Tuesday, July 31, 2018

तूफानों ने लेकर बार बार चपेट में अपनी
हमें ज़िंदगीं से जीतने का तरीका सिखा दिया

 

Monday, July 30, 2018


पीछे छूटी बेहतरीन चीज़ों का गम नहीं करो कि
आगे भी कुछ बेहतरीन चीजें ख़ुशी की सबब होंगी

मंजिलें बदलनी पड़ीं यदि तो कोई ग़म नहीं
हर मंज़िल की राह में कुछ ख़्वाब मिलते हैं

Sunday, July 29, 2018

न करें और जहाँ की बातें
न देखें उस जहाँ का सपना
रहते हैं इस जहाँ में हम
बनायें इस जहाँ को अपना



यह जीवन मिला मानव का - हम को
गर दे सकें सुखद जीवन का सिद्धांत - सबको
जब चल न सकेंगे - खुद पैरों पे हम अपने
तब भी चले लेंगे सब - सिद्धांत पर हमारे

चंद कुछ लम्हें हैं ज़िंदगी में
याद ले जिनकी ज़िंदगी चलती है

 

Thursday, July 26, 2018

'और' जीते हैं ज़िंदगी - हसरतें अपनी रखकर तुझसे
हम देते मौका , ज़िंदगी - हसरतें हमसे तू पूरी कर ले

गर होता कुछ पास मेरे - देने से जो नफ़रत मिटा देता
ख़ुशी से बाँट कर सबमें - ख़ुशी से खाली हाथ जी लेता

दिल में नफ़रत तुम रखते हो - बेचैन हम रहते हैं
मोहब्बत रखो दिल में - कि चैन से तुम-हम रहलें

नफ़रत कितनी महँगी पड़ती है - सोचते क्यूँ नहीं हो तुम
चार दिनी ख़ुशी जीने मिली ज़िंदगी - ख़ुशी बिन गुजरती है

शतरंज की बिछात - चलो आज जमाते हैं
इंसानियत से हम - नफ़रत को मिटाते हैं

काला नकाब भी अपना नहीं - शबाब भी अपना नहीं
नेकी के सिवा, वक़्त के हाथ सब- कुछ भी अपना नहीं

हमारे स्वार्थ पूरे होने के साधन जब तुम न रहे
तुमसे थे जो स्वार्थ के रिश्ते हमने खत्म किये









 

Tuesday, July 24, 2018


शिकायतें कर कर के नहीं
खूबियाँ देख देख के उनकी
हमने गुजारी ज़िंदगी अपनी
एक जिम्मेदार पति होकर




विश्वसनीय हुए बिना - हम कहीं भी खुश नहीं
हम ही क्या - हमसे कोई , कभी भी खुश नहीं

#जबलपुर_और_बारिश
इस बारिश में हम - बीज सौहाद्र के लगायें
जिससे उगे पौधे - ख़ुशहाल समाज बनायें

#नफ़रत_का_पलीता_न_लगाओ
अग्नि ही देनी है तुम्हें - तो उन चूल्हों में दो
जहाँ ना जलने से चूल्हा - बच्चे भूखे सोते हैं

#लिहाज़
छोटा सा इक दिल तुम्हारा - ख़्वाहिशें कुछ छोटी छोटी
ज़िंदगी के नज़रिये से उनका - हम लिहाज़ किया करते हैं

#विदाई_इवेंट
अनायास नयनों में उनके - मूक अश्क छलक आये
ज़िंदगी शुक्र गुज़ार रहेंगे - खूब हमें तू ऐसी मिली

खुद को रहे दर्द को भी - मैं किस्मत होना लिख दूँगा
इसे भोगने के बाद - किसी के दर्द को गर समझ लूँगा

Monday, July 23, 2018

प्रिय , इक तुम्हारी ही नहीं सब की फ़िक्र करते हैं
इंसानियत के रिश्ते में - इंसान सभी मेरे अपने हैं

फ़िक्र हम ही नहीं उनकी - वे हमारी फ़िक्र करते हैं
खुद को और हम को भी - जो इंसान समझते हैं

