Saturday, January 3, 2015

क्षणिकायें

क्षणिकायें
लक्ष्य
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लक्ष्य अगर नज़र में है
मंज़िल पास ,नहीं दूर है
पहुंचेंगे भव्य मंज़िल पे
अहं रखना नियंत्रण में हैं

--राजेश जैन
04-01-2015


जिक्र -फ़िक्र
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फ़िक्र छोडो उस बन्दे की
जिक्र हमारी न कर सकता
फ़िक्र करो अपने जीवन की
अनेको सम्भावना जो रखता

--राजेश जैन
03-01-2015


प्रगति
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इस देश की माटी में पले
माटी का कर्ज भुला गए
शिक्षित तो इस देश हुए
परदेश प्रगति में जुट गए

--राजेश जैन
03-01-2015


ठोकर
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"ठोकर खाकर सीखने को तो
मौके अनायास आ जाते हैं
सीखे अनुभव ले अन्य से, वे
जीवन घाव कम ही खाते हैं "

--राजेश जैन
04-1-2015


समय
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"रोना समय का बहुत होता है
समय सभी का होता,आता है
उसमें जब कर गुजरे कोई
वह समय सदुपयोग कहाता है "

--राजेश जैन
04-01-2015


सपना
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उठ गये फिर लो हम आज सबेरे
नया सपना लिए जागी आँखों में
पूरा करने लो हम जुट गए सबेरे
उपलब्धि शाम तक होगी बाँहों में

--राजेश जैन
04-01-2015

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