Friday, January 2, 2015

यज्ञ करेंगे , यज्ञ करेंगे

यज्ञ करेंगे , यज्ञ करेंगे
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लड़का और लड़की नहीं कोई ख़राब होते हैं
सब अपने माँ-पिता की जीवन आस होते हैं
माता-पिता का जिन्हे न मिला प्यार होता है
दुर्भाग्यशाली ऐसा वह सहानभूति पात्र होता है

मनुष जीवन सृष्टि प्रदत्त वरदान एक होता है
इसलिए सब अच्छे हैं ये सन्देश हमारा होता है
सबके मन में सजे ,सुखद जीवन सपने होते हैं
सपनों से सद्प्रेरित ही जीवन विकसित होते हैं
घुले अति कामुकता सपनों मे ये ख़राब होते हैं
अति कामुकता के बने स्त्रोत ही ख़राब होते हैं
स्त्रोत बने मनुष्य में विचार ये ख़राब होते हैं
दूषित विचार मिटायें ये आव्हान हमारे होते हैं
 
काव्य पंक्तियों के माध्यम से , मनुष्य श्रेष्ठ है ऐसा बताने के उपरान्त उन्हें ख़राब कहने का औचित्य नहीं होता है। ऐसे में समाज में खराबी हम देखते हैं तो वह , मनुष्य होने की खराबी नहीं है . अपितु वह मनुष्य मन पर हावी होने वाली किसी बात की , "अति" की खराबी है। संक्षिप्त लेखन समझदारों के लिए पर्याप्त होता है ,अतः अब सीधे विषयवस्तु पर लिखता हूँ -
नारी ,  "अति कामुकताधारी " पुरुष एवं नारी स्त्रोतों  द्वारा फैलाये गए जालों में उलझ रही है।
विडंबना यह है , कि ऐसे जाल को बुनने में , नारी का ही उपयोग किया जा रहा है .
ऐसे 'जाल के बिछाने' का षणयंत्र करने वाले "अति कामी "के मन में कामुकता की उनकी तृप्ति ही अकेला उद्देश्य नहीं होता है। उससे अनेकों व्यावसायिक लाभ भी उनके उद्देश्य होते हैं। कामुकता प्रसारित करने में छिपे लाभ निम्नानुसार हैं .



1. कामोत्तेजक आधुनिक परिधानों के निर्माण और व्यापार से लाभ।
2. कामोत्तेजना बढ़ाने वाली औषधियाँ उत्पादन  और व्यापार से लाभ।
3. कामुकता जनित रोग की दवा निर्माण से लाभ।
4. ड्रिंक्स और नशीले ड्रग्स , उत्पादन और उसके व्यवसाय से लाभ।
5. परफ्यूम और सौंदर्य प्रसाधन के निर्माण बढ़ोतरी और व्यापार से लाभ।
6. कामुकता के प्रति दर्शक उत्सुकता बढ़ा कर , फिल्म /वीडियो निर्माण से लाभ।
7. कामुकता के एम्बेसेडर(सिने हीरो) एवं अन्य सेलिब्रिटी को प्रतिष्ठा का लाभ।
8. कामुकता के विचारों में उलझाये रख , सामान्य व्यक्तियों का ध्यान हटा , ख़राब कारनामों से, अपनी प्रतिष्ठा हानि बचाने में सुविधा। 




इन व्यक्तिगत लाभों से समाज को क्या क्षति हो रही है , इस बात का षणयन्त्रकारियों को कोई यह लेना देना नहीं है। इस उकसावे से मनोरोगी हो , कोई दुष्ट बन , नारी पर कोई पुरुष अपराध कर बैठता है , उसको फाँसी दे देना हल नहीं है।  कहाँ-कहाँ ,कितनों-कितनों  को फाँसी दी गई है,कितनों को दी जा सकती है ?यह तो बार बार उग आती विष बेल की तरह है  यदि सतह के ऊपर से इसकी सफाई की जाती है तो  यह श्रम तो जीवन भर उलझाये रखेगा , व्यर्थ जाता रहेगा। हर अगले पल , खुलेआम या छिपे तौर पर नारी विरुध्द अपराध होता रहेगा। इसका स्थायी उपचार , जड़ पहचान कर , उसे ही नष्ट करने में है।
प्रबुध्द नारी एकजुट हो कर  और वे पुरुष जो अपने को माँ (नारी) की भी संतान मानते हैं , आगे आयें।  एक बार ही , सही श्रम करके , बार -बार की इस झंझट से छुटकारा पायें। इस विषबेल की जड़ भूमि के भीतर ही रोक दें।  इस तरह अपनी, माँ ,पत्नी, बहन और बेटी के लिए सुरक्षित और सम्मान का जीवन सुनिश्चित करें।
लेखक का प्रयोजन , अश्वमेघ का है , जिसे सबके सयुंक्त प्रयास से संपन्न किया जा सकता है। 
हम सब समवेत हो यह यज्ञ करें । अपने में जन्मी अति कामुकता की आहुति दें। षणयंत्रकारियों के सम्मोहन जाल में फँसने की अपनी नादानी की  आहुति दें। यह यज्ञ सफल हो सकता है।  इस सम्बन्ध में  इस लेखक / नौसिखिये कवि की निवेदित फिर चार काव्य पंक्तियाँ और कृपया पढ़ लें   -

अपनी अपेक्षाओं का अश्व ,रोक दिया जाता है
सहायता को दौड़े अश्व ,कोई रोक नहीं पाता है
अपार हर्ष से स्वागत उसका, अभिनंदित अश्व
अश्वमेघ में विश्व विजय पताका ,ले , आता है

--राजेश जैन
03-01-2015



 

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