Candy Crush
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candy crush गेम खेलते और वर्ग पहेली (cross word puzzles ) हल करते भी समय निकाला जा सकता है ,यह तब उचित है जब समक्ष कोई समस्या नहीं है। किन्तु यदि समक्ष समस्यायें हैं तो इनसे बेहतर उन life puzzles (जीवन पहेली ) सुलझाने में समय लगाना है।
समाज समस्यायें किसी पहेली या गेम से कम मनोरंजक नहीं हैं। इन्हें play (खेलने) करने या solve (हल ) करने में entertainment (मनोरंजन) और satisfaction (संतोष ) इन गेम या पज़ल्स से कम नहीं ज्यादा मिलता है।
हर जगह धन से ही कुछ किया जा सकता है ऐसा भी नहीं है . निःसंदेह प्रत्यक्ष सहायता धन से सरल है . किन्तु अप्रत्यक्ष सहायता समाज और देश में (बल्कि विश्व में भी ) सच्ची वैचारिक क्षमता बनाना है। सही सोच सभी में प्रेरित करने से जब अधिसंख्य सही तरह से समझने के योग्य होंगे तो स्व-अनुशासित होंगे और बुराइयों को बढ़ाने में नहीं अपितु कम करने में योगदान देंगे . जिससे अनेकों समस्याओं और बुराइयों का स्वतः ही अंत होता है। इसमें धन नहीं खर्च होता है लेकिन सहायता का क्षेत्र विस्तृत होता है। अरबपति भी चाहें तो कुछ हजार पीड़ितों की ही सेवा सहायता कर सकते हैं , जबकि ऐसी वैचारिक प्रेरणाओं से जब दृष्टिकोण सुधरता है तब हित - अनेकों का होता है , कई पीढ़ियों का होता है।
आप चाहें तो solve करें या खेलें निम्न प्रश्नों को गेम या puzzle रूप में , कि कैसे आये /हो सके ?
1. नारी चेतना और सम्मान रक्षा
2. प्रेरणा मानवता और समाज हित
3. कैसे हों सभी -"सम्भ्रांत "
बहुत समय निकलेगा स्कोप अनन्त है , मनोरंजन और संतोष बहुत है। बस आवश्यकता अपने को समस्या-मुक्त (बुराई मुक्त भी ) मानने की नहीं है . बुराई और समस्या से घिरा यह समाज है उसी समाज के हम अंग हैं।यदि हमारी स्थिति अच्छी है जिससे हम सुरक्षा और बुराई से रक्षा करने में समर्थ अनुभव करते हैं तो ऐसी हमारी स्थिति तो हमारा सौभाग्य है जब हम सरलता से इन दायित्वों को निभा सकते हैं।
--राजेश जैन
07-12-2014
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candy crush गेम खेलते और वर्ग पहेली (cross word puzzles ) हल करते भी समय निकाला जा सकता है ,यह तब उचित है जब समक्ष कोई समस्या नहीं है। किन्तु यदि समक्ष समस्यायें हैं तो इनसे बेहतर उन life puzzles (जीवन पहेली ) सुलझाने में समय लगाना है।
समाज समस्यायें किसी पहेली या गेम से कम मनोरंजक नहीं हैं। इन्हें play (खेलने) करने या solve (हल ) करने में entertainment (मनोरंजन) और satisfaction (संतोष ) इन गेम या पज़ल्स से कम नहीं ज्यादा मिलता है।
हर जगह धन से ही कुछ किया जा सकता है ऐसा भी नहीं है . निःसंदेह प्रत्यक्ष सहायता धन से सरल है . किन्तु अप्रत्यक्ष सहायता समाज और देश में (बल्कि विश्व में भी ) सच्ची वैचारिक क्षमता बनाना है। सही सोच सभी में प्रेरित करने से जब अधिसंख्य सही तरह से समझने के योग्य होंगे तो स्व-अनुशासित होंगे और बुराइयों को बढ़ाने में नहीं अपितु कम करने में योगदान देंगे . जिससे अनेकों समस्याओं और बुराइयों का स्वतः ही अंत होता है। इसमें धन नहीं खर्च होता है लेकिन सहायता का क्षेत्र विस्तृत होता है। अरबपति भी चाहें तो कुछ हजार पीड़ितों की ही सेवा सहायता कर सकते हैं , जबकि ऐसी वैचारिक प्रेरणाओं से जब दृष्टिकोण सुधरता है तब हित - अनेकों का होता है , कई पीढ़ियों का होता है।
आप चाहें तो solve करें या खेलें निम्न प्रश्नों को गेम या puzzle रूप में , कि कैसे आये /हो सके ?
1. नारी चेतना और सम्मान रक्षा
2. प्रेरणा मानवता और समाज हित
3. कैसे हों सभी -"सम्भ्रांत "
बहुत समय निकलेगा स्कोप अनन्त है , मनोरंजन और संतोष बहुत है। बस आवश्यकता अपने को समस्या-मुक्त (बुराई मुक्त भी ) मानने की नहीं है . बुराई और समस्या से घिरा यह समाज है उसी समाज के हम अंग हैं।यदि हमारी स्थिति अच्छी है जिससे हम सुरक्षा और बुराई से रक्षा करने में समर्थ अनुभव करते हैं तो ऐसी हमारी स्थिति तो हमारा सौभाग्य है जब हम सरलता से इन दायित्वों को निभा सकते हैं।
--राजेश जैन
07-12-2014
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