होने दो ब्लड प्रेशर - हो जाने दो डाईबिटिज
फिक्र तो करनी होगी - खतरे में है इंसानियत

आने दो निकट अवसान अपना - भोगी नहीं रह सकते
अपने लिए जीने से ज्यादा जरूरी - औरों के लिए जीना है

सही तो हर कोई खुद को मानता है
दुःख मगर यह कि सही होता नहीं




 

Sunday, July 22, 2018

मदद की हो पुकार जहाँ - मदद ही तुम करना
मदद के बहाने - बदमाश किसी ख़्याल को जब्त तुम रखना

बारिश बहुत है #जबलपुर में आज - राह में तुम मदद किये चलना
किसी मासूम पर शिकंजा न हो बदमाश का - ख्याल किये चलना

मालूम नहीं कौन से शब्द किसी को सद्प्रेरणा दे जायें
लिखते सद्विचार हम शब्द औ अंदाज बदल बदल कर

Saturday, July 21, 2018


आठ अरब ज़िंदगियों को लादे - वक़्त गुजर रहा था
काश वह करते कि - हमें लादने पर वक़्त गर्व करता

बहुत मौके हुए जब अपने किये के बाद
लगा कि ख़ुद पर हम हँसे या कि रो लें

कभी लगा कि सबमें मिला दें
कभी लगा कि वज़ूद तो दिखे

ख़्वाब जो दिल में उसके - पूरे हो जायें
ज़िंदगी में इससे ही - हम खुश हो लेंगे

नफ़रत ख़त्म नहीं  - लिखना / करना उस दिन तक बाकि रहेगा
इसलिए रहेगा रंज कि - फ़र्ज अधूरा छोड़ इक दिन मैं चला गया

हम से प्यार करते हैं वे - इससे ख़ुशी इसलिए है
कि हम से प्यार कर के - उन्हें ख़ुशी मिलती है

बेशक तुम - ख़्वाब अपने पूरे कर लेना
ख़्वाब में मगर - औरों की ख़ुशी शामिल कर लेना

हमें , ओ खोने वाले - तेरी ख़ुदा मदद करे
किसी को नहीं हासिल - हम तुझे हासिल थे





 

Wednesday, July 18, 2018

हमें चाहिए वैसी - दुनिया मिलती नहीं
जी जाते ज़िंदगी - ज़िंदगी लगती नहीं

दुनिया से अलग हो - ज़िंदगी होती नहीं
दुनिया में ज़िंदगी - ज़िंदगी सी लगती नहीं
हमें अपने दिल कि सब कह दो कि - राजदार हैं हम
किसी और से न कहना - ज़माना मज़ाक में लेता है

दिल की हमसे ना कहो - अपने पर ये जुल्म ना करना
कहने से दिल हल्का होगा - हमें अपनेपन से ख़ुशी होगी

हिज्र में ठीक थे - फना होकर भी ठीक हैं
बेपरवाह गर तुम - क्यूँ दिल की लगी कहें

घूम रही है दुनिया अपने दिल के - सुकून के लिए
मजा आता दुनिया को पर - औरों का दिल तोड़ कर


 

Tuesday, July 17, 2018


हम दिल में मोहब्बत रखते हैं जब - तुम्हारे लिए
नफ़रत की जगह नहीं बचती तब - किसी के लिए

तुम्हारी रजामंदी की हमें जरूरत नहीं
मोहब्बत है हमारे दिल में तुम्हारे लिये - ख़ुशी के लिए यही कम नहीं

दिल में अपने - हमारे लिए मोहब्बत रख तुम देखना
इस दुनिया से - नफ़रत के तमाम निशां मिट जायेंगे



 

