Friday, January 23, 2015

गर्लफ्रेंड मन पर शासन

गर्लफ्रेंड मन पर शासन
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परिवार में नारी के साथ , हम पुरुष रहते हैं। उनके लिये हम कुछ करते हैं तो यह भी सच है वे भी हमारे लिये बहुत करती हैं। हमारे परस्पर कर्तव्य होते हैं।
अपने पुरुष कर्तव्य
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इस आलेख में नारी का साथ पुरुष की प्रेयसी (गर्लफ्रेंड) या पत्नी की भूमिका पर केंद्रित किया जा रहा है। इस भूमिका में पुरुष का नारी तन पर भी अधिकार होता है। भौतिक रूप से पुरुष -नारी साथ होते /रहते हैं। और सच्चे साथ में मन से भी निकट होते हैं। पश्चिमी सोच से दुष्प्रभावित पुरुष छिपे तौर पर अन्य नारी से भी दैहिक निकटता के लालायित हो रहे हैं। अगर पुरुष  के रसिक स्वभाव का है , तब नारी की छठी इन्द्रिय शीघ्र ही इसे भाँप लेने में समर्थ होती है। पुरुष के ऐसे किसी संबंध की जानकारी प्रेयसी(गर्लफ्रेंड) /पत्नी को लगने में ज्यादा विलम्ब न होता है।ऐसे में तब नारी मन से पति /प्रेमी(छद्म) का स्थान ,शीर्ष पर नहीं रह जाता है।
ऐसे में बाध्यता में नारी साथ तो शायद निभाती है ,दैहिक संबंध भी चाहे रहे आयें किन्तु उनके मन पर इस पुरुष से अधिक कोई/(कुछ) और पुरुष शासन कर सकता है। सुखी परिवार सुनिश्चित करने के लिये पति का अकेले नारी तन पर ही नहीं मन पर भी राज होना अपेक्षित होता है। इसलिये आवश्यक होता है कि पति -प्रेम संबंध में सच्चा हो। और अपनी पत्नी या प्रेयसी से (प्रेम सच्चा है तो एक ही होती है) अलग किसी अन्य से दैहिक संबंध के लिये न भटके। अपनी पत्नी या प्रेयसी के तन और मन पर तब वह राज करता है।
अन्य नारी के मन में अपने लिए आदर
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तन अपेक्षा को पृथक किया जाए तब पुरुष नारी से कई मानसिक संबंधों से गुँथा होता है।  माँ -बहन और बेटी के मन में भी उसके लिये आदर और स्नेह का स्थान होता है। परिवार की नारी के अतिरिक्त अन्य नारी से जब पुरुष माँ /बहन/ और बेटी सदृश्य पवित्रता  निकटता में होता है ,तब पत्नी /प्रेयसी (गर्लफ्रेंड) को शिकायत के अवसर नहीं होते हैं। निःसंदेह पुरुष अन्य नारी के लिए बेटे सा , भाई सा या पिता सा सहारा देकर , उनके मन में स्थान बनाये , इसकी सीमा नहीं है , एक से लेकर लाखों -नारी मन में वह अपने लिए स्थान अर्जित करे , समाज का भला ही करेगा।  लेकिन दैहिक रूप से एक से ज्यादा से जुड़ेगा तो पत्नी /प्रेयसी से ,स्वयं से और समाज से न्याय नहीं करेगा। सबके लिए बुरा ही करेगा।
चतुराई का बुरा परिणाम
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पुरुष कई बार चालाकी करता है। अपेक्षा करता है , पत्नी /प्रेयसी (गर्लफ्रेंड) उसके अतिरिक्त किसी से प्यार न करे। लेकिन स्वयं इधर-उधर ताँक -झाँक , और दैहिक निकटता अन्य से करता है। ऐसा पुरुष , अपनी ही नारी संगिनी के मन से गिरता है। घर और तन पर उसका शासन हो सकता है। किन्तु नारी मन पर बाह्य पुरुष छा जाता है। चतुराई से भौतिक प्रगति तो मिल सकती है। किन्तु प्राप्त रही उसकी आत्मीयता खो देता है। 
सच्चा प्रेमी ?
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सोशल साइट्स के आने के बाद स्थिति बदली है। नारी को अब , विश्व के किसी भी स्थान के (अपरिचित) पुरुष विचार पढ़ने /समझने मिल रहे हैं। कुछ अच्छे पुरुष निःसंदेह उनके पढ़ने में आ जाते हैं। जो उन्हें सच्चे प्रेमी लगते हैं। कौन होता है सच्चा प्रेमी ? सच्चा प्रेमी , वह होता है , जो प्रेम से हमेशा देता है , बदले में प्राप्ति अपेक्षा नहीं रखता है।  अपरिचित पुरुष , सोशल साइट्स पर नारी को सुलभ होता है। जो हमेशा ऐसा विचार -दृष्टिकोण देता है जिससे नारी का अवसाद दूर होता है ,उसे जीने का मनोबल मिलता है। और एक राह मिलती है ,जिसमें चलकर जीवन सार्थकता सुनिश्चित होती है।  नारी को बदले में इस अपरिचित को देना कुछ नहीं होता। प्रत्यक्ष में अपरिचित भी उससे कुछ नहीं लेता। प्रेम की उत्कृष्टता है यहाँ।
हम ही बनें सच्चे प्रेमी
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हम जैसा प्रेम प्रदर्शित करते हैं , वैसा मन से करें। प्रेम ,अपनी प्रिया को अधिक से अधिक ,सुख देने का यत्न करता है। ऐसे प्रेम को बदले की अपेक्षा नहीं होती है। लेकिन यह सच्चे प्रेम की विशिष्टता है , न चाहने पर भी लौट के मिला प्रेम उससे बढ़कर होता है। लेखक अनुभवी है - क्यों न हम करके देखें? सच्चा प्रेम।
नारी कर्तव्य
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मेरे पुरुष साथी जिन्होंने नारी से छल पाया है , सख्त आपत्ति करेंगे , उनकी शिकायत न रहे इसलिये नारी कर्तव्य की संक्षिप्त चर्चा करनी होगी।  यद्यपि नारी उल्लेखित दृष्टि से ज्यादा सच्ची है। तब भी ऐसे ही कर्तव्य जो पुरुष के नारी के प्रति बताये गए हैं , नारी को पुरुष के प्रति निभाने की चेतना धारण करनी चाहिए।
नारी -पुरुष समान (Gender Equality)
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नारी -पुरुष के समान है , यहाँ भी समान अपेक्षा नारी से भी है। पश्चिमी स्वच्छंदता से निष्प्रभावी रह वह भी पुरुष से भारतीय चरित्र अनुसार ही रिश्तों से जुड़े। 

--राजेश जैन
24-01-2015

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