Saturday, October 31, 2015

नारी मन में सम्मान , महत्व ,समानता अनुभूति

नारी मन में सम्मान , महत्व ,समानता अनुभूति
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माँ ,बन जन्म देती , बहन ,बन जिम्मेदार होने कहती
पत्नी ,मर्यादा भीतर बाँधती ,बेटी ,त्याग साहस कराती 

नारी प्रति कृतघ्न नहीं रहें ,हमें उनका कृतज्ञ रहना है
नारी आदर सुखद समाज सूत्र ,हमें यही बस कहना है
जिस पुरुष के मन में नारी गुणों प्रति आदर भाव रहता है
घर में आदरणीय होता ,बाहर भी वह आदरणीय बनता है

नारी से प्रेरणा मिलती है जिसे ,पुरुष वह महान बनता है
जीवन में सद्कर्म से अपने ,जग पथप्रदर्शक वह बनता है

नारी प्रति कर्तव्य निभाता ,सम्मान ,सुरक्षा नियत कराता
ध्रुवीकरण अच्छाई पीछे करवा ,भला एक इतिहास रचाता 
नारी मन में सम्मान , महत्व ,समानता अनुभूति करा कर
नारी मन में पुरुष मान बढ़ा कर समाज सुखी वह कर जाता
--राजेश जैन
01-11-2015
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करवा चौथ व्रत महिमा

करवा चौथ व्रत महिमा
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पति -पत्नी के रिश्तों को खत्म करने के
परस्पर रिश्ते बीच ,आदर खत्म करने के
धूर्त कामुक ताकतों के षडयंत्रो के उत्तर में
रिश्ता पुष्ट करता ,करवा चौथ व्रत काफी है

सुखी जीवन के वृक्ष की जड़ में परिवार मधुरता होती है
पति-पत्नी प्रेम से रहते जिस घर उसमें मधुरता होती है
घर परिवार सुखी जिस समाज में ,राष्ट्र प्रगति करता है
पति-पत्नी ,सुखद रिश्ता सुखी विश्व नींव रच सकता है

जिसकी नहीं करवा चौथ में आस्था ,वह व्रत रखे बिन रह सकता है
लेकिन किसी की आस्था का मखौल , सभ्यता परिचय नहीं देता है
तोंडे ना करवा चौथ रखती नारी का मनोबल अपने किसी कुतर्कों से
यह पत्नी-पति बीच सुखी जीवन ,सम्मान भावना को पुष्ट करता है
--राजेश जैन
31-10-2015
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Thursday, October 29, 2015

मोहा उन्होंने मुझे


मोहा उन्होंने मुझे
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होते हैं पुरुष अच्छे , पुरुष धर्म निभाया करते हैं
गृहस्थी कर्तव्य के भार ,कंधों पर लिया चलते हैं
धन्य मैं पति मिले ऐसे ,मेरे लिए आदर रखते हैं
सारे दुःख दूर रहे मुझसे ऐसे यत्न किया करते हैं

मोहा उन्होंने मुझे ,साथ बना रहे कामना रख रहीं हूँ 
करवा चौथ व्रत रखके ,उनमें श्रध्दा प्रकट कर रही हूँ

छिछोरे भी पुरुष होते , दायित्व न निभाया करते हैं
ये पुरुष ,छिछोरापन नारी मन में भर दिया करते हैं

करवा चौथ का उपहास उड़ाने ,ये माहौल बनाते हैं
नहीं रखे व्रत कोई ,निष्प्रभावित मैं व्रत रख रही हूँ
कहते बार बार जन्म होता ,हर बार मिलें ये ही मुझे
प्रार्थना ,कामना मन लिए ,फिर उपवास कर रही हूँ
--राजेश जैन
30-10-2015
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करवा चौथ व्रत -2

करवा चौथ व्रत -2
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आधुनिका भी मैं , विवेकवान भी मैं हूँ
पति-पत्नी अटूट साथ पे विश्वास रखूँगी

