Monday, January 12, 2015

पीके से मिलती अच्छी शिक्षा

पीके से मिलती अच्छी शिक्षा
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कल की पोस्ट लेखक ने आलोचक दृष्टि से लिखी थी । लेखक आज पीके पर प्रगतिशील विचारक की दृष्टि से लिख रहा है।
1. धर्म को पाखंड से प्रचारित करने वाले "रोंग नंबर" से मुक्ति ले कर , धर्म उपासना के समय की बचत लेकर लोग फ़िल्में देखने लगेंगे तो वहाँ से उन्हें प्रगति शील विचार मिल जायेंगे , देश उन्नति करेगा। और पाखण्डियों के बदले फ़िल्मी लोग ,जो भारत के सबसे बड़े हितैषी हैं के भक्त होकर लोग राष्ट्रसेवा करेंगे , देश उन्नति करेगा।
2. दो -दो घंटे की मुलाकातें , एक करोड़ पाकिस्तान के पुरुषों की एक करोड़ भारतीय नारियों से हो जायें , और फिर दूसरे दिन उनके विवाह हो जायेंगे तो भारत -पाकिस्तान का बैर हमेशा को ख़त्म हो जायेगा। 
3. कार में सेक्स , बस में कंडक्टर और ड्राइवर से निर्भया पर किये रेप से अच्छा होगा , कार मालिक तो पढ़े-लिखे होते हैं , गँवार -दुष्ट थोड़े होते हैं। और अपनी अनब्याही बहन -बेटी पढ़े -लिखे लोगों के साथ कार में है , तो बुरा क्या है।
4. सेक्स शादी के पहले सब लड़कियाँ भी करने लगेंगी।  तो चरित्र के प्रश्न स्वयं खत्म हो जायेगें।  सब एक जैसे  हो जायेंगे.
5. बहन, बेटी ,माँ और पत्नी भी ड्रिंक्स लेने लगेंगी ,तो कितना अच्छा हो जायेगा , ड्रिंक्स के लिए बाहरी कंपनी की जरूरत नहीं पड़ेगी।
6. बच्चे "किस सीन "   सहजता से लेने लगेंगे , तो पत्नी या फ्रेंड को किस लेने के लिए आड़ लेने का लगने वाला समय बच जाएगा , किसी ज्यादा उपयोगी कार्य पर खर्च किया जा सकेगा।

अब तक की भारतीय पीढ़ी तो रूढ़िवादी थी , यह पीढ़ी और आगामी पीढ़ियाँ इस तरह सिनेमा को सकरात्मक दृष्टि से लेकर बहुत सुखी  सभ्य हो जायेगी।
--राजेश जैन
12-01-2015
 

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