Saturday, December 20, 2014

Gender Equality - 3

Gender Equality - 3
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प्रस्तुत किया गया "2075 में समाज -मॉडल" वास्तव में एक निराशाजनक तस्वीर है।  जो यथार्थरूप में निश्चित ही इसलिए नहीं बन पायेगी , क्योंकि मनुष्य मस्तिष्क अपने अस्तित्व पर आये संकट को टाल सकने में सक्षम होता है। हालांकि दूरदर्शिता के ना होने पर कभी -कभी संकट सिर पर आ जाये तब पहचाना जाता है।  अतः दूरदर्शिता आवश्यक होती है। जिससे ज्यादा क्षति उठाने के पहले ही संकट सम्भावना को नष्ट किया जा सके।  वस्तुतः आज का चलन तो उसी तस्वीर की ओर बढ़ा रहा है। यह कल्पना आज कर लेने में हम निश्चित ही 2075 में अब तक के सबसे अच्छे समाज का चित्र साकार करना सुनिश्चित कर सकेंगे.
इसी पेज पर प्रस्तुत आलेख "क्या घिनौने जूलूस में जाना जरुरी है ?" में घिनौना शब्द , देह को ,तस्वीरों को , परिधान में लिपटी नारी - पुरुष सुंदर चित्रों को अपने में सम्मिलित नहीं करता है। वे वीडियो , वे चित्र ,वे अश्लील कथायें और अश्लील विचार -टिप्पणियाँ इसमें सम्मिलित हैं , जिसको संस्कारित नारी ( प्रौढ़ ,युवा या किशोरी ) ने तो देखा तक नहीं है या देखा भी है तो किस वॉल्यूम (कितनी मात्रा) में यह विष फ़ैल गया है उसका सही अनुमान उसे नहीं है।
लेखक उनका उल्लेख सिर्फ संकेतों में और प्लेन text में इसलिये करता है , कि उस विष में स्वयं का योगदान नहीं जोड़ना चाहता। उल्लेख इसलिए करता है कि चिंताजनक स्तर तक पहुँच गए इस संकट को सभी देख और समझ सकें ताकि उस संकट से निकलें और उसे विनाश के रूप में परिवर्तित होने से रोका जाए।
समानता के नाम पर पाश्चात्य विश्व ने नारी को इस तरह उकसाया है , जिससे यह घिनौना जूलूस निकला हुआ है।  कहते हैं वहाँ कानून व्यवस्था प्रभावी होता है। ऐसे में इस घिनौने जूलूस का उद्गम पाश्चात्य देश ही बने हैं . तब यह कहने में लेखक को संकोच नहीं है इस पर रोकथाम न कर वे बहाई इस मैली गंगा में हमारी भव्य संस्कृति को डुबा देना चाहते हैं। सिर्फ व्यभिचार और भोगलिप्सा की गंगा में स्वयं डूब कर पूरी मानव सभ्यता को डुबा देना चाहते हैं।
नारी , पुरुष से श्रेष्ठ है.नारी को पुरुष की समानता की नहीं अपितु पुरुष को नारी जैसी श्रेष्ठता करने की आवश्यकता है। सिर्फ धन अपेक्षा से समानता भ्रामक है , दो चार सदियों में सभ्यता का यह भ्रम मिट जाने वाला है।
"Gender Equality" के नाम पर पाश्चात्य विश्व में नारी को किस भद्दे रूप में लाकर नारी स्वीकृति से ही उस पर शोषण किया है , इस षड्यंत्र को हम समझ लें। हमारी नारी पर अवश्य कुछ विपत्ति हैं , हम आपस में उसे सुलझाएंगे।  नारी, शोषण से बचने के लिए अतिवादी प्रतिक्रिया से बचें ।  अन्यथा इधर कुआँ और उधर खाई ही चरितार्थ हो जाएगा।  नारी, शोषण से मुक्ति के नाम पर आव्हान और प्रतिक्रिया में संयत रहें । प्रबुध्द नारी स्वयं तो समझने और बचाव में सक्षम है। किन्तु "नारी संघर्ष " स्टेज करते हुए उसे यह विचार में रखना होगा - हमारी गृहस्थ और ग्रामों में रहने वाली नारी अभी विश्व का बहुत कम एक्सपोज़र रखती है , वह भोली है , धूर्त  उसे भटकावा दे सकते हैं। आव्हान और प्रतिक्रिया को गलत समझ वह "घिनौने जूलूस" का कहीं अंग नो हो जाये।

पुरुष साथियों को भी ध्यान देना है ,

गर्लफ्रेंड -बॉयफ्रेंड चक्कर गजब न कर जाये 
घिनौने जूलूस का दायरा न इतना फ़ैल जाये
कि माँ -बहन भी उस जूलूस में शामिल और
होने वाली पत्नी हमारी उस जूलूस में से आये

--राजेश जैन  
21-12-2014




 

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