आया जीवन में पुनः करवा चौथ पर्व
होता आया परंपरा से ,मै उपवास रखूँगी
आपके दीर्घ जीवन एवं जन्मों के साथ
सहित सुखद जीवन की ,कामना करुँगी

मेरे शिकवे शिकायत आपसे ,प्रियवर
क्यों रहते हैं यह आज स्पष्ट करुँगी 
आप नहीं बैरी ,आप तो हो प्यार मेरा
कलह से ठेस लगे ऐसा कुछ ना करुँगी 

समझ ,साहस एवं पुरुष बल से आपके
साथ में सम्मान , सुरक्षा मुझे मिलेगी
इस विश्वास के साथ ,छोड़ मायरा आई
कि ख़ुशी मेरे साथ आपको भी मिलेगी

मधुर पलों में दोनों को ख़ुशी अनुभव हुईं हैं
देख क्लांत कई मौके आपको ,पीड़ा मुझे हुई है 
अपेक्षायें आपको मुझसे ,मेरी भी कुछ हुईं हैं
पूर्ण की मैंने ,आपने तब मुझे भी ख़ुशी हुई है
--राजेश जैन
29-10-2015
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Wednesday, October 28, 2015

करवा चौथ व्रत


करवा चौथ व्रत
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उपलब्ध में किया श्रृंगार अधिकतम
दिन में ग्रहण भी न किया न्यूनतम
चन्द्रमा साथ पति मुख निहारा और
कामना की सुहाग आयु रहे दीर्घतम

आँखों से देख पत्नी मुख पर आभा
सुन जीवनसंगिनी की मधुर प्रार्थना
आदर ,प्रेम लेना चाहिए ह्रदय हिलोरें
स्पर्श से अनुभव हो समर्पिता याचना

प्राचीनकाल से निभा रही व्रत रख कर
पति इसे पत्नी धर्म मान के भूल गया
त्याग ,कठिन व्रतों से साथ की आशा
पुरुष अहं में चूर उदासीन हो भूल गया
--राजेश जैन
28-10-2015
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Tuesday, October 27, 2015

पति पत्नी परस्पर उपहास ,क्या सिर्फ मजाक है ?

पति पत्नी परस्पर उपहास ,क्या सिर्फ मजाक है ?
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कैसा बदलाव आज यह भारत में दिमाग पर छाया
मान पे आती पहले ,जब किसी ने पत्नी को उठाया
आज रावण को जलाते जलाने वाले ,कहकर कि तूने
सीता मैया की जगह मेरी पत्नी को क्यों नहीं उठाया

यही चला आधुनिकता के नाम पर कुछ समय तो
होंगे परिवार खत्म ,बिना सुखद समाज व्यवस्था के
क्या कल्पना है इसकी ,क्या भान अपने दायित्वों के
बनाया ज्ञानियों ने ,तुम मिटाते व्यभिचार राह चल के 

सोचें हम , मिटे अगर पति पत्नी के रिश्ते तो
सिर्फ नर मादा ही जाने जाएंगे आगे जन्मने वाले
--राजेश जैन
27-10-2015
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Monday, October 26, 2015

सर्वोच्च हितैषी खोया हमने

सर्वोच्च हितैषी खोया हमने
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दुःस्वप्न जिसने जीवन भर हमें डराया था
पिछले वर्ष कटु यथार्थ हो सामने आया था
नियति आपको पापा ,दूर ले गई हम सबसे
छिना स्नेह आशीर्वाद जो हम पर छाया था

होते पापा ,आज हम मनाते बर्थ डे आपका
शुभकामना दे ,हम पाते आशीर्वाद आपका
सत्ताईस अक्टूबर पहले ऐसे ना आया था
हमेशा सानिध्य , शुभाशीष हमने पाया था