Sunday, July 15, 2018

निराला जैव यौगिक

निराला जैव यौगिक
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जिसे माँ-पिता कहा , उनके निमित्त से एक रूह का एक तन में संयोग , फिर नौ माह तक उसका गर्भ में बढ़ना।  फिर एक समय दुनिया में अवतरित होना।  कुछ सगे संबधियों कुछ परिचितों में और एक विशाल जनसँख्या में एक होकर , नवजात , बचपने , किशोरावस्था , युवा और बूढ़े होकर फिर किसी समय सबसे वियोग होना , इसे एक जीवनकाल कहना।
जीवनकाल में संयोग और वियोग से अनेकों से मिलना-बिछुड़ना , अपनी मिली क्षमताओं और अपने विवेक से कुछ पुरुषार्थ / कर्मों को निष्पादित करना। कोई भी मनुष्य इन सब से एक बिलकुल ही निराला जैव यौगिक होता है।
एक सा शरीर तो रूह अलग , एक रूह और वैसा ही शरीर और वही सगे संबंधी तो काल अलग। वही रूह , वैसा ही शरीर तो कर्म अलग। अतः समझने वाली बात यह है कि मैं या आप अपने आप में बिलकुल अनूठे और पूर्ण हैं। अरबों ऐसे अनूठे अनूठे मनुष्य हैं मगर सब की क्षमतायेँ समान हैं। हम किसी किसी बहानों का तर्क देकर अपनी पूर्ण क्षमताओं का प्रयोग नहीं करते। जो कुछ हमारे इस निराले अस्तित्व से , सृष्टि को अपेक्षा होती है , हम वह योगदान उसे नहीं देते .
अनादि से अनंत तक हम में से हर किसी का आज का यह जैव यौगिक - हर अन्य किसी से निराला है। किसी पर इसकी कोई निर्भरता नहीं।  किसी की किसी बात की कोई नकल नहीं। किसी भी भाषा , धर्म या जेंडर की कोई पाबंदी नहीं। सब स्वतंत्र हैं अपने तरह से जीवन जीने के लिए , अपनी क्षमता और अपने विवेक से अपने कर्म निर्धारित करने के लिए - सिर्फ एक शर्त के साथ कि किया जाने वाला कोई भी कर्म किसी का सहायक भले ना सिध्द हो किंतु किसी और के अच्छे कर्म की राह को अवरुध्द नहीं करता हो.
बिना किसी का मुहँ देखे , बिना किसी की नकल किये - अपना मौलिक (मगर) सद्कर्म करते चलिए। आप अनूठे (यूनिक) हैं - आपका जीवन भी , जीवन कर्म भी यूनिक ही रहे।

--राजेश चंद्रानी मदनलाल जैन
15-07-2018

Saturday, July 14, 2018

स्वयं को भला दिखाने की - हमारी प्रवृत्ति बुरी नहीं
उन प्रवृत्तियों को बदलें जिनसे - हम भले होते नहीं

