Saturday, March 3, 2018

यहूदी ... ???

यहूदी ...  ???
एक बच्चा गर्भ में गर्भस्थ शिशु बस है। वह जन्मते ही भारतीय , अमेरिकी , चीनी , अफ्रिकन या हिंदू , ईसाई , यहूदी , मुसलमान हो जाता है। सिर्फ रोते हुए जन्मने वाला - बालावस्था में ही , अँग्रेज , उर्दू या हिंदी भाषी हो जाता है। जिसका पहला भोज्य माँ की छातियों का दूध होता है - कुछ ही महीने में वह शाकाहारी या माँसाहारी हो जाता है। अभी अक्ल भी नहीं होती उसे कि हम इस्लाम , ईसा , राम या बुध्द का अनुयायी बताने लगते हैं।
जबकि इनमें से कुछ भी हो उसे जीना इक इंसानी ज़िंदगी होता है। इंसान का फ़र्ज इंसानियत होता है - लेकिन जब उसे समझ भी नहीं होती है तब से ही जुड़ गए उपरोक्त विशेषणों वह ऐसे जीने को विवश होता है कि उस जैसे जन्मे इंसान का वह जानी दुश्मन होता है।
आलम आज ऐसा है जिसे हम सभ्य कहने लगे हैं - अब तक के उस इंसान का सभ्य होना अभी बहुत दूर की बात है। हम सभ्य तब कहे जायेंगे - जब अपने से पहले हमें अन्य की जान की फ़िक्र होगी। हम अपनी ही तरह किसी माँ के जन्मे इंसान के , मारने वाले नहीं बचाने वाले होंगे। हमारे विश्वास कुछ भी हो सकते मगर - प्रथम विश्वास हमारा मानवता पर होगा। उस दिन हम सभ्य होंगे।
-- राजेश चंद्रानी मदनलाल जैन
04-03-2018

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