लाचार हैं , दुःखी हैं आपकी यादों में गुम हैं
कैसे बिताये दिन ,बिन आप ,गम में हम हैं
पापा ,जीवन में सर्वोच्च हितैषी खो दिया हमने
छत्रछाया बिन कटु यथार्थ अनुभव किया हमने
(हमारे पूज्य पापा की आज जन्म तिथि , उनके नहीं रहने बाद आई है -
पुण्य स्मरण और हमारे श्रध्दा सुमन )
--राजेश जैन
27-10-2015
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Saturday, October 24, 2015

नारी उत्थान और हम

नारी उत्थान और हम
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बेटी बचाओ का नारा बुलंद करने वाले ,हम    *Save Girls
इसके लिए हमें नारी से छल छोड़ना होगा
महिला सशक्तिकरण अभियान चलाते ,हम   *Women Empowerment
सर्वप्रथम हमें ,नारी को सुरक्षा देना होगा

समाज दहेज अभिशाप से मुक्त चाहते ,हम    *Dowry system
दहेज लेना एवं पत्नी प्रताड़ना तजना होगा
भारतीय संस्कृति को आदर्श मानते ,हम        *Exploitation of Women
हमें ,नारी शोषण रूढ़ि, ,कुरीत बदलना होगा

समान अधिकारों में समाजहित मानते ,हम    *Gender Equality
पढ़ने के अवसर-सम्मान नारी को देना होगा
नारीवादी नारी-पुरुष का करते स्वागत ,हम      *Feminism
हमें ,यौनाचार आधारित व्यापार रोकना होगा

पश्चिमी बेशर्मी त्याग ,गरिमा व्यवहार से ,हम    *Pornography addiction
यौन दुराग्रह हमें अपने में नियंत्रित करना होगा
नारी-पुरुष साथ नहीं टूट सकेगा कभी ,समझ   *Faith from both sides
विश्वसनीय-सुखद साथ के उपाय करना होगा  
--राजेश जैन
25-10-2015
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Friday, October 23, 2015

नारी सम्मान-संघर्ष

नारी सम्मान-संघर्ष
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प्रारम्भ से साथ रह वह ,करती आई परिवार के लिए
अच्छे का श्रेय तुम लेते , ना शिकवा उसे इसके लिए
दोषों को उस पर थोपने की कुरीत से परेशान हुई वह
विवश किया तुमने उसे ,नारी सम्मान-संघर्ष के लिए

चरित्र अगर बिगड़ा वह ,अकेले नारी से नहीं होता है
सहनशीलता से ज्यादा दुःख , सहन किससे होता है?
नहीं कर सकी जो वह ,तुम्हारा अपमान नहीं होता है
स्व-विवेक से जो किया वह ,त्रिया चरित्र नहीं होता है
परिस्थितियों और विवशताओं में उनसे बना , किया
तुम निष्पक्ष हो ना देख सके , वह न्याय नहीं होता है
--राजेश जैन
24-10-2015
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Thursday, October 22, 2015

उषा ,किरण ,संध्या ,निशा और सूरज

उषा ,किरण ,संध्या ,निशा और सूरज
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आने से उषा अस्तित्व पाती है
उसको छूकर किरणें बिखर जाती है
ऊष्मा उसमें से पर्याप्त फैलती तब
शीतलता देने के लिए संध्या आती है

वह चला जाता तब निशा का अंधकार छा जाता है
दूर करने अगले दिन सूरज को फिर आना पड़ता है
सूरज ,नहीं है कामी पुरुष ,कई नारी नहीं भोगता है
सूरज ,नारी साथ लेकर जगकल्याण किया करता है
--राजेश जैन
23-10-2015
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Wednesday, October 21, 2015

दशहरे पर शुभकामना

दशहरे पर शुभकामना
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जन्मजात समाहित सबमें अच्छाइयाँ 
इनके साथ सब जन्में ,आदर के पात्र हैं 

अच्छाई पर दृष्टि कर कुछ देखते जो
सभी से सम्मान का व्यवहार रखते हैं 
ग्रहित बुराई पर दृष्टि रखने वाले कुछ
बुराइयों में लिप्त का मान ना करते हैं

