Thursday, January 1, 2015

रिस्पेक्ट गर्ल्स

रिस्पेक्ट गर्ल्स
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लेखक तीन वर्ष पहले ,फेसबुक पर आना समय की बर्बादी , मानता था। फिर , बड़े हो रहे पुत्र ,बहन -बेटी को , दुनिया की अच्छाई -बुराई से परिचित कराने के लिए फेसबुक पर क्या होता है , अवलोकन करने के प्रयोजन से फेसबुक पर आईडी बना फेसबुक पर आ गया। । भूमिका इतनी ही पर्याप्त है। अब आज का लेख -
फेसबुक पर , युवा (और शायद अधेड़ पुरुष भी ) फेक , गर्ल्स आईडी साथ आ बैठे हैं। जिन्होंने अच्छे अच्छे नामों से ग्रुप बना रखें हैं , यथा , "रिस्पेक्ट गर्ल्स ", "सेव गर्ल्स" ,"बेटी अनमोल" आदि (एक उदाहरण ऐसे कुछ पेज अच्छे भी हैं )। पेज भी लड़कियों की सुंदर तस्वीरों के और सुंदर नाम के बना लिए हैं। नाम और तस्वीर से आकर्षित हो ,कोई माँ -बहन ,पत्नी या बेटी युवा ,और नये बच्चे इन पर जब जाते हैं , वहाँ के कंटेंट (नारी देह के घिनौने जुलूस में से ) , घिनौनी तस्वीर होते हैं। मन में भरी कुंठा और मनोविकृति से निकले भद्दे कमेंट्स होते हैं। इतनी अश्लील कहानी होती हैं , जिनमें पवित्र रिश्तों  (भाई-बहन , माँ-पुत्र , पिता-पुत्री इत्यादि ) तक में कामवासना का विष घोल दिया होता है।
बहन -बेटियाँ या संभ्रांत , प्रबुध्द वर्ग ना चाहते हुए , इनका साक्षी हो जाता है। संस्कारों में पले बच्चे , विशेषकर गर्ल्स , अपने ही से प्रश्न करने लग जाती हैं -क्या हम ज़माने से बहुत पीछे रह गए हैं।उनका संस्कारित मन , निरर्थक द्वन्द में पड़ जाता है।
इस माटी का भव्य भारत पुत्र , किसान हुआ करता था। वह अनाज बोकर ,अनाज पैदा करता था , सबको उपलब्ध करा अपना भरण पोषण करता था। उस दयालु किसान के ने अपने बेटे-बेटियों को पढ़ाने -लिखाने , उन्नति करने बड़े कॉलेज /बड़े शहरों में भेजा। बच्चे षणयंत्र और सम्मोहनों में इस तरह मनोव्याधि ग्रस्त हो गए , बहरूपिये बन गए। जन्मे तो पुरुष , लेकिन मनोग्रंथि के शिकार हो नारी आईडी से नारी पहचान बना रहे हैं।
"स्वयं नहीं मालुम क्या बो रहे
क्या उपजायेंगे ,वे क्या काटेंगे
पत्नी -बहन के संस्कार बिगाड़
पत्नी ,बेटे-बेटी में क्या पायेंगे "
भव्य भारत , जिन संस्कारों और जिन मानवीय आदर्शों के लिए जाना जाता था , आज वह लुप्त हो रहे हैं . शेष विश्व खुश हो रहा है कि हमारी एक आँख फूटी थी , हमने आँखों वालों की भी एक आँख फोड़ ली।
इस पेज से जुड़ने वाले पुरुष ,आत्मलोकन करें , गर्ल्स कहीं दिग्भ्रमित ना हों , उनकी -अपरिचित साथी गर्ल्स क्या कर रही हैं? इतना घिनौना कर रही हैं? ,देख व्यग्र और भ्रमित न हों। ये गर्ल्स नहीं जो इस तरह लिख और दिखा रही हैं , ये बहरूपिये विकृति के शिकार हमारे भाई और चाचा हैं , यदि गर्ल्स भी हैं तो वे हैं , जिनका मनोमस्तिष्क शोषण और धन प्रलोभन से हिला दिया गया है।  आत्मविश्वास रखें , भारतीय गर्ल्स अभी भी विश्व की सब से ज्यादा संस्कारित गर्ल्स हैं।
"आत्मविश्वास से पढ़ जाने का लाभ सही लें ,
भारती अपने कार्यों से चलन की दिशा मोड़ दें
उन्हें जरूरत पाश्चात्य नारी सी बनने की नहीं
वे गंगा ,पाश्चात्य नारी में निज पवित्रता घोल दें "

कल इस पेज का लक्ष्य शोध और डॉक्टरेट निरूपित किया गया है।  आज इस का अभिप्राय एक यज्ञ बताया जाता है , कैसा यज्ञ आगामी लेख में।
(नोट - लेखक स्थापित साहित्यकार नहीं है , ऐसे साहित्यकार के मन में पढ़ यह प्रश्न आता होगा , यह लेखक , कभी कवि बन जाता है , और न जाने किस विधा को निभाता काव्य लिखता है ? हर एक मौलिक पंक्ति की प्रस्तुति के साथ  इस आधे अधूरे कवि का विनम्र और मासूम उत्तर इसे "भाव विधा" ठहराता है )
--राजेश जैन
02-01-2015

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