Friday, July 13, 2018

जिस का उल्लेख किसी कहानी में नहीं करना चाहते थे - हम

जिस का उल्लेख किसी कहानी में नहीं करना चाहते थे - हम
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वह जन्मी थी तभी बेदाग रूपवान मुखड़ा और गोरा रंग देखकर उसके माँ-पापा स्वयं अचंभित थे , चूँकि उन दोनों में से कोई इतने साफ़ रंग के नहीं थे और इतने सुंदर भी नहीं। नवजात बेटी के रूप पर मोहित उन्होंने बड़ी आशा से उसे नाम गौरी दे दिया था। जैसे जैसे गौरी वह बड़ी होती जा रही थी उनकी तमन्ना बेटी को पढ़ा बढ़ा उसे उच्च पदस्थ ऑफ़िसर बनाने की होती जा रही थी।
"किशोरवय मन में जीवन के जो होते सपने
 गौरी के भी वैसे ही मिलते जुलते सपने थे "
आरंभ से रूप की प्रशंसा सुन सुन कर थोड़ी सी प्रॉउडी गौरी , क्लास दर क्लास बहुत अच्छे मार्क्स के साथ उत्तीर्ण करते बड़ी होती जा रही थी। इससे उसकी एम्बिशंस भी बड़ी होती जा रही थी । सहपाठी लड़के , अपने पढ़ने से ज्यादा ध्यान और समय गौरी पर देते लेकिन अपने माँ-पापा के उससे सजे अरमान का ध्यान रखते हुए इन बातों से निष्प्रभावित हो वह पढ़ाई में ध्यान केंद्रित रखती थी। अपना ज्यादा समय पढ़ने कोचिंग में जाने आने और घर के कामों में ही लगाती थी । उसकी साथ लड़कियों को ईर्ष्या होती थी उससे। गौरी इस तरह अब 18 की हो गई थी , कॉलेज में दाखिले के साथ उसका लक्ष्य एविएशन में बड़े पद पर पहुँचना था।
जिस बात के लिए माँ -पापा ने उसे बड़ा नहीं किया था , जिस बात की जरा भी आशा गौरी को नहीं थी उस बात से उसका सामना हुआ , जब एक शाम बारिश हो रही थी। कोचिंग के बाद बारिश रुकने के इन्तजार में उसे लौटते हुए अँधेरा हो गया था , उसकी स्कूटी एक सुनसान जगह पर पानी में बंद हो गई। तभी दुर्योग हुआ एक बलिष्ठ हाथ उसके पीछे से उसके मुहँ पर आ चिपका। उसे कंधे पर उठा कर कोई उसे पास के पार्क के कोने में ले गया। मुहँ हाथ से दबा होने से वह चीख-पुकार नहीं कर सकी। उसने हाथ पाँव तो बहुत चलाये पर वह हैवान उस पर अपनी हवस मिटा कर ही रुका। वह अँधेरे में उसे पहचान भी नहीं सकी थी , फिर भी उसने चाकू से उसके गर्दन पर वार किये। उसकी चेतना लुप्त हो गई। अपनी माँ की कोख को कालिख लगा वह हैवान अँधेरे में ओझल हो गया। बाद में उसकी तलाश में उसके पापा को उसकी लाश मिली , ज्यादा खून बह जाने से गौरी की मौत हो गई थी।
इस हादसे ने घटने में यूँ तो सिर्फ 30-35 मिनट लगे थे लेकिन यह हादसा एक जीवन को 60 वर्ष पहले लील गया था। गौरी से जुड़ी कुछ ज़िंदगियाँ जीती लाश रह गईं थीं। मूर्तरूप लेने से पहले ही कुछ बड़े इरादे/लक्ष्य मिट गए थे।
और
सँस्कृति के धनी माने जाने वाले देश में कलंक का टीका इस तरह लग गया था कि उत्कृष्ट संस्कृति की विरासत कहीं से झलक ही नहीं पा रही थी ...

--राजेश चंद्रानी मदनलाल जैन
14-07-2018
तुम्हें लाज़बाब हम इसलिए नहीं कह सकते
कि
ज़माना कहीं झूठा होने को प्रवृत्त न हो जाए

इन दोहरे मानदंडों ने समाज का कौमी सोहाद्र मिटा रखा है
तौफ़ीक़ -
'एक इंसान के रूप में मिली ज़िंदगी' को जहन्नुम दे रखा है

निसंदेह ..

निसंदेह तुम बहुत सुंदर हो , तुम्हारी इस रूह का इस शरीर में , नारी रूप में होना एक निराली घटना है। रूह , शरीर और नारी होने का यह संयोग खत्म होने पर , और कोई नहीं होगा जो तुमसा होगा। अपने इस निरालेपन को बहुत भले और निराले कार्यों से तुम और भी खूबसूरती प्रदान कर सकती हो। यह आत्मविश्वास गर रखो तो तुम अपनी जी गई ज़िंदगी पर खूबसूरती के चार चाँद लगाते हुए बेमिसाल भी हो सकती हो ..