सबके सब आदरणीय ,आदरणीया बनें 
आज दशहरे पर हम शुभकामना करते हैं
जन्मीं जो हममें बुराइयाँ ,निकाल उन्हें
रावण के साथ जलादें ये कामना करते हैं
--राजेश जैन
22-10-2015
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Tuesday, October 20, 2015

कुछ मेरा ,कुछ तुम्हारा -प्यार

कुछ मेरा ,कुछ तुम्हारा -प्यार
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मैं लगी तुम्हें दुनिया से प्यारी
मुझे लगा तुमसा ,चाहता ना कोई है
माँ-पापा का मान रहे ,रही मेरी चाह
तुम्हें मन में ,दहेज़ अभिलाषा ना कोई है
परिवार में सबका मैं आदर करती
तुम्हें पसंद कि मेरा आदर करता हर कोई है 
विचार कि सुख मिले परस्पर एक दूसरे को
अपनी खुशी के लिए ,खींचतान ना कोई है
आ गई मुझमें उम्र जनित रूप शिथिलता
बेफिक्र तुम ,तुम्हारे प्यार में ,कमी ना कोई है
आजीवन मधुर साथ रहे ,तुम्हारी चिंता
तुम्हें स्वयं अपने लिए ,चिंता ना कोई है
मेरी तुम्हारे बीच की अंतरंगता है निजी
प्रगट साथ के आलावा ,वासना ना कोई है
--राजेश जैन
21-10-2015
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Monday, October 19, 2015

प्रेरणा

प्रेरणा
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लक्ष्य रख हम किसी के पीछे भागते हैं
संभव कभी उसका साथ पा सकते हैं
पाकर लक्ष्य , कोई वैभव में खोता है
प्रिया के साथ प्यार में ,कोई खोता है

कोई मान-प्रतिष्ठा ,दर्प में डूबा होता है
कोई ज्ञान अपना ,बेचता फिरता है
कोई एक साथ कई उपलब्धि पाता है
फिर कभी ,पाया ,खोता चला जाता है

स्व-विवेक से सदाचार में जो जीता है
अनायास मिलते जाते में सुख ले लेता है
स्पर्ध्दा में अपनी जीत में प्रसन्न होता है
योग्य ,दूसरे की जीत में ख़ुश में हो लेता है 

पाया-खोया सब जीवन पीछे ,किस्से हैं
प्रेरणा दे गया तो जीवन सार्थक हिस्से हैं 
--राजेश जैन
19-10-2015
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Sunday, October 18, 2015

पुरुष चेतना

पुरुष चेतना
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आँखें हैं कामुकता दर्शन को बेताब
कर्णों को मादक ध्वनि सुनने की चाह
नासिका रतिज गंध तलाशती
तन को प्रियतमा स्पर्श की चाह
जिव्हा ललायित मादक रस सेवन को
हृदय धड़कन को प्रियतम साथ की चाह
प्रजनन अंग सक्रिय रति में सुख ढूँढने
मन में निरंतर वासना संबंधों की चाह

नारी को भोगता पुरुष , वस्तु मानकर
कहीं प्रस्तुत है स्वयं नारी वस्तु बनकर
क्या ,यही है आधुनिक सभ्यता ? और
इतना ही होता , मनुष्य यौवनकाल ?

नहीं-नहीं ,नहीं-नहीं सुखद समाज रचना हेतु
पुरुष को चेतना जरूरी ,अब नारी के साथ साथ
--राजेश जैन
18-10-2015
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Saturday, October 17, 2015

योग्य


योग्य
-----------
लोकप्रियता के रथ पर
या ,धर्मगुरु के आसन पर
या , उच्चपद कुर्सी पर 
आसीन जो ,हमारे ही समान है

बनायें ,लोकप्रिय उसको
बैठायें ,धर्मग्रुरु पद पे उसको
चुनें ,उच्च पद पर उसको
जो नेक और योग्य हो

