Wednesday, January 14, 2015

फ़िल्मकार -फिल्म बनायें

फ़िल्मकार -फिल्म बनायें
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कुछ प्राणी प्रजातियों में मादा , नर से शक्तिशाली होती हैं। और उनमें मादा -शासन करती है। मधुमक्खी इसका उदाहारण होती है. मनुष्य में परम्पराओं पर चलने की प्रवृत्ति होती है। कारण होते हैं , जब कुछ विद्रोही परम्परा से हट कर कुछ अलग करने लगते हैं।  पूर्व परम्परा में खराबी है , और अलग जो किया उस में अच्छाई होती है। तब पूर्व परम्परा ख़त्म होकर यह अलग किया गया , परम्परा बन जाता है।  मनुष्य की चिकित्सा क्षेत्र में भी उपलब्धियाँ नित दिन नये आसमान को छूती जा रही हैं। वह बहुत से ऑर्गन ट्रांसप्लांट करने में सफल हो रहा है।
मनुष्य सभ्यता की विकास यात्रा में अब तक नारी , पुरुष से छोटी बन रहना पसंद करती आई है , यह पाषाण युग से चली आ रही परम्परा है।  नारी , पर शोषण के क्रम जारी रहने से आज , नारी परम्परा से हट कर कुछ करने को उत्सुक है , जिससे नारी शोषण मुक्त हो सके। अगर अब भी पुरुष ने पुरुषोचित न्याय धारण नहीं किया तो । पूर्व परम्परा से हटकर अन्य प्राणी प्रजातियों जैसी नारी , पुरुष से शक्तिशाली होने का यत्न आरम्भ कर देगी। चिकित्सा विज्ञान भी सहायक हो जाएगा। पुरुष शोषण करने के अपराध बोध से स्वयं नीचे दब जाएगा।  गर्भाशय ट्रांसप्लांट सहित कुछ शारीरिक बदलाव कर चिकित्सा विज्ञान किसी दिन वह रीति दे देगा , जब कुछ पुरुष को भी बच्चे जन्मने की क्षमता मिल जायेगी।
तब कहीं नारी और कहीं पुरुष नई संतति को जन्म देकर , नारी -पुरुष समान हो जायेंगे. ऐसा न हो तो अच्छा होगा।  हम पुरुष -नारी प्रकृति में क्रांतिकारी ऐसे बदलाव   की सम्भावना रोक सकते हैं।  नारी को पुरुष समान , मनुष्य का स्तर देना परिहार्य है। उस पर शोषण की आशंकायें न रहें ऐसा समाज हम बना सकते हैं। अगर नारी , पुरुष साथ में , पुरुष पर निर्भरता में सुख मानती है , तो उसका अपने को ऋणी मानकर , नारी को यथोचित सम्मान दिए जाने की जरूरत है.
नारी , जब धन अर्जन नहीं करती थी ,तब भी पुरुष आश्रिता नहीं थी। हमेशा , पुरुष संगिनी थी , किसी से छल नहीं किया जाना चाहिये ,अपने साथी से तो कदापि नहीं। क्यों , हमने धन को इतना बडा बनाया है?  अगर वह धन अर्जित नहीं करती तो हम पर आश्रिता है ? भ्रामक सोच क्यों हम पाले हैं? घर में  गृहस्थी के  जो दायित्व नारी ने परम्परा से सम्हाल रखें हैं ,  उससे पुरुष ,कहीं ज्यादा नारी आश्रित है। नारी , माँ , पत्नी , बहन और बेटी एवं बहु  रूप में पुरुष के लिए  जो करती रही है , पुरुष कितना भी धनी हो जाए, वह ,धन से नहीं प्राप्त कर सकता है।
शांत चित्त हो एक बार सोच लें सब , जिस पर एकाएक हँसी आती ऐसी इस पोस्ट को हँसी में न उड़ायें ।  नहीं तो ,मनुष्य सर्वनाश , हँसेगा , कैसा दुरूपयोग किया ,मनुष्य ने ,दिये गए, उन्नत मनुष्य का .मुझे बुला लिया ,अपने ऊपर और अस्तित्व अपना खो दिया। 

--राजेश जैन
15-01-2015

चित्रकार ,एक चित्र बनायें
फिल्मकार फिल्म बनायें ,
दक्ष कवि इस कल्पना पर
सुंदर सी एक कविता बनायें


चित्रकार ,इसका  चित्र बनायें
फिल्मकार एक फिल्म बनायें ,
657000 घंटे के जीवन में से
आधा घंटे युवा ,चिंतन में जायें 
 

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