--राजेश चंद्रानी मदनलाल जैन
14-07-2018

Thursday, July 12, 2018

मोहब्बत में जीने का मजा - शायद नसीब आपका नहीं
मोहब्बत से जी सकें औलादें - वह समाज तो बना देते

अपनी ज़िंदगी में खुशहाली की नहीं परवाह - निजी बात है
आगामी पीढ़ियों को मगर आप - क्यूँ नफ़रत की विरासत देते हो

नाजुक दिल है जिसमें - नफ़रत बहुत गड़ती है
देने के लिए आपके पास - क्या मोहब्बत बाकि नहीं

Sunday, July 8, 2018

अच्छा हुआ कि - औकात हमारी तुमने समझा दी
इतरा के - अपनी ज़िंदगी पर गुमां कर रहे थे हम

वक़्त ही था - उसकी औकात बनाता था
वक़्त ही था - जो मेरी औकात बताता था


उसने समझा उसकी औकात कि - वह मेरी औकात समझाये
मासूम था बेचारा नहीं जानता था - ये सब वक़्त की बात है


दफ़ना लिया उन्होंने - अपने सीने में हमें
मौत थी हमारी - फिर भी बेहद हसीन थी

Friday, July 6, 2018

ज़िंदगी नाम है मुश्किलों से पार पाने का
मुश्किलें नहीं जिसमें उसे ज़िंदगी कैसे कहिये


लिखते कि इक दिन गुजर जाना है
लिखते कि दिल नेक , एक बताना है
नेकदिल से जी,ज़िंदगी होती इस वजह
नेकदिली की लिख लिख के जी जाना है

भविष्य के गर्त में - बहुत आशंकायें छिपी होतीं मगर
वर्तमान हो के गुजरता है - बेहतरीन यादगर बन कर

मोहब्बत हर जगह उसे खोजने की जरूरत क्या
खोजें वे तरीक़े जिनसे मोहब्बत निभाई जाती है

जो पानी में बह जायें
ऐसे ख़्वाब देखना दुःख देते हैं
ज़िंदगी जी के यूँ हम दिखलायें
जो औरों की ख़्वाब बन जाये

उदास नहीं होना कि - तुम्हारी तारीफ नहीं लिखते
 इस कदर निजी हो तुम - दिल में छिपाये रखते हैं

उसी से सब साथ चाहते हैं
 जिसके साथ सब होते हैं
 कोई छांव , दरख़्त , कोई साये तक साथ नहीं
 इसलिए तन्हा , बेचारे हैरान हैं

इक उम्मीद कि - ज़िंदगी बहार ले आएगी कभी
 अच्छी यूँ रही कि - ज़िंदगी ख़ुशी ख़ुशी गुज़र गई

तुम्हारे अनुसार
 हम नहीं चल सकते
 हमारे अनुसार तुम चलो
 हमारी चाहत क्या अजीब नहीं?


हमारे गुस्से से ,
किसी को क्या फर्क पड़ता है मालूम नहीं
 पर तय है कि हम ,
अपने बेशक़ीमती लम्हें बिगाड़ते हैं


क्या होती है स्मार्टनेस?
उसके लिए दिल में भरी है नफ़रत
 वह मिले तो
 उससे अज़ीज कोई नहीं दिखाते हैं


क्या होती थी मर्यादा?
दिल में रखते थे प्यार
 मगर
 चेहरे से रुखाई दिखाते थे

लिखते हैं हम - बहुत कुछ तो ज़िंदगी में लिख देंगे
 छूट जाए जो लिखना - बाद आप खुद समझ लेना

कुछ हैं
 जो आज भी सँस्कार देकर
 और कुछ
 सँस्कार लेकर जिया करते हैं

नापसंदगी किसी की वक़्त पे समझ ले , भाई
 नासमझ तू रहा तो - नफ़रत में तब्दील होगी

पसंद हो जो बात - अपनी हो कहाँ जरूरी है
 रखो दिल में कि - दिल को ख़ुशी मिलती है

 

Thursday, July 5, 2018

क्या होती है स्मार्टनेस?
उसके लिए दिल में भरी है नफ़रत
वह मिले तो
उससे अज़ीज कोई नहीं दिखाते हैं

क्या होती थी मर्यादा?
दिल में रखते थे प्यार
मगर
चेहरे से रुखाई दिखाते थे


हमारे गुस्से से ,
किसी को क्या फर्क पड़ता है मालूम नहीं
पर तय है कि हम ,
अपने बेशक़ीमती लम्हें बिगाड़ते हैं

तुम्हारे अनुसार
हम नहीं चल सकते
हमारे अनुसार तुम चलो
हमारी चाहत अजीब नहीं?

