Friday, January 16, 2015

आहत - पुरुष स्वाभिमान


आहत - पुरुष स्वाभिमान
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प्रतिदिन 6 किमी प्रभात भ्रमण (morning walk) कीलेखक की एक अच्छी दिनचर्या , पिछले 14 वर्षों से चलती है । इसमें अवसर आये हैं , जब किसी सीनियर सिटीजन या स्कूल कॉलेज जाती गर्ल्स /टीचर के बाइक /स्कूटी में पेट्रोल खत्म हुआ या खराबी आ गई।
पुरुष के रोगी ह्रदय पर , या नारी पर , स्कूटी /बाइक , पेट्रोल पंप /मैकेनिक तक खींच ले जाने में शक्ति से बढ़कर एनर्जी न लगे इस दृष्टि से ,लेखक हेल्प ऑफर कर दिया करता है। पुरुष तो अक्सर स्वीकार करते हैं , और उनकी बाइक दूरी अनुसार 1-2 कि मी , खींच लेखक प्रसन्नता अनुभव करता है। ऐसे ही अवसरों पर गर्ल्स /टीचर द्वारा भी हेल्प ले ली गई है। किन्तु , एक से अधिक मौके पर शक की नज़र से देखते हुये कुछ नारियों ने इसे अस्वीकार कर दिया है। और स्वयं अपनी स्कूटी खींचते पीछे रह गईं हैं। 


शायद ऐसा अनुभव करता है हर पुरुष ह्रदय
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इंकार कर नारी का ऐसा करना , लेखक को तब ऐसा अनुभव हुआ है , जैसे उसके सीने पर से कोई आरी चलाकर  , चला गया है। जी हाँ -पुरुष स्वाभिमान आहत हुआ है। पुरुष स्वाभिमान , शेर जैसा है। अब शेर घायल है। अब अधिकतम क्षमता से कार्य कर रहा है।
किसलिये ?
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नारी का , पुरुष पर से उठ गया विश्वास को पुनः स्थापित करने के लिए।
पुरुष चिंतन का विषय
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सोचो , पुरुष क्यों उठ गया नारी का विश्वास
नारी ना हो साथ तो ,है इसका तुम्हें आभास?
तड़पते रह जाओगे ,नारी बन गई शक्ति तो
भ्रूण में मारे जाओगे, है इसका तुम्हें आभास ?


--राजेश जैन
16-01-2015

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