इसमें चूक हमसे हुई ,अगर
पाखंड का आदर न कर सकेंगे
भटकायेगा देश-समाज को ,वह
संस्कार सुनिश्चित न कर सकेंगे
--राजेश जैन
17-10-2015
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Friday, October 16, 2015

शानदार

शानदार
-----------
मेरा कर्म ,सद्कर्म ही हो
आज हमें यह प्रण लेना है
समाज में घटिया परिस्थिति
हर समय नहीं बनी रहना है

डिफ़ॉल्ट सेटिंग मनुष्य की 'अच्छी' है
यह विवेक विचार से समझ लेना है
घटिया प्रभाव से ओवरराइड हो
'बुरी' बनी ,उसे रिसेट कर देना है

किसी घटिया जगह अगर हम हों
हमें घटिया नहीं ,शानदार करना है
निभा राष्ट्र ,मानवता दायित्वों को
लुप्त भव्यता ,पुनर्स्थापित कर देना है

नहीं मिला ,यह अच्छा- वह अच्छा
नहीं ऐसा हमें बहाना करना है
घटिया स्थितियों में अच्छा कर सकते
यह प्रेरणा प्रस्तुत कर देना है
--राजेश जैन
16-10-2015
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Thursday, October 15, 2015

नये बन रहे समाज के जब होंगे पचास वर्ष

नये बन रहे समाज के जब होंगे पचास वर्ष
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नब्बे प्रतिशत से ज्यादा नारी -पुरुष
परिवार में पत्नी-पति हो रहते आये हैं
कुछ कड़वे-पीड़ा के किस्से परिवार में
हजारों वर्ष के सिलसिले में होते आये हैं

लंबी अवधि में कड़वाहट के कुछ किस्से से
उचित नहीं समाज संरचना बदल देना है
अनुभवों से सीख ,कड़वाहट देतीं जो उन 
कुछ कुरीतियों को उचित से बदल देना है

समाज विद्रोही अति प्रतिक्रिया ,प्रवृतियों से
समाज में डिवोर्सी नारी-पुरुष ज्यादा होंगे
गर्लफ्रेंड-बॉयफ्रेंड रिश्ते में भुगते ज्यादा होंगे
उपजे अवैध संबंधों से उनके दुष्परिणाम होंगे 

टूटे परिवार ,माँ या पिता विहीन बच्चों का
प्रतिशत समाज में ,पचास से ज्यादा होंगे
ऐसे नए समाज के सिर्फ पचास वर्षों में
कड़वे ,पीड़ादायी किस्से बहुत ज्यादा होंगे
--राजेश जैन
15 -10-2015
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Tuesday, October 13, 2015

बहन जी

बहन जी
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बजरंगी भाईजान… .
एक फिल्म आई बजरंगी भाईजान ,जिसमें
हीरो ने हिरोइन से पहले बहन जी बोला है
मेरा नाम बहन जी नहीं , रसिका सुनते ही
पवित्र भाव खत्म ,हीरो मंगेतर बन डोला है
कॉलेज में …
कॉलेज पढ़ने जाती सलवार सूट परिधानों में
वह स्टूडेंट कॉलेज में बहन जी पुकारी जाती है
ऐसे उपहास से बहन जी शब्द कहा जाता कि
वहाँ वह भारतीय परिधान पहनने में शर्माती है 
बॉयफ्रेंड-गर्लफ्रेंड …
पाश्चात्यता ने फिल्म एवं मीडिया माध्यम से
भारतीय संस्कृति पर इस तरह हमला बोला है  
बहन ,बेटी ,पत्नी , गरिमामय रिश्ते संकट में
बॉयफ्रेंड-गर्लफ्रेंड नए रिश्ते का अब डंका बोला है
--राजेश जैन
13-10-2015
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Monday, October 12, 2015

