Friday, January 9, 2015

क्षणिकायें -संकलित

क्षणिकायें -संकलित
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नत मस्तक
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"नत मस्तक हूँ , सत्य सम्मुख
 गर्दन सामने होती है
 जिस दिन लगे छल तुम्हें
यह गर्दन उतार सकती हैं "
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आत्म विश्वास
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"आत्मविश्वास से जब बढ़ते
 वह प्रगति हमें देता है
 अतिविश्वास में लेकिन
खतरा ठोकर का होता है "
बारात और अंतिम यात्रा
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"ख़ुशी देती है उमंग उत्साह
 इसलिये पर लग जाते हैं
 उड़ने की गति चलने से तेज
अतः ख़ुशी में आगे हो जाते हैं
दुःख करता हतोत्साहित
 वेदना से गति थम जाती है
 न मिलते शब्द संवेदना को
 कदम स्वमेव थम जाते हैं "

सठियाना
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"साठ साल की पकी उम्र में
 आशिकी पे कविता लिखेंगे
 युवा आशिकी पर डाका देख
 'मित्र', इसे सठियाना ही कहेंगे "

कोलम्बस नहीं पति महान है
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"जिम्मेदारी नहीं थी तो
 अमेरिका की खोज कर दी
 परिवार बना तो हमने
पत्नी प्रति जिम्मेदारी निभा दी
कभी न कभी तो आता
 अमेरिका दुनिया के सामने
 फ़ालतू रहे कोलम्बस ने
 पहले स्मार्टनेस दिखा दी "

यह दृष्टिकोण भी बनता है
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लड़कियों को भागने को उकसाते हो
 उन पर कलंक लगाकर
 अपने माँ -पिता के मस्तक पर
कलंक का टीका लगाते हो
बदलाव
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"ज़माना , विशाल वस्तु है ,
पूरा एक साथ न बदलेगा
 बदलाव तो होता आया है
सही दिशा इसकी जरुरी है
कमर हम कसलें करने की
 कुछ सही बदलाव हम देखेंगे
 आगामी पीढ़ियों के समाज में
 शेष हम सभी के बच्चे देखेंगे "

बेटी
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"ना जलायें हम अपनी बहुओं को ,
सयानी एकदिन बेटी हमारी होगी "

संवेदना
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"आँसू देने वाला करीब नहीं
 दुश्मन इसलिये दूर होता है
 आँसू पोंछने वाला संवेदना से
प्रभावित कर करीब होता है "
सीखना
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"सीखने की दृष्टि है अगर
 सीखा किसी से भी जा सकता है
 अहं अपना त्यागे तो
छोटों से भी सीखा जा सकता है "
--राजेश जैन
10-01-2015

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