Tuesday, December 9, 2014

Gender Equality

Gender Equality
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अभी हमारी दृष्टि में क्षमता विकसित होनी शेष है।
पुरुष दृष्टि अभी नारी देह को निहारने तक सीमित हो रही है।
जिस दिन नारी मन तक वह दृष्टि पहुँचने लगेगी।
उस दिन उसे अपने और नारी में समानता दिख सकेगी।
तब पुरुष नारी को वस्तु नहीं एक मनुष्य मानेगा।

नारी संघर्ष में विकसित दृष्टि वाले पुरुष का सहयोग मिलता रहा है।
जब यह संघर्ष सही दिशा और लक्ष्य पा लेगा तब नारी -प...ुरुष का पूरा समाज मनुष्य हो जायेगा।
नारी पुरुष दैहिक भिन्नता का अपना अपना महत्व है। नारी और पुरुष दैहिक संरचना में भिन्न होते हुए भी ,
एक जैसे और प्रमुखता से मनुष्य कहे जायेंगे। अभी मनुष्य में जानवर के गुण की विद्यमानता भी है।
जानवर से गुण लोपित होंगे तब पूर्ण मनुष्य हम होंगे और उस दिन से ही मानव सभ्य कहलायेगा।


--राजेश जैन
09-12-2014

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