Saturday, January 3, 2015

पपीता


पपीता
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हम घर में , या किसी के यहाँ जाते हैं। अगर पपीता हमारे सम्मुख रखा जाता है , तो कैसे ?
उसके बीजे ,हटाकर , और उसका छिलका उतार कर , है ना ?
अगर छिलका नहीं भी उतारा गया हो तो हम , उसे कैसे खाएंगे ?
छिलका , बचाकर , उसका दल , है ना ?
अर्थात ग्रहण कर लेने वाली भाग , हमने ग्रहण किया , अग्रहणीय छोड़ दिया।
जबकि पपीता में तो दोनों ही हैं।
फेसबुक
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पपीता भाँति फेसबुक में (बल्कि लगभग सारी चीजों में ) भी दोनों तरह की वस्तु हैं , कुछ ग्रहण करने योग्य , जो हमारी उन्नति में सहायक होती हैं , हमें अच्छा मनुष्य बनाती हैं।  और दूसरी ,अग्रहणीय , ख़राब वस्तु , जो हमारी प्रगति रोकती हैं , समय ख़राब करती हैं , और हमें दुर्जन मनुष्य बनाती हैं।
बच्चों से
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लेखक अपने बच्चों को शिक्षा को जाते , यह कहता आया है , पपीता के तरह स्कूल /कॉलेज में भी पपीता की तरह दोनों ,बातें उपलब्ध मिलेंगी , तुम ज्ञान ,और मोरल वहाँ से ग्रहण करना , और दूसरी बातें , जो तुम्हें , साथी बच्चों द्वारा आधुनिकता के नाम पर ,और मजे के नाम पर बताई जायेंगी (ड्रग,स्मोक,ड्रिंक्स , जुआं और फ्लिर्टिंग ) उसे पपीता के छिलके जैसे अलग करना।
नारी चेतना और सम्मान रक्षा
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गर्ल्स , वर्किंग वीमेन और समस्त नारी जाति को इस पेज से , देशो-दुनिया और समाज की सारी वस्तुओं के सभी पक्ष शालीन और संयत भाषा में प्रस्तुत करने के प्रयास किये जाते हैं।  अच्छाई और बुराई , पृथक -पृथक कर बताने के प्रयास किये जाते हैं। सभी सामग्री / बातों या वस्तुओं में हमें लाभ देने वाले और हानिकारक या अरुचिकारक तत्व विध्यमान मिलते हैं। नारी अपने सम्मान रक्षा को संघर्षशील है। उसे चेतना दिए जाने के प्रयास निरंतर रखे जाते हैं , ताकि नारी सम्पूर्ण गरिमा से जी सके , परिवार और समाज का बेहतर ढंग से सहारा बन सके।
परिचित नारी
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लेखक की एक परिचित नारी , जो अच्छा अनुभव रखती हैं , नारी होने के साथ , नारी जगत को अच्छा मार्गदर्शन दे सकती हैं , लेखक से कहती हैं , कुछ सुधरने वाला नहीं समाज में , व्यर्थ जायेंगे एफर्टस सारे। फेसबुक पर थीं ,डीएक्टिवेट कर लिया ,कहती हैं डीपी ही इतनी गन्दी देखने मिलती हैं , पति कहते fb ना करो , अच्छी बात है जीवनसाथी की सलाह से कार्य करना। किन्तु , इस निराशा से , वंचित हैं ,बच्चे -एक अच्छे मार्गदर्शक से।
एनआरआई
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पोस्ट लगाई लेखक ने कवि बनकर ,एनआरआई मित्र ने प्रश्न लगाया
पोस्ट -
इस देश की माटी में पले
माटी का कर्ज भुला गए
शिक्षित तो इस देश हुए
परदेश प्रगति में जुट गए
--राजेश जैन ...
03-01-2015

कमेंट -iss main iss desh kee kami hai. iss desh ka system barbaad hai
16 hrs · Unlike · 1
  •  Rajesh Jain कौन बर्बाद को सुधरेगा ?
    15 hrs · Like
    (प्रति कमेंट )

  • हमारे देश की समस्या हल करने और सिस्टम सुधारने , अमेरिका वाले आएंगे या फ्रांस वाले ?
    या हमें करना होगा।  ना करें हम! विश्वास रखें हमारी अगली पीढ़ी कर लेगी , सब ठीक --- अच्छी बात है ?

    --राजेश जैन
    04-01-2105

     

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