पापा और बेटी

पापा और बेटी
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सजी दुकानों में नये नये सामानों ने
बेटी तुम्हें जब तब ललचाया था
मै चाहता ,तुम्हें दिलवाना लेकिन
सभी कुछ नहीं दिलवा पाया था

तुमने सीमा क्षमता पापा की जानी
बुध्दिमानी पर अचरज में ,मैं होता था
हर चीज़ नहीं बनी तुम्हारे लिए
तुमने छोटी उम्र में ही यह समझा था 

प्रतिस्पर्धाओं में योग्यता जितनी
सफलता में संतोष ,जीवन कला होती है
यह संस्कार तुम ग्रहण कर सकी ,
जिससे अपराध बोध से मैं बच सका था
--राजेश जैन
12-10-2015
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Saturday, October 10, 2015

नारी-पुरुष रति चाह

नारी-पुरुष रति चाह
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नारी-पुरुष रति चाह , पति-पत्नी में ख़ुशी देती है
सभी सुंदर से संबंध ,पिपासा से तृप्ति न होती है
भूख ,कुछ भोजन से समय समय की पूरी होती है
पूरा भोज्य मै खाऊँ की तृष्णा में तृप्ति न होती है

दूसरे की थाली के अच्छे व्यंजन देख झपट जाना
माँसल , बलिष्ठ तन देख नीयत ख़राब हो जाना 
स्वयं के भोजन या विवाहित साथी पर है अन्याय
बेहतर इससे अपने में अच्छाइयों को परख जाना

फेसबुक से पहले ,मनोरुग्णता की माप नहीं थी
कई के कामातुर मन में क्या ऐसी भाँप नहीं थी

सोशल साइट्स से यद्यपि रुग्ण चाहत प्रकट हुई है
किन्तु स्वस्थ मन को चंगुल से बचने को सीख दी है
काम-रुग्णता मीडिया ,फिल्म-वीडियोस ने फैलाई है
उसे थामने उपाय करें ,यह चुनौती पीढ़ी को बताई है
--राजेश जैन
11-10-2015
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Thursday, October 8, 2015

नये बन रहे समाज के जब होंगे पचास वर्ष

नये बन रहे समाज के जब होंगे पचास वर्ष
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नब्बे प्रतिशत से ज्यादा नारी -पुरुष
परिवार में पत्नी-पति हो रहते आये हैं
कुछ कड़वे-पीड़ा के किस्से परिवार में
हजारों वर्ष के सिलसिले में होते आये हैं

लंबी अवधि में कड़वाहट के कुछ किस्से से
उचित नहीं समाज संरचना बदल देना है
अनुभवों से सीख ,कड़वाहट देतीं जो उन 
कुछ कुरीतियों को उचित से बदल देना है

समाज विद्रोही अति प्रतिक्रिया ,प्रवृतियों से
समाज में डिवोर्सी नारी-पुरुष ज्यादा होंगे
गर्लफ्रेंड-बॉयफ्रेंड रिश्ते में भुगते ज्यादा होंगे
उपजे अवैध संबंधों से उनके दुष्परिणाम होंगे 

टूटे परिवार ,माँ या पिता विहीन बच्चों का
प्रतिशत समाज में ,पचास से ज्यादा होंगे
ऐसे नए समाज के सिर्फ पचास वर्षों में
कड़वे ,पीड़ादायी किस्से बहुत ज्यादा होंगे
--राजेश जैन
15 -10-2015
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Wednesday, October 7, 2015

नारी को आदर

नारी को आदर
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सम्मान , अपनी माँ ,बहन , बेटियों का जिसमें जानते हैं
जिन गुणों का होना अपनी पत्नी में होना जरूरी मानते हैं
पीछे पड़ दूसरों की पत्नी ,बेटी को , गर्लफ्रेंड बना छलते हैं 
उनमें उन गुणों को मिटाते ,अपनी भूल क्यों ना मानते हैं

