क्षणिकायें निरंतर -निरंतर
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दामन पर दाग
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दामन पर दाग देने वालो
दामन पर दाग न लगाओ
गर लगाओ तो दृष्टि बदलो
दाग नीचे जीवन न दब जाए
तरक्की
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हमारी अपनी हो नारी , अतः
अपने लिए नहीं हम , तरक्की
तुम्हारे लिये ,तुम्हारी तरक्की
जिसमें मानव तरक्की चाहते है
हार
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आत्मावलोकन के कुछ अवसर होते हैं
कुछ जगह हार के सब जीता जाता है
जीवन में जीत से ही न जीता जाता है
हारने की वीरता से जगजीता जाता है
परछाई
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दूसरे में दिखती बुराई कभी कभी
परछाई अपने मन की ही होती है
'नफरत'
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जो पाया दुनिया में
वही दुनिया को लौटाया जा सकता है
यदि धोखा मिले तो
बरबस ,'नफरत' ही लौटाई जा सकती है
शादी
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"शादी को इतनी बड़ी , मुसीबत क्यों बताते हो ?
भाई तुम ,शादी बाद खोते नहीं ज़िंदगी पाते हो "
--राजेश जैन
19-01-2015
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दामन पर दाग
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दामन पर दाग देने वालो
दामन पर दाग न लगाओ
गर लगाओ तो दृष्टि बदलो
दाग नीचे जीवन न दब जाए
तरक्की
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हमारी अपनी हो नारी , अतः
अपने लिए नहीं हम , तरक्की
तुम्हारे लिये ,तुम्हारी तरक्की
जिसमें मानव तरक्की चाहते है
हार
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आत्मावलोकन के कुछ अवसर होते हैं
कुछ जगह हार के सब जीता जाता है
जीवन में जीत से ही न जीता जाता है
हारने की वीरता से जगजीता जाता है
परछाई
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दूसरे में दिखती बुराई कभी कभी
परछाई अपने मन की ही होती है
'नफरत'
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जो पाया दुनिया में
वही दुनिया को लौटाया जा सकता है
यदि धोखा मिले तो
बरबस ,'नफरत' ही लौटाई जा सकती है
शादी
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"शादी को इतनी बड़ी , मुसीबत क्यों बताते हो ?
भाई तुम ,शादी बाद खोते नहीं ज़िंदगी पाते हो "
--राजेश जैन
19-01-2015
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