मोहब्बत के दायरे में मेरी - क़ायनात समा जाए
ख़्वाहिश बड़ी मेरी - सामने क़ायनात भी हार जाये
प्यार की परिभाषा -
तुम संकीर्ण न करो
पहला या आख़िरी की फ़िक्र छोड़
हृदय में प्यार सब के लिए रखो
आज हुस्न की नई तस्वीर तो - कल पुरानी होती है
की इंसानियत में शिरक़त तो - यादगार कहानी होती है
हमारे दोषारोपण के कठघरे में - नस्ल-जाति-मजहब-पुरुष-नारी नहीं
कठघरे में हम सिर्फ अपने लिए हासिल - ये स्वार्थ-परता रखते हैं
No comments:
Post a Comment