Thursday, January 8, 2015

नारी द्वारा पुरुष पर अत्याचार

नारी द्वारा पुरुष पर अत्याचार
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लेख भारतीय नारी पर ध्यान में रख लिखा जा रहा है , विदेशों में नारी अलग तरह की है। पूर्व आलेखों में , नारी का पक्ष रखने से इस लेखक से ,सभी नहीं किन्तु कुछ पुरुषों ने बहुत पीड़ा अनुभव की है। विशेषकर उन्होंने जिन्होंने विवाह के बाद पत्नी से सामंजस्य ने बैठने पर पत्नी द्वारा न्यायालय में प्रकरण डाले हैं। नारी से इस देश में मुख्यत:, पुरुष दो तरह से पीड़ा पाता है। 
1. 498a में झूठे केस
झूठे केस जब डाले जाते हैं तो आरोप सिर्फ पुरुषों पर नहीं होता है , बल्कि ससुराल पक्ष की नारी (सासु माँ , ननद आदि ) पर भी आरोप होते हैं। अतः यह सिर्फ पुरुष विरुध्द होते हैं ऐसा नहीं है। क्यों उत्पन्न होती हैं झूठे प्रकरणों की संभावना ? कुछ समय पूर्व समाज में दहेज़ प्रताड़ना , उसमें नववधू की हत्या या आत्महत्या को प्रेरित करने के प्रकरण बढ़ गये थे।   तब कानून बनाया गया था । सामाजिक जागृति से और क़ानून के डर से वास्तविक दहेज़ प्रताड़ना के प्रकरणों में अब कमी  है। नई जेनरेशन के युवा भी, अब दहेज़ विरुध्द होते जा रहे हैं। लेकिन क़ानून है और दहेज़ प्रताड़ना के केस अभी भी दर्ज होते हैं , जिसमें ज्यादातर झूठे भी सिध्द हो जाते हैं।
वास्तव में झूठे प्रकरण के पीछे नववधु के चरित्र पर शंका या पति की अति रसिकता में दूसरी युवतियों से संबंध वह कारण होता है , जिसमें नवयुगल के बीच सामंजस्य नहीं बन पाता है। और मारपीट , डाँट डपट और अपमान से वधु मायके चली जाती है , जहाँ बदले की भावना से ,और परिचितों के उकसावे से ससुराल पक्ष पर केस दर्ज हो जाता है। अर्थात नारी द्वारा, जिसे पुरुष पर अत्याचार जिसे कहा जाता है , उसके मूल में फिर दोष पुरुष पर ही सिध्द होता है। क्यों पति , अति रसिक है , विवाह बाहर संबंध रखता है ? यदि पत्नी चरित्र हीन है , तो उसका भी चरित्र , पुरुषों ने ही तो निबटाया है। भले उसके लिए जिम्मेदार पति नहीं , किन्तु अन्य "पुरुष ही" तो हैं।
2. पुरुष अगर नारी से पीड़ित हो तो कोई कानून का और सुनवाई का न होना।
नारी भी कई अपराधी हो जाती हैं।  छोटे मोटे अपराध करती हैं।  वह पुरुषों से तो ताकत में जीतती नहीं , हत्या नहीं करती , पुरुष से जोर जबरदस्ती का सेक्स भी नहीं करती। इसलिए नारी प्रताड़ना का स्पेसिफिक कानून नहीं बना है । सचाई यह है नारी अत्याचार जितने भी होते हैं , उससे सैकड़ों गुणे ज्यादा पुरुष द्वारा अत्याचार होते है , और निर्ममता में भी वे नारी अपराधों की तुलना में हजार गुना होते हैं ।
--राजेश जैन
08-01-2015

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