अवैध संबंध की होड़ लगाकर ,प्रचलन ऐसा ख़राब लाकर
माँ ,पत्नी ,बहन ,बेटी में , रख पाएंगे नहीं गुण बचा कर
बुरे चलनों में वे दुष्प्रभावित होंगी ,नारी गरिमा खो देंगी
चंचल चित ,ऊब ,साथ बदलना ,नारी चुनौतियाँ बढ़ा देंगी 

निभाने ,त्याग करने ,सम्मान करने को प्यार न जानेंगे
कामुकता के वशीभूत ,वासना को प्यार अगर मान लेंगे
काम वासना के सागर में ,मानव समाज को डुबा कर के
माँ ,बहन ,बेटी पत्नी से बनता परिवार विलुप्त कर देंगे

मानव सभ्यता की ,हासिल उच्च मंजिल से गिर जायेंगे
आज नहीं चेत पाये तो , मनुष्य जानवर जैसे हो जायेंगे

धर्म ,भाषा ,राष्ट्र ,संकीर्ण मनसिकता से ऊपर उठना होगा
मानवता निभा ,सभी नारी को आदर एवं सुरक्षा देना होगा
--राजेश जैन
07-10-2015
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Monday, October 5, 2015

एक मीठा ,पका ,ताजा फल

एक मीठा ,पका ,ताजा फल
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एक वृक्ष पर , बहुत मीठा , सुंदर सा एक फल लगा दिखाई देता है ,उसे देख ,देखने वाले के मन में ये अलग-अलग विचार आ सकते हैं -
1. इस फल को तोड़ ,मै खा लूँ  (सामान्य सोच )
2. यह फल , तोड़ मै , अपने बच्चे को खिला दूँ ( जिम्मेदार सोच)
3. यह फल , जिसके आँगन में वृक्ष है उसे खाना चाहिए (तार्किक सोच)
4. यह फल , स्वयं या घर परिवार के लिए खरीद लूँ ( धनवान की सोच )
5. यह फल उसे खाने को  मिल जाये , जो खाना नहीं मिलने से कई दिन से भूखा है (आदर्श सोच )
6. उस रोगी को खाने मिल जाए , जो और कुछ पचा नहीं पा रहा है , जिसके लिए यह फल सुपाच्य और पौष्टिकता देने वाला है ( न्यायिक ,आदर्श सोच)
अच्छे और सभ्य समाज में अधिकता , क्र. 4 से 6 तरह के विचार वालों की होगी , 2 एवं 3 तरह के विचार वालों की अधिकता से एक सामान्य समाज बनता है। जबकि जिस समाज में क्र 1 तरह के विचारों के धनी हों , वह समाज ,स्वार्थी और खींचतान और छल से सभी के लिए के लिए पीड़ादायक होता है।
--राजेश जैन
06-10-2015
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Sunday, October 4, 2015

नारी कमजोर है या कमजोर हो गई हो तो

नारी कमजोर है या कमजोर हो गई हो तो
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इन्द्राणी ने ऐसा किया ,राधे माँ ने वैसा किया
उन्हें विवश उस रस्ते पे ,किसने ,सहयोग किया ?

माना स्व-विवेक होना चाहिये ,साथ सदाचार होना चाहिए
गर भूल हुई हो ,किसी से ,क्या उसे ,हमें छल लेना चाहिए ?

कुछ नारी बन गई वस्तु सी है ,जो ,पुरुष मजे के लिए उपलब्ध है
क्या पत्नी ,बहन ,बेटी तुम्हारी ,चाहते वैसी उपलब्ध अन्य को हो ?

अतः ,दोष नारी पर न डालना होगा ,उसे नहीं पथ भटकाना होगा
बहाना उसकी भूलों का करके ,उसे मर्यादा बाहर न ले जाना होगा

व्यभिचारी नहीं , जिम्मेदार बनना होगा
कायर नहीं ,वीरता के आचरण करना होगा 
नारी कमजोर है या कमजोर हो गई हो तो
सहारा दे उनको मजबूत ,हमें करना होगा
--राजेश जैन
 05-10-2015
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