Monday, December 15, 2014

प्रार्थना पत्र

प्रार्थना पत्र
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रात्रि अचानक उसकी नींद खुल गई थी। और उसे लगा जैसे धुंधलापन उसकी स्मृति से छँट गया है।  स्पष्ट सा सब दिख और समझ आ रहा था।  उसे याद आ गया कैसे सीढ़ियों से गिर वह कूल्हों की हड्डी तोड़ बैठी थी। कैसे ऑपरेशन के कष्ट और पिछले लगभग तीन माह से आधे होश आधी निद्रा में उसकी रात -दिन बीतती थी। तभी उसे अपना चेहरा देखने का विचार कौंधा। पास की टेबल पर पड़े मिरर तक उसने अपनी पूरी शक्ति बटोर कर हाथ पहुँचाया। कम रोशनी के नाईटलैंप में उसमें देखते ही उसे अपना चेहरा अत्यंत डरावना दिखा।
बाल जिन्हें बार बार डाई कर , चेहरे पर झुर्रीयाँ दूर करने के इंजेक्शन लेकर और प्लास्टिक सर्जेरी से अंगों को आकर्षक दिखाने के उपाय कर उसने सत्तर वर्ष की उम्र में भी कैसे सभी को अपने रूप से रिझाया हुआ था। पिछले तीन महीनों में मिलने वाले परिचित -रिश्तेदारों ने उसका ये कुरूप देख लिया है , आह
उसने पास पड़ी पेन और डायरी उठाई जो अवसाद मन में उठा लिखने लगी .... फिर अचानक सीने में तीव्र पीड़ा हुई , चेतना सारी लुप्त हुई।
सुबह उसके बेटे और बहु ने उसे मृत पाया। पलंग से गिरी डायरी देख, उठाई।  खुले पेज पर  लिखा हुआ पढ़ा। लिखा था …   
ये रूप हो गया मेरा , इसे सुन्दर रखने के सारे जतन के बाद इस रूप में संसार से जाउंगी मै ? ये क्या ले जा रही हूँ मै दुनिया से ऐसा कुरूप हुआ शरीर और चेहरा ? आह ! काश - मैंने रूप चमकाने में लगाया समय और धन , "नारी चेतना और सम्मान रक्षा " के लिए लगाया होता ! कम से लाभान्वित हुई कुछ नारियों ने उसे अच्छे भलाई के रूप में तो स्मरण रखा होता  .... 
पढ़ कर बहु -बेटे के नयन अश्रुपूरित हुए।  उन्हें लगा जैसे मम्मी , भगवान से अगले जन्म के लिए इसका विवेक प्रदान करने के लिए प्रार्थना पत्र लिख रही थीं।
--राजेश जैन
15-12-2014

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