Saturday, December 27, 2014

गर्लफ्रेंड और पत्नी

गर्लफ्रेंड और पत्नी
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एक ग्रुप पर, जिसे बेटी के होने के  अच्छे पक्ष की चर्चा के उद्देश्य से निर्मित किया गया है। पर कल एक पोस्ट थी , गर्लफ्रेंड और पत्नी में क्या अंतर है? उस पोस्ट में लेखक का कमेंट था --
"हमारी संस्कृति में पत्नी ही गर्ल फ्रेंड होती है" -' हमारे यहाँ कुछ रसिक रखैल (Kept) रखते थे , निंदनीय था। पाश्चात्य संस्कृति में कुछ ऐसी मिलती -जुलती चीज  (Kept ) को गर्ल फ्रेंड कहते हैं '.
बाद में सैकड़ो कमेंट और लाइक उस पर चल रहे थे। अचानक एक कमेंट आया , जिसमें लेखक द्वारा पूर्व लेखों में निरूपित किये गए , तथालेखित "नारी देह के घिनौने जुलूस " में से एक वीभत्स सी तस्वीर निकालकर एक कमेंटकर्ता ने लगाई और लिखा गर्लफ्रेंड यह होती है। अप्राकृतिक रूप से अभिसाररत जोड़े की यह तस्वीर आपत्तिजनक थी। कमेंट, प्रश्न का अत्यंत ही कड़वा उत्तर था। जो युवतियाँ अपने को गर्लफ्रेंड जानती हैं , ने स्वयं को अपमानित ही अनुभव किया होगा । अभी सच से अवश्य दूर ये उत्तर , जैसा चारित्रिक पतन दिखाई देता है उसमें शीघ्र ही सच जैसा ही बन जाएगा । हालाँकि पोस्ट लगाने वाली नारी अनुमान से भारतीयता से नाता जोड़ी हुई थी , जिसने इस कमेंट के बाद उत्पन्न लज्जाजनक दृश्य पर अपने कमेंट बंद कर दिए थे।और लेखक ने उस कमेंट को स्पैम रिपोर्ट किया था।
पूर्व आलेखों में नारी की सयंत प्रतिक्रिया पर लेखक जोर (स्ट्रेस) देता आया है।  वस्तुतः जिस शोषण के शिकार होने से नारी अपने को छला और पराजित मानकर , आज आक्रामक उत्तर प्रस्तुत कर रही है , प्रचारित आधुनिकता और अपने विद्रोही तेवर में वह जो कर रही है , उससे उसे प्राप्त कुछ नहीं होने वाला है। अगर अब के पूर्व यह मानती आई है कि नारी ,पुरुष से हारती रही है।  तो पुरुष पर जीतने का यह अभियान ,पहले की हार से ज्यादा और लज्जाजनक हार ही दिखायेगा। (उस नारी देह के घिनौने जूलूस से ये सिध्द होता है। )
वास्तव में नारी गरिमा से पुरुष को जीतती है।  माँ के रूप में सम्मान अर्जित करती है . पत्नी की सदाशयता से पति पर रानी बन राज करती है।  बेटी , छोटी होती तब भी पुरुष पिता को झुकाती है। नारी इस रूप में पुरुष से कभी नहीं हारी थी , अभी भी नहीं हारती और कभी भी नहीं हारेगी। जहाँ पुरुष से हार का राज छिपा है , पुरुष मन से वह ग्रंथि भी , नारी , भारतीय गरिमा और त्याग से निकाल सकती है।
लेखक जब लिखता है तो उस चेतना के लिए  लिखता है , जिससे नारी , सम्मान सुनिश्चित होता है , उस विचार से लिखता है , जो पुरुष को भी न्यायवान होने को प्रेरित करता है। इस चेतना और इस विचार का कोई लिंग नहीं होता है , इसलिए इस पेज को लाइक कर इसके नाम में निहित लक्ष्य की प्राप्ति में सहयोग करें , यह विनम्र अनुरोध है। लाइक करने का कहीं भी अर्थ नारी या पुरुष का मित्र होना नहीं है , यह मानवता को पोषण है, मानवता से मित्रता है , जिसमें समाज हित निहित है।
इस पेज पर हमेशा "चेतना -माँ ,रुपी और विचार पिता रुपी" , आदर्श  सभी को अनुभव होंगे। यह लेखक की शपथ है।
--राजेश जैन  
28-12-2014

 

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