हमारी मोहब्बत को - मूक जानवर भी समझ लेते हैं
 उम्मीद उनसे नहीं - जिन्हें मोहब्बत समझ आती नहीं

तज़लील आप हमें करें - गिला कोई नहीं
 जानते आप - हमें , अपना मानते ही नहीं

चल नहीं सकूँगा - तब भी गिला नहीं होगा मुझे
 कि खुश कोई तो है - जो गिराना मुझे चाहता था






 

Monday, July 2, 2018

यद्यपि ..... बेहतर

यद्यपि ..... बेहतर
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यद्यपि काबिल नहीं कि - प्रेमिका बनाये इसलिए
दगा-झाँसा नहीं देता - तुझसे तो किन्नर बेहतर

यद्यपि काबिल नहीं कि - ब्याह करे इसलिए
दहेज नहीं लेता - तुझसे तो किन्नर बेहतर

यद्यपि काबिल नहीं कि - पत्नी रखे इसलिए
गृहहिंसा नहीं करता - तुझसे तो किन्नर बेहतर

यद्यपि काबिल नहीं कि - बच्चे पैदा कर सके इसलिए
भ्रूण-बेटी का हन्ता नहीं - तुझसे तो किन्नर बेहतर

यद्यपि काबिल नहीं कि - यौन संबंध करे इसलिए
बलात्कार नहीं करता - तुझसे तो किन्नर बेहतर

--राजेश चंद्रानी मदनलाल जैन
03-07-2018 

काश तू पुरुष नहीं - हिजड़ा होता

काश तू पुरुष नहीं - हिजड़ा होता

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तू शराब पीकर घर आया था , तूने सो चुके दो बच्चों की परवाह नहीं की थी। तू बारात लेकर जिसे ब्याह कर अपने घर लाया था उस पत्नी का आदर नहीं रखा था। तू उसे बेरहमी से पीट रहा था , गंदी गालियाँ दे रहा था। पाँच वर्षीय तेरी बेटी इस शोर से जाग गई थी। माँ को पिटता देख उसने तुझे , मारने से मना किया था - तू सो जाये ऐसा निवेदन किया था। तू नशे में हिंसक जानवर हुआ था। तूने उस अबोध मासूम बेटी को इस बुरी तरह मारा कि उसके कान-आँख से रक्त निकल आया। अस्पताल पहुँचने पर उसे मृत बताया गया था।

तूने कैसे भुला दिया कि वह बेटी तेरे ही माध्यम से , तेरी पत्नी के गर्भ में आई थी. उसने गर्भ में पीड़ाजनक नौ माह गुजारे थे। उसे गर्भ में पालने और प्रसव देने के लिए तेरी पत्नी की कई दफे जान पर बन आई थी। सब तकलीफों के बाद आखिर उसने तेरे घर जन्म लिया था। जितनी पीड़ा उसने जन्म लेने के पहले भुगती थी उस कष्ट के एवज में बेचारी वह 70 - 80 वर्ष का पूरा जीवन जी लेने की अधिकारी थी। तूने पाँच वर्ष की उस कमजोर बेटी और अपनी आश्रिता पत्नी पर अपनी मर्दानगी (शूरवीरता) दिखाई थी। एक की जान ले ली थी , एक की नजरों से तू गिर गया था।

काश तू पुरुष नहीं हिजड़ा होता , ना तेरी पत्नी होती और ना ही तेरे घर बेटी सिर्फ पाँच वर्ष जीने के लिए पैदा होती। पाँच वर्ष की उम्र जीवन क्या है समझ नहीं पाती है। तेरे जैसे दुष्ट ने पाँच वर्ष में ही उसके जीवन का खात्मा कर दिया। काश तू पुरुष नहीं हिजड़ा होता ..

 
--राजेश चंद्रानी मदनलाल जैन
02-07-2018