Tuesday, March 27, 2018

पिछले दिन में उपजी निराशायें - निशा चादर से ढकती है
ऊषा की नव किरणें हृदय में - नई आशा संचारित करती हैं

किसी के निराश मन में मदद से
जब आशा का संचार करते
उदासीन पड़ी किसी कोने में
तुम भोली मानवता का प्रसार करते


बहुत सी व्याप्त बुराई मिटाने - क्रांतिकारी बदलाव जरूरी है
सुधार लाये क्रांति - मगर खूनी न हो यह सावधानी जरूरी है

हर खून ख़राबा सुन,देख,पढ़ कर - मन अवसाद से भरता है
हताहत हुए इंसान के अपनों का चेहरा - ज़ेहन में उभरता है

अपने कर्तव्यों को पहचानते नहीं - उनके प्रति समर्पित नहीं जब तक
जितना कहते - लिखते हम - सब शुद्ध बतोलेबाजी होती है तब तक

हमें सुविचार लिखने पढ़ने - गूगल पर ढूँढने से ज्यादा
उस पर अमल के तरीके - भीतर के इंसान में ढूँढना है

किसी की भली अपेक्षा की उपेक्षा - जब जब हमसे होती है
अपने कमजोर सामर्थ्य पर हमें - तब तब कोफ़्त होती है

सिर्फ अपने हित साधने पर हमने - जब ध्यान सीमित कर लिया
गुनाह इंसानियत पर किया - इंसानी सामर्थ्य संकीर्ण कर दिया

आप जब कोई भी बुरा काम नहीं करते तब भी - लोग , जगहें और ओछे कारनामे बहुत हैं
जो आपको हीनता का एहसास कराने की कोशिश करते हैं

आपसे कोई मुलकात नहीं - पर आप हो यह एहसास बहुत है
जिससे दुनिया में करने और जीने का जज़्बा - कायम रहता है

सिरदर्द में मगर - सिर को भी नहीं सहलाया
अपने होकर भी तुमने - सितम हम पर ढाया













 

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