Thursday, January 29, 2015

अभिवादन

अभिवादन
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चाचा , आर्मी में थे 1972 में परमवीर चक्र मिला था। परिवार गौरवान्वित था सम्मान से।  लेकिन चाचा के न रहने से , उनके बच्चों और पत्नी को जिस संघर्ष से जूझना पड़ा था।  परिवार ने सबक लिया था आर्मी में न भेजेंगे , बच्चों को।
1988 में जन्मी गरिमा ने यों तो कई अभाव बचपन से देखे थे। अपने साथ की अमीर लड़कियों के पास , तरह तरह के गैजेट्स और आलीशान कार , महँगे वस्त्र देखे थे। जो एक अमीर लड़की के पास था वह कई अमीरों पास था। उसे इस बात का भान था ,जो उसके पास था वह  किन्तु ,औरों के पास नहीं था. वह था -ऐसे परिवार के होने की ख्याति - जिसका बेटा राष्ट्र -रक्षा में प्राण न्यौछावर कर चुका था। बचपन से गर्वित करती इस अनुभूति के कारण 19 वर्ष की उम्र से वह सेना में विभिन्न पोस्ट के आवेदन करती थी . पापा उसे मना करते , तब भी न माना करती थी । जब चयन हुआ आर्मी में  उसका पापा ने आदेश सुनाया -गरिमा , आप नहीं ज्वाइन करेंगी , आपको मालूम ही है , चाचा की मौत के बाद कितने विषम दिन देखे हैं , हमने। गरिमा ने कहा था - पापा , चाचा की मौत अन्य किसी हादसे में भी हो सकती थी । उन सरीखे 'राष्ट्रवीर' के परिवार की बेटी, मै वीरांगना होना चाहती हूँ।
पापा ने गरिमा की दृढ़ता को अनुभव किया था। आर्मी ज्वाइन करने के बाद - उसका प्रशिक्षण संपन्न हुआ है । आज यूनिफार्म में अभिवादन करता प्रकाशित हुआ उसका फोटो देख परिवार अत्यंत प्रसन्न है । गरिमा के अभिवादन के उत्तर में , पापा नहीं , अपितु पूरा शहर - बेटी की उपलब्धि पर अपने हाथ -अभिवादन की मुद्रा में सिर तक ले जाकर गौरवान्वित है।
-- राजेश जैन
30-01-2015

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