जाता है। अपने माँ पिता - भाई आदि को घर छोड़ विवाह कर पराये घर को आबाद करने के लिए भी उन्हें अपने साथ दहेज लाने की विवशता होती है। वे अपना जीवन स्वयं अपने में नहीं - पति और बच्चों के जीवन में जीतीं हैं लेकिन उनका यह महान समर्पण और महान त्याग भी - उन्हें साधारण से ऊपर जाना जाने में सहायक नहीं होता है। उनकी तमाम प्रतिभा को अपने थोड़े से रोकड़े कमा लाने की तुलना में हीन देख कर - अपने को 'पुरुष' और 'श्रेष्ठ' बताने का रिवाज़ पुरातन काल से स्थापित कर रखा है। तिस पर करुणामयी - ममतामयी इन देवी से , धूर्त पुरुषसत्ता स्वयं हीनता कुबूल करवा लेती है. आप समझ गए होंगे किसकी पहचान है यह - जी हाँ आप सही समझ रहे हैं - यह "भारतीय होम मेकर पत्नी" होती है। जिसे मैंने अपनी माँ - बहन और पत्नी में जीवन भर साक्षात देखा है। अपनी माँ - बहन और पत्नी को दर्पण जैसा रख - भारत की समस्त नारी की स्वच्छ - त्यागमयी - करुणामयी - ममतामयी और प्रेममयी , अप्रीतम सुंदर छवि को निहारता हूँ - हृदय में उनके लिए आदरभाव यूँ तो हमेशा है - आज महिला दिवस पर मैं प्रकट शत शत नमन करता हूँ।
--राजेश चंद्रानी मदनलाल जैन
08-03-2018

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