Sunday, January 4, 2015

क्षणिकायें -निरंतर

क्षणिकायें -निरंतर
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तूफ़ान
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"झूठे , क्यों पत्नी को तूफ़ान
यहाँ -वहां जतलाते रहते हो
भागते जब तूफ़ान आता है
पर पत्नी को आँख दिखाते हो "
राजेश जैन
पुरुष -नारी
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"पुरुष नारी के अंतर खोजती ?
दोनों ही मनुष्य एक समान हैं
कभी पुरुष , नारी सा करता
कहीं नारी पुरुष से आगे होती हैं "
राजेश जैन
04-01-2015
प्यार
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"रोना, रुला लेना जरुरी नहीं
की सच्चा प्यार ही होता है
साथ दे बुलंदी पर पहुँचाना
प्रिय ,सच्चा प्यार होता है "
राजेश जैन
04-01-2015
सच
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"सच ही एक ऐसी शक्ति है
दबके भी खड़ी हो सकती है
झूठ कितना कह लिया जाए
झूठ पे सच की जय होती है "
राजेश जैन
04-01-2015
भीड़
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"भीड़ से अलग दिखने की चाहत
हमें भीड़ से अलग नहीं करती है
विश्वासपूर्वक अच्छे पथ चलना
धैर्य ,हमें भीड़ से अलग करती है "
राजेश जैन
04-01-2015
खता
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"खता जरुरी नहीं आपकी
जिससे कोई चुप होता है
खता अपनी अनुभव कर
दिल मेरा जार जार रोता है "

--राजेश जैन
04-01-2015


 

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