Tuesday, January 6, 2015

कनॉट प्लेस

कनॉट प्लेस
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दिल्ली का हृदय स्थल कनाट प्लेस , एक एम्स में पढ़ती , बेटी के साथ ऐसा होता है वहाँ . उस बेटी की पोस्ट से अंश (निम्न पैरा) लिए हैं , साभार 
"अभी मैं कनाट प्लेस में एक रेस्टोरेंट में बैठी थी. बस थोड़ा सा कुछ भी हल्का-फुल्का खाने का मन था. तभी मेरे सामने वाली सीट पर जिस पर दो लोगों के बैठने की जगह थी वहॉ दो बड़े ही शरीफ से दिखने वाले लोग आके बैठ गए. मैं सोच भी नहीं सकती थी कि वे कोई गलत हरकत करेंगे. आप को जान के अजीब लगेगा कि उनमें से एक ने बहुत तेजी से मुझे इशारा किया जैसे मैं कोई कॉलगर्ल हूं. दूसरा धीरे से बोला कि चलेगी क्या, कितना लेगी..........
सुनकर मई एकदम स्तब्ध रह गयी तभी पहला लड़का फिर बोला बस एक बार हमें खुश कर दो फिर हम तुम्हे मुंहमांगे पैसे देकर खुश कर देंगे।"
राजधानी का हृदय स्थल
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शायद ऐसा कहा जा सकता है , कनॉट प्लेस को।  और उसमें रोग , उपरोक्त पैरा से साफ परिलक्षित होता है। सोच सकते हैं , राजधानी में हाल ये है , देश के हृदय का हाल ये है , कैसे उन्नति कर सकती हैं ? ऐसे देश में नारियाँ।
आधुनिकता
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पाश्चात्य देशों के अनुकरण में , नई जेनरेशन ने आधुनिकता मानी है।  लेखक गया नहीं , कुछ नॉवेल और कुछ फिल्मों से ऐसा ध्यान है , वहाँ , बहुत सहजता से  ऐसे प्रस्ताव कर दिये जाते हैं , लेकिन , न सुनने के बाद पीछे भी नहीं पड़ता कोई। हाँ , सामने पक्ष भी 'यूज़ड टू' होता है , उसको ध्यान नहीं देता।
सँस्कार
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हमारे यहाँ ,ऐसा सुनना ,आहत करता है , युवती को ,  सँस्कार हमारे ऐसे हैं। अपनी बहन -बेटी में हम यही देखना चाहते हैं।
बनायें बहन -बेटी को आधुनिक
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पुरुषों ने स्वयं के लिए पाश्चात्यता अपना ली , खुले आम डिमांड रख दी , लेकिन अपनी पत्नी ने /बहन ने या बेटी ने , किसी लड़के से बात करली तो बुरा मान गये। ऐसा , ज्यादा दिन नहीं चल सकेगा। पुरुष , अपनी संस्कृति की सीमा में आ जाये , नहीं तो नारी ने , पश्चिमी संस्कृति अपना ली तो पछतावे के सिवा कुछ न बचेगा , जब चिड़िया चुग जायेगी खेत।
कॉल गर्ल
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फुसलावे से , प्रलोभनों से , कम पढ़ी -लिखी को , अभावग्रस्त को , या घर से भाग आई को , धनवान पुरुषों ने , (कुछ) भारतीय नारी को ,कॉल गर्ल' बना दिया है। यह आत्मघाती है। कालांतर है ,अब उन्हीं के परिवार से , कोई युवती  , कनॉट प्लेस या ऐसी ही पॉस लोकेशन पर ,कहीं अकेली हो तो उन्हें इस तरह के प्रस्ताव से , अपमानित होना पड़ता है। नारी के हौसलों को हम यदि बढ़ा नहीं सके , नारी उसकी दिशा ठीक न रख सकी तो परिणाम , अत्यंत निराशाजनक भविष्य के रूप में सामने होगा।
--राजेश जैन